विदेशी मुद्रा विश्लेषण का उपयोग खुदरा मुद्रा जोड़े पर निर्णय लेने या बेचने के लिए किया जाता है । यह चार्टिंग टूल जैसे संसाधनों का उपयोग करके प्रकृति में तकनीकी हो सकता है। यह आर्थिक संकेतकों और / या समाचार-आधारित घटनाओं का उपयोग करके प्रकृति में मौलिक भी हो सकता है।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन की चुनौती पर निबंध | Essay on Challenge for Management of Foreign Currency in Hindi

सचमुच अब वह समय बीत गया है, जब भारत को विदेशी मुद्रा प्राप्त करने के लिए पसीना बहाना पड़ता था । अब तो विदेशी मुद्रा भारत की ओर दौड़ लगाकर आते हुए दिखाई दे रही है । इतना ही नहीं, देश में विदेशी पूंजी के बढ़ते ढेर से तरह-तरह के खतरे उत्पन्न हो रहे हैं ।

देश में निवेश का उपयुक्त माहौल, उदार नीतियां और सरल प्रक्रियाओं के साथ-साथ रुपये की मजबूती पर अंकुश लगाने के लिए रिजर्व बैंक के भारी दखल की वजह से नवम्बर 2011 में देश में विदेशी मुद्रा भंडार करीब 320 अरब डॉलर के रिकार्ड स्तर पर पहुंच चुकी है ।

अक्टूबर 2006 से विदेशी मुद्रा भडार की स्थिति उत्साहवर्द्धक है वर्ष 1991 में हमारे सामने विदेशी मुद्रा का संकट पैदा हो गया था, जब हमारा मुद्रा भंडार सिर्फ दो सप्ताह के आयात के लायक रह गया था और पर्याप्त विदेशी मुद्रा प्राप्त करने के लिए हमें सोना ब्रिटेन के पास बंधक रखना पड़ा था । अब विदेशी मुद्रा के भरपूर प्रवाह का प्रबंधन चुनौती बन गया है ।

विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण

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विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण

अपनी उंगलियों पर दैनिक लाइव विदेशी मुद्रा संकेत

विदेशी मुद्रा संकेत, या "व्यापारिक विचार" यह है कि हम कैसे विदेशी मुद्रा व्यापारी बाजार में अपना जीवन यापन करते हैं। हमारे तकनीकी विश्लेषक हर दिन सर्वोत्तम उच्च संभावना व्यापार व्यवस्था की तलाश करते हैं। हम सभी विश्लेषण करते हैं ताकि आपको चार्ट से बंधे न रहना पड़े।

अंदर विदेशी मुद्रा व्यापार कक्ष, हमारे व्यापारी विदेशी मुद्रा संकेतों और व्यापारिक विचारों को साझा करेंगे जो वे प्रत्येक दिन विशिष्ट के साथ ले रहे हैं एंट्री प्राइस, स्टॉप लॉस, टेक प्रॉफिट टारगेट, और जब वे लाभ ले रहे हों, जोखिम कम कर रहे हों, या व्यापार से पूरी तरह से बाहर निकल रहे हों, तो अपडेट।

विदेशी मुद्रा सिग्नल क्या हैं?

विदेशी मुद्रा सिग्नल या 'व्यापार विचार' व्यापार सेटअप हैं जो आपके अनुसरण के लिए एक उच्च संभावना और अच्छे जोखिम-से-पुरस्कार परिदृश्य प्रदान करते हैं। वे विशिष्ट प्रवेश मूल्य, टेक प्रॉफिट (टीपी) लक्ष्य और स्टॉप लॉस (एसएल) प्रदान करते हैं। एक प्रवेश मूल्य वह है जहां हम व्यापार में प्रवेश करते हैं। टेक प्रॉफिट वह कीमत है जिसके बारे में हमें विश्वास है कि कीमत जाएगी, और स्टॉप लॉस वह है जहां हम अपने नुकसान को कम करते हैं यदि व्यापार हमारे अनुसार नहीं होता है। विदेशी मुद्रा व्यापार संभावनाओं का एक खेल है, और हालांकि नुकसान खेल का हिस्सा हैं, क्या मायने रखता है कि हमारे जीतने वाले व्यापार हमारे नुकसान से अधिक हैं, जो हमने 2015 से किया है।

किसी भी अनुभव स्तर पर व्यापारियों के लिए विदेशी मुद्रा संकेत बहुत अच्छे हैं। शुरुआती से मध्यवर्ती से उन्नत व्यापारियों तक, विदेशी मुद्रा संकेत विभिन्न तरीकों से उपयोगी हो सकते हैं। लेकिन आम तौर पर वे उन लोगों के लिए सबसे उपयोगी होते हैं जिनके पास पूरे दिन मूल्य चार्ट की निगरानी के लिए बहुत समय नहीं होता है। हम आपको विदेशी मुद्रा संकेत के रूप में बाजार में दिखाई देने वाले सेटअप भेजकर चार्ट के सामने समय बचाने में आपकी सहायता करते हैं। यदि आप निम्न में से किसी भी श्रेणी में आते हैं तो आप हमारे विदेशी मुद्रा संकेतों का उपयोग कर सकते हैं:

टेक्निकल एनालिसिस से परिचय

पिछले अध्याय में हमने टेक्निकल एनालिसिस की परिभाषा को समझा। इस अध्याय में हम विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण इसकी अवधारणाओं और इसके कुछ उपयोगिताओं को जानेंगे।

टेक्निकल एनालिसिस की सब से खास उपयोगिता यह है कि किसी भी तरीके के एसेट क्लास में इसका उपयोग किया जा सकता है। शर्त सिर्फ एक है कि उस एसेट क्लास का पुराना ऐतिहासिक डाटा उपलब्ध हो। ऐतिहासिक डाटा का मतलब है कि उस ऐसेट का ओपन , हाई , लो , क्लोज ( OHLC) और वॉल्यूम का डाटा मौजूद हो।

इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। अगर आपने एक बार कार चलाना सीख लिया तो आप किसी भी तरीके की कार चला सकते हैं। इसी तरह से अगर आपने एक बार टेक्निकल एनालिसिस सीख लिया तो आप इसका इस्तेमाल शेयर ट्रेडिंग , कमोडिटी ट्रेडिंग , विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग , फिक्स्ड इनकम प्रॉडक्ट , कहीं भी कर सकते हैं।

किसी भी दूसरे तरीके की तकनीक के मुकाबले टेक्निकल एनालिसिस का यह सबसे बड़ा फायदा है। उदाहरण के तौर पर फंडामेंटल एनालिसिस में आपको हर शेयर का घाटा मुनाफा , बैलेंस शीट , कैश फ्लो जैसी तमाम चीजें देखनी पड़ती है जबकि कमोडिटी के एनालिसिस में इनमें से बहुत सारी चीजें काम नहीं आती। आपको नए तरीके का डाटा इस्तेमाल करना पड़ता है।

2.3- टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं

टेक्निकल एनालिसिस इस बात पर ध्यान नहीं देती कि कोई शेयर अंडरवैल्यूड यानी अपनी वास्तविक कीमत से सस्ता है या ओवरवैल्यूड यानी अपनी वास्तविक कीमत से महंगा है। टेक्निकल एनालिसिस में सिर्फ एक चीज का महत्व है – और वह है शेयर का पुराना ट्रेडिंग डाटा और यह डाटा आगे आने वाले समय के बारे में क्या संकेत दे सकता है।

टेक्निकल एनालिसिस कुछ मूलभूत अवधारणाओं पर आधारित होती है , जिनके बारे में जानना जरूरी है :

  1. बाजार हर जरूरी चीज को कीमत में शामिल कर लेता है (Markets discount everything)- ये अवधारणा हमें बताती है कि किसी शेयर से जुड़ी हर सूचना या जानकारी उस शेयर की बाजार कीमत में शामिल हो जाती है। उदाहरण के तौर पर कोई व्यक्ति अगर किसी शेयर को चुपचाप बाजार से खरीद रहा है क्योंकि शायद उसे पता है कि कंपनी का अगला तिमाही नतीजा अच्छा आने वाला है तब शेयर से मुनाफा होगा। वह व्यक्ति भले ही ये छुपा कर कर रहा हो लेकिन शेयर की कीमतों में इसका असर दिखने लगता है। एक अच्छा टेक्निकल एनालिस्ट शेयर के चार्ट पर इसको पहचान लेता है और वह इस शेयर को खरीदने के लिए उपयुक्त मानता है।
  2. “क्यों” से ज्यादा जरूरी है “क्या”– यह अवधारणा पहली अवधारणा से ही मिली हुई है। हमारे पिछले उदाहरण में ही अगर देखें तो एक अच्छा टेक्निकल एनालिस्ट यह नहीं जानना चाहेगा कि उस व्यक्ति ने यह शेयर क्यों खरीदा? टेक्निकल एनालिस्ट का पूरा ध्यान इस बात पर होगा कि उस विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण व्यक्ति के छुपा कर की गई खरीदारी से शेयर की कीमतों पर क्या असर हो रहा है और आगे क्या होगा?
  3. कीमत में एक चलन दिखता है (Price moves in trend)– टेक्निकल एनालिसिस के मुताबिक कीमत में हर बदलाव एक खास ट्रेंड या चलन को बताता है। उदाहरण के तौर पर- निफ़्टी का 6400 से बढ़कर 7700 तक पहुंचना- एक दिन में नहीं हुआ। यह चलन 11 महीने पहले शुरू हुआ था। इसी से जुड़ी हुई एक दूसरी अवधारणा यह है कि जब एक तरफ की चाल शुरू होती है तो शेयर की कीमत भी उसी दिशा में बढ़ती जाती हैं , कभी उपर की तरफ तो कभी नीचे की तरफ।
  4. इतिहास अपने को दोहराता है– टेक्निकल एनालिसिस के मुताबिक कीमत का चलन अपने आप को दोहराता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बाजार के भागीदार एक तरीके की घटना पर हर बार एक ही तरीके की प्रतिक्रिया देते हैं। इसीलिए शेयर की कीमत एक ही तरीके से चलती हैं। उदाहरण के तौर पर ऊपर जा रहे बाजार में बाजार का हर खिलाड़ी किसी भी कीमत पर शेयर खरीदना चाहता है भले ही वह शेयर कितना भी महंगा हो। इसी तरीके से गिरते हुए बाजार में वह किसी भी कीमत पर बेचना चाहते हैं भले ही शेयर की कीमत अपनी वास्तविक कीमत से बहुत सस्ती हो। इंसान की इसी आदत की वजह से इतिहास अपने को दोहराता है।

2.4- बाजार पर नजर रखने का तरीका (The Trade Summary)

भारतीय शेयर बाजार सुबह 9:15 से 3:30 बजे तक खुले रहते हैं। इन 6 .15 घंटों में लाखों ट्रेड होते हैं। किसी एक शेयर में भी हर मिनट कोई ना कोई सौदा हो रहा होता विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण है। सवाल यह उठता है कि बाजार के भागीदार के तौर पर क्या हमें हर सौदे पर नजर रखनी चाहिए?

इसपर गहराई से नजर डालने के लिए हम एक काल्पनिक शेयर की बात करते हैं। नीचे के चित्र पर नजर डालिए , हर बिंदु एक ट्रेड को दिखलाता है। अगर हम हर सेकंड होने वाले वाले हर सौदे को इस ग्राफ पर दिखाएंगे तो इस ग्राफ में कुछ भी नहीं दिखेगा। इसलिए यहां केवल कुछ महत्वपूर्ण बिंदु ही दिखाए जा रहे हैं।

Daily Trade Pattern: दैनिक ट्रेड पैटर्न

बाजार सुबह 9 :15 बजे खुला और शाम के 3:30 बजे बंद हुआ। बाजार का रूख समझने के लिए , इस दौरान जितने भी ट्रेड हुए उन सब को देखने के बजाय उनका एक संक्षिप्त विवरण देख लेना ही काफी होगा।

विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग सिस्टम और रणनीतियाँ प्राप्त करना

एक दिन व्यापारी की मुद्रा व्यापार विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण प्रणाली को मैन्युअल रूप से लागू किया जा सकता है, या व्यापारी स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियों का उपयोग कर सकता है जो तकनीकी और मौलिक विश्लेषण को शामिल करता है। ये शुल्क के लिए, मुफ्त में उपलब्ध हैं, या अधिक तकनीक-प्रेमी व्यापारियों द्वारा विकसित किए जा सकते हैं।

इंटरनेट के माध्यम से खरीद के लिए स्वचालित तकनीकी विश्लेषण और मैनुअल ट्रेडिंग रणनीतियों दोनों उपलब्ध हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण महत्वपूर्ण है कि सफलता के मामले में ट्रेडिंग सिस्टम की “पवित्र कब्र” जैसी कोई चीज नहीं है। विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण यदि सिस्टम विफल-प्रूफ मनी मेकर था, तो विक्रेता इसे साझा नहीं करना चाहेगा। इस बात का सबूत है कि कैसे बड़ी वित्तीय कंपनियां अपने “ब्लैक बॉक्स” ट्रेडिंग कार्यक्रमों को लॉक और की के तहत रखती हैं।

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