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BSE Full Form in Hindi & English | बीएसई का फुल फॉर्म क्या है?
दोस्तों, स्टॉक मार्केट का एक बहुत ही प्रचलित शब्द है BSE जिसके बारे में आज हम आपको विस्तार शेयर मार्केट में शेयर के कितने प्रकार होते है? से बताने वाले हैं, यहाँ हम BSE full form in Hindi & English के अलावा बीएसई के बारे में काफी कुछ जानकारी साझा करेंगे।
क्या आप जानते हैं कि BSE क्या होता है? यदि नहीं तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि यहां हम BSE से संबंधित सारी जानकारी प्रस्तुत करने वाले हैं। यदि आप स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं तो आपको बीएसई और एनएसई के बारे में जरूर पता होगा लेकिन यदि फिर भी आपको इसकी जानकारी नहीं है तो इस पोस्ट मे आपको सारी जानकारी मिलने वाली है।
यदि आपको BSE के बारे मे कोई भी जानकारी चाहिए तो आपको यहाँ सब कुछ पता चल जाएगा इसलिये इस पोस्ट को आखिर तक जरूर पढ़े।
BSE बहुत ही ज्यादा प्रचलित है और इसके बारे मे अक्सर लोग पूछते है या इंटरनेट पर सर्च करते रहते हैं इसलिए आज हम आपको BSE के बारे मे ही बताने वाले हैं। वैसे तो BSE के फुल फॉर्म कई क्षेत्रो मे मिल जाएँगे लेकिन यहाँ हम स्टॉक मार्केट से सम्बंधित BSE की जानकारी देंगे।
BSE Full Form in Hindi (बीएसई का मतलब क्या है?)
यदि आप शेयर मार्केट में निवेश करते हैं तो शेयर मार्केट से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी आपको अवश्य होनी चाहिए। इसलिए यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह जानना है कि बीएसई और एनएसई क्या है और यह जानने के लिए आपको इनका फुल फॉर्म भी पता होना चाहिए।
यहां हम BSE के बारे में बात करने वाले हैं इसलिए आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि बीएसई का फुल फॉर्म Bombay Stock Exchange होता है जो कि बहुत ही ज्यादा प्रचलित है।
अब आपको यह तो पता चल गया कि बीएसई का फुल फॉर्म क्या है लेकिन बहुत लोगों के मन में यह सवाल भी आता है कि बीएससी फुल फॉर्म इन हिंदी (BSE Full Form In Hindi) क्या है तो आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि बीएसई का हिंदी उच्चारण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज है।
BSE क्या है?
बीएसई का पूरा नाम बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) है। शेयर मार्केट में शेयर के कितने प्रकार होते है? इसके बारे में यदि हम बात करें तो आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हमारे भारत में दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज है जिनका नाम एनएसई और बीएसई है, BSE भारत का दूसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है साथ ही यह काफी पुराना स्टॉक एक्सचेंज है जो भारत के कई हिस्सों में फैला हुआ है।
आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आज भारत के 418 शहरों में BSE कार्यरत है। आपने अक्सर निवेश बाजार में यह सुना होगा कि ज्यादातर आईपीओ अर्थात इनिशियल पब्लिक ऑफर एनएसई और बीएसई मे लिंक होते हैं जिससे यह समझा जा सकता है कि यह स्टॉक एक्सचेंज कितना बड़ा महत्व रखता है। यहां कई कंपनियों के शेयर लिस्ट होते रहते हैं और क्योंकि यह काफी पुराना स्टॉक एक्सचेंज है इसलिए यह बहुत ज्यादा सुरक्षित भी माना जाता है।
आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज अर्थात बीएसई इंटरनेट ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की स्थापना करने वाला स्टॉक एक्सचेंज है और इसका इंडेक्स सूचकांक सेंसेक्स है।
BSE क्या करता है?
BSE बहुत ही पॉपुलर स्टॉक एक्सचेंज है और यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है इसलिए काफी सुरक्षित भी है। लेकिन बहुत लोगों के मन में यह सवाल आ रहा होगा कि BSE आखिर क्या करता है?
तो हम आपको बता दें कि बीएसई अर्थात बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कई प्रकार की सेवाएं हमें प्रदान करता है। यदि आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं तो आपको इसकी थोड़ी बहुत जानकारी जरूर होगी। यदि हम बात करें इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली महत्वपूर्ण सुविधाओं की तो आपको यह जानकर खुशी होगी कि बीएसई मार्केट डाटा सर्विस, रिस्क मैनेजमेंट, डिपॉजिट सर्विस सेंटर, डिपॉजिट सर्विस लिमिटेड जैसी कई महत्वपूर्ण सुविधाएं प्रदान करता है।
यह ट्रेडिंग का प्लेटफार्म है जो काफी उपयोगी साबित होता है। बीएसई पर कई कंपनियों के शेयर लिस्ट किए जाते हैं।
अब बात आती है कि इसकी शुरुआत कब और कैसे की गई है? यदि आप यह जानना चाहते हैं तो अगले सेक्शन पर इससे संबंधित सारी जानकारी दी गई हैं तो आइए अगले सेक्शन पर नजर डालते हैं।
ग्रो ऐप से शेयर कैसे खरीदे | Groww App Review In Hindi
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सर्दियों के सीजन में किसान करें इन सब्जियों की खेती
सीजन में आप अपने बगीचे में तरह-तरह की सब्जियों के बीज या पौधे लगा सकते हैं.
बगीचे में उगाई गई सब्जियों का फायदा उस समय सबसे ज्यादा होता है, जिस समय बाजार में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे होते हैं.
आइए जानते हैं सर्दियों के सीजन में किन सब्जियों को लगाकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
रबी की फसलों की बुवाई खत्म हो चुकी है. इस बीच बेहतर इम्यूनिटी के लिए मार्केट में हाई प्रोटीनयुक्त सब्जियों की डिमांड बढ़ गई है.
किसान ऐसी सब्जियों की खेती की तरफ कदम बढ़ा सकते हैं, जो बेहद कम वक्त में बढ़िया मुनाफा दे जाए.
हम आपको उन्हीं सब्जियों की खेती के बारे में बता रहे हैं, जिनकी खेती सर्दियों में करके किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.
ब्रॉकली
ये सब्जी विदेशी मानी जाती है. इसे घर के बगीचे में आसानी से उगाया जा सकता है.
बुवाई के 10 दिनों में ब्रॉकली के पौधे पर फूल लगने शुरू हो जाते हैं. वहीं, सर्दियों के दिनों में ये कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं.
मार्केट में इस सब्जी का काफी अच्छा दाम है. इससे किसान भाई आराम से बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.
हरी मटर
मटर का उत्पादन साल के 12 महीने होता हैं. सर्दियों में इसकी खपत काफी ज्यादा बढ़ जाती है.
खपत बढ़ने के साथ ही मार्केट में मटर का रेट बढ़ने लगता है. इससे किसानों का मुनाफा कई गुना बढ़ सकता है.
साथ ही हरी मटर का सेवन कई बीमारियों के खिलाफ फायदेमंद है.
चुकंदर
स्वस्थ्य के लिहाज से चुकंदर का सेवन सबसे फायदेमंद माना जाता है. इसकी रोपाई बीज के जरिए होती है.
24 दिनों में ही इसके पौधे नजर आने लगते हैं. महज 90 दिनों शेयर मार्केट में शेयर के कितने प्रकार होते है? के भीतर ये कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
बाजार में चुकंदर महंगी कीमतों पर बिकती है. इससे किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.
टमाटर
टमाटर एक सदाबहार सब्जी है, साल भर इसका उत्पादन होता है.
टमाटर के पौधे ऐसी जगर रोपें जहां सर्दियों में पर्याप्त मात्रा में धूप आती रहे.
Mahabharat Rupa Ganguli – इस सीन के बाद खुद को कमरे में बंद करके खूब रोईं थी रूपा गांगुली, ये थी वजह
Mahabharat Rupa Ganguli – 1990 के दशक में हर घर की टीवी में बस एक ही धारावाहिक खूब देखा जाता था। जिसका नाम था महाभारत उस ज़माने का सबसे सफल शो रहा है। इसमें काम करने वाले सभी कलाकार ने जिस तरह से अभिनय किया है उसे देख कर सभी को किरदार जिवंत लगते थे। अगर हम बात करें प्रशिद्ध कलाकारों की तो रूपा गांगुंली भी उनमे शुमार हैं जिन्होंने महाभारत में द्रोपदी का किरदार अदा किया था। उनसे जुडी एक खबर है जो इन दिनों काफी चर्चाओं में बनी हुई है जो की ये है की उनके लिए यह सफर इतना आसान नहीं था और जब द्रौपदी का चीर हरण हुआ तो उनकी हालत बेहद खराब हो गई थी.
इस सीन के दौरान हुईं थी इमोशनल(Mahabharat Rupa Ganguli)
महाभारत में जब द्रौपदी के चीर हरण का दृश्य शूट हो रहा था. उस समय एक्ट्रेस रूपा गांगुली अपने इमोशंस रोक नहीं पाईं थीं और सेट पर ही फूट-फूट कर रोने लगी थीं. बताया जाता है कि जब द्रौपदी का चीर हरण का दृश्य शूट हो रहा था, तब बी आर चोपड़ा ने ऐसा कुछ कहा कि रूपा गांगुली घबरा गई थीं. दरअसल, उन्होंने कहा था कि यदि किसी महिला को भरी सभा में उनके बालों से खींच कर सबके सामने लाया जाएगा और सबके सामने उसके कपड़े उतारे जाएंगे, तो उस महिला पर क्या बीतेगी? इस पर रूपा गांगुली काफी ज्यादा घबरा गई थीं. हालांकि, उन्होंने इस पूरे सीन को एक ही टेक में किया और इसमें इतने इमोशंस भर दिया कि आधे घंटे तक वह रोती रहीं. उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया और अपने आंसू तक नहीं रोक पाईं.
जी हां, द्रौपदी का किरदार रूपा गांगुली को ऑफर करने से पहले बॉलीवुड की फेमस एक्ट्रेस जूही चावला को ऑफर किया गया था. लेकिन उस समय जूही की फिल्म कयामत से कयामत तक रिलीज होने वाली थी, जिसकी वजह से जूही द्रौपदी का किरदार निभा नहीं पाईं और यह रोल रूपा गांगुली को दिया गया. बता दें कि रूपा गांगुली कोलकाता की मशहूर अभिनेत्री रह चुकी हैं और राज्यसभा सांसद भी है. महाभारत से पहले उन्होंने 1985 में बंगाली शेयर मार्केट में शेयर के कितने प्रकार होते है? टीवी शो स्त्रीर पात्रा से अपना डेब्यू किया था.
रागी की खेती के उपयुक्त मिट्टी
बाजरा की फसल की भॉति इसे भी किसी विशेष प्रकार की बहुत अच्छी मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती और यह साधारण से साधारण मिट्टी में भी अच्छी तरह से उगाई जा सकती है। इसकी खेती से अधिक मात्रा में उत्पादन प्राप्त करने के लिए उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी में करे। भूमि का पीएच मान 5.5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए। इसके अलावा इसे कई तरह की उपजाऊ और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर भूमि वाली मिट्टी में भी उगाया जा सकता है।
रागी की खेती में अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए उन्नत और प्रमाणित संकर किस्मों का ही इस्तेमाल करें। वर्तमान समय में बाजार के अंदर रागी की वैज्ञानिक प्रमाणित उपलब्ध है। जिनसे कम समय में अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। बाजार में उपलब्ध रागी की किस्म इस प्रकार है- जीपीयू 45, चिलिका , जेएनआर 1008, आरएच 374, पीइएस 400, वीएल 149, जेएनआर 852, कुछ उन्नत किस्में हैं। जिन्हें आप अपने क्षेत्र के अनुसार चयन कर उनकी बुवाई कर सकते है।
रागी फसल उगाने के लिए खेत की तैयारी
रागी फसल उगाने के इसके खेत को बुवाई से पहले तैयार किया जाता हैं। इसके लिये खेत को एक महीने पहले तीन चार बार जोत कर पुरानी फसलों के अवशेषों को नष्ट किया जाता है। इसके बाद रागी की अच्छी उपज के लिए इसके खेत में 12 से 15 टन जैविक खाद के रूप में गोबर की खाद डालकर खेत को दो से तीन गहरी जुताई करें। उसके बाद खेत में पानी चलाकर पलेवा करें। पलेव के तीन से चार दिन बाद जब खेत सूखने लगे तब रोटावेटर चलाकर खेत की मिट्टी को भुरभुरा बना लें। उसके बाद खेत में पाटा चलाकर उसे समतल बना लें।
रागी के बीजों की बुवाई ड्रिल और छिड़काव दोनों विधियों से की जाती है। बुआई के शेयर मार्केट में शेयर के कितने प्रकार होते है? लिए कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर रखें और बीज को 4 से 5 सेंटीमीटर गहरा बोयें। बीजों की बुआई से पहले बीजों को उपचारित करने के लिए कार्बण्डाजिम (बॉविस्टीन), कैप्टन दवा या फिर थीरम का इस्तेमाल करें। बीजोपचार करने से फसल पर लगने वाले रोगों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। बीज की मात्रा उसके आकार, अंकुरण प्रतिशत, बुवाई का तरीका पर निर्भर करती है। ड्रिल विधि से रोपाई में प्रति हेक्टेयर 8 -10 किलो बीज लगता है। वहीं, छिडकाव विधि से रोपाई में लगभग 10 से 15 किलो बीज लगता है।
रागी की खेती की सिंचाई
रागी के पौधों को ज्यादा सिंचाई करने की विशेष जरूरत नहीं होती है। क्योंकि इसकी खेती बारिश के मौसम में जाती है। बारिश न होने पर 15-20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई जरूर करें। इसकी फसल उच्च गर्मी सहन करने वाली फसल है। इसकी फसल को तीन से चार सिंचाई की जरूरत होती है। जब पौधे पर फूल और दाने आने लगें तब खेत में नमी का विशेष ध्यान रखें।
इसके पौधों में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए आइसोप्रोट्यूरॉन या ऑक्सीफ्लोरफेन की उचित मात्रा का छिड़काव करे। वहीं, प्राकृतिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए इसके बीजों की रोपाई के 15 से 20 दिन बाद एक बार पौधों की निराई- गुड़ाई कर देनी चाहिए।
खाद एवं उर्वरक की मात्रा
रागी के खेतों में खाद देने की विशेष आवश्यकता नहीं होती। अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी जांच रिपोर्ट के अनुसार रासायनिक खाद के रूप में डेढ़ से दो बोरे एनपीके की मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की आखिरी जुताई के वक्त छिड़ककर मिट्टी में मिला दे।
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