5 Main Instruments of Money Market in India
Treasury bills, also known as Zero Coupon Bonds are the instrument of short term borrowing with maturity period of less than one year.
This instrument is issued by Reserve Bank of India on behalf of the Central Government for fulfilling short term requirements of funds. They are issued at discount and are paid at par.
This difference between the issue and the redemption price is the interest payable. They are highly liquid and no मुद्रा बाज़ार क्या हैं? risk of default of payment is there. They are issued of Rs.25, 000 or in multiples thereof.
For example, suppose an investor purchases a 108 days Treasury bill for Rs. 138,000 having face value of Rs. 1, 50, 000. On maturity, he receives Rs. 1, 50,000. The difference of Rs. 12, 000 in the issue and redemption price मुद्रा बाज़ार क्या हैं? is the interest received by him.
2. Commercial Paper:
Commercial Paper (CP) is a short term unsecured promissory note with maturity period of 15 days to one year. Since it is unsecured, it is issued by the large and creditworthy companies to meet their short term fund requirements.
Commercial Paper is issued at discount and redeemed at par. It is negotiable मुद्रा बाज़ार क्या हैं? and transferable by endorsement. The funds raised through Commercial Paper can be used for fulfilling seasonal and working capital need. For example, for meeting the floatation cost at the time of issue of shares and debentures i.e. Bridge Financing.
3. Call Money:
Call Money is short term finance used for interbank transactions. It has a maturity period of one day to fifteen days. All the commercial banks are required to maintain cash balance which is known as Cash Reserve Ratio (CRR).
The Reserve Bank of India keeps on changing this ratio from time to time thus affecting the availability of funds, for providing loans, with the banks. Call money is a facility under which banks borrow money from each other to maintain CRR at rate of interest known as Call Rate.
This rate keeps on changing from day to day and sometimes from hour to hour. The relationship between call rates and other short term instruments such as commercial papers, certificates of deposit etc. is an inverse relationship. An increase in call money rates increases the demand for other short term instruments.
4. Certificate of Deposit:
Certificates of deposit are short term instruments issued by commercial banks and financial institutions to the individuals, corporations and companies. They are unsecured and negotiable. Such instruments are usually issued by banks when they have a tight मुद्रा बाज़ार क्या हैं? liquidity position because of slow growth of bank deposits but the demand for credit is high.
5. Commercial Bills:
Commercial bill is a bill of exchange used to finance the credit sales of firms. It is a short term, negotiable and self liquidity instrument. In case of goods sold on credit, the buyer is liable to make the payment on a specific date in future.
The seller could either wait till the maturity date or can draw a bill of exchange. When मुद्रा बाज़ार क्या हैं? this bill is accepted by the buyer it becomes a marketable instrument and is called a trade bill. If the seller wants the funds before the maturity date, he can get the bill discounted from the bank. When a commercial bank accepts a trade bill it becomes a commercial bill.
भारत में मुद्रा और वित्त बाजार के साधन
मुद्रा बाजार एक ऐसा सेंटर है जहाँ अल्प कालीन स्वभाव की मौद्रिक संपत्तियों या प्रतिभूतियों (सामान्यतः एक वर्ष से कम अवधि की) का व्यापार होता है, जबकि वित्त बाजार, मध्यम और दीर्घकालीन फण्ड का बाजार है जहाँ लम्बी अवधि के लिए बचत बिकती है।
मुद्रा बाजार मुद्रा बाज़ार क्या हैं? एक ऐसा सेंटर है जहाँ अल्प कालीन स्वभाव की मौद्रिक संपत्तियों या प्रतिभूतियों (सामान्यतः एक वर्ष से कम अवधि की) का व्यापार होता है, जबकि वित्त बाजार, मध्यम और दीर्घकालीन फण्ड का बाजार है जहाँ लम्बी अवधि के लिए बचत बिकती है। मुद्रा बाजार में ट्रेज़री बिल, वाणिज्यिक पत्र/पेपर और बैंकरों की स्वीकृतियां आदि खरीदे और बेचे जाते हैं।
मुद्रा बाजार साधन (Money Market Instruments): मुद्रा बाजार अल्पकालीन पैसे के लिए एक बाजार है और वित्तीय परिसंपत्तिया पैसे की सबसे नजदीकी विकल्प होती हैं। लघु अवधि शब्द का आमतौर पर एक 1 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए प्रयोग किया जाता है ।
मुद्रा बाज़ार के मुख्य साधन इस प्रकार है:-
कॉल/ नोटिस मनी मार्केट (Call Money Market): कॉल/ नोटिस मनी वह पैसा है जो एक लघु अवधि के लिए उधार दिया या लिया जाता है। जब पैसा एक दिन के लिए उधार दिया या लिया जाता है तो इसे कॉल (ओवरनाइट) मनी के रूप में जाना जाता है, इस तरह के पैसे को एक दिन के लिए उधार लिया जाता है और अगले कार्यदिवस (छुट्टियों की संख्या की परवाह किए बगैर) पर चुकता कर दिया जाता है, इसे "कॉल मनी" कहा जाता है। जब पैसा 1 या उससे अधिक अथवा 14 दिनों से ज्यादा समय के लिए उधार लिया जाता है तो इसे "नोटिस मनी" कहा जाता है। इस तरह के लेनदेन के लिए किसी प्रकार की सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होती है।
इंटर- बैंक टर्म मनी (Inter- Bank Term Money): 14 दिनों से अधिक की अवधि की परिपक्व जमा राशि के लिए अंतर-बैंक बाजार को मुद्रा बाजार (Money Market) के रूप में जाना जाता है। इसके लिए वहीं नियम लागू होते हैं है जो कॉल/नोटिस मनी के लिए होते हैं, सिवाय कि मौजूदा नियम जिसमें निर्दिष्ट संस्थाओं को 14 दिनों से अधिक की अवधि के लिए उधार देने के लिए अनुमति नहीं होती है।
ट्रेजरी बिल्स (Treasury Bills): भारत में ट्रेज़री बिल्स की शुरुआत 1917 में पहली बार की गयी थी । लघु अवधि के लिए (एक वर्ष तक) केंद्र सरकार द्वारा उधार लेने के साधनों को ट्रेजरी बिल्स कहा जाता है। सरकार इसी के माध्यम से उधार लेती है । ये सर्वाधिक तरल प्रतिभूतियां होती हैं । इनका निर्गमन रिज़र्व बैंक के द्वारा सरकार के लिए किया जाता है। यह सरकार द्वारा किया गया एक वादा है जिसमें जारी होने की तिथि के एक वर्ष से कम अवधि के भीतर राशि का भुगतान करना होता है। इन्हें अंकित मूल्य के लिए एक छूट के तहत जारी किया जाता है
जमाराशियों का प्रमाण पत्र (Certificate of Deposits): जमाराशि के प्रमाणपत्र (सीडी) एक विनिमेय मुद्रा बाजार साधन है। यह डीमैट के रूप या एक बैंक में जमा राशि के लिए एक प्रमाणपत्र के रुप में या एक निर्धारित समय अवधि के लिए किसी अन्य वित्तीय संस्थान द्वारा जारी किया गया एक वचनबद्ध प्रमाणपत्र होता है।
वर्तमान में सीडी जारी करने के लिए दिशा-निर्देशों का नियंत्रण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है जिसमें समय -समय पर संशोधन भी किया जाता है। सीडी को निम्न संस्थान जारी कर सकते हैं:(I) निर्धारित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को छोड़कर वाणिज्यिक बैंक और स्थानीय क्षेत्रीय बैंक (एलएबी); (ii) तथा अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा यह अनुमति प्रदान होती है कि वे एक लघु अवधि के भीतर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय नीतियों के तहत संसाधन जुटाएं। बैंकों को अपनी आवश्यकताओं के आधार पर सीडी जारी करने की स्वतंत्रता है। एक वित्तीय संस्थान (एफआई) कुल मिलाकर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय निर्देशों के आधार पर सीडी जारी कर सकता है। इसे 1989 में शुरू मुद्रा बाज़ार क्या हैं? किया गया था।
वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper) (सीपी):
इसे मूलतः वाघुल समिति की संस्तुति पर मार्च 1989 को शुरू किया गया था। C.P. एक प्रतिज्ञा पत्र युक्त अल्प अवधि का प्रपत्र है जिसकी अवधि 7 से 90 दिन की होती है । सीपी की न्यूनतम परिपक्वता अवधि 7 दिनों की होती है। इसका निर्गमन बट्टा आधार पर होता है । सीपी साफ तौर पर एक समर्थन करने और वितरण से संबंधित समझौता है।
एक कंपनी जो सी.पी. जारी करने के लिए पात्र होगी- (क) कंपनी का कुल मूल्य, नवीनतम आडिटे की बैलेंस शीट के अनुसार 4 करोड़ रुपये से कम नहीं होनी चाहिए (ख) बैंकिग प्रणाली में कंपनी की कार्यशील पूंजी (निधि आधारित) की सीमा 4 करोड़ रुपये से कम नहीं होनी चाहिए और (ग) कंपनी के ऋण खाते को वित्तपोषण बैंक/ बैंको द्वारा तय एक मानक परिसंपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग क्रिसिल द्वारा पी -2 या अन्य एजेंसियों द्वारा तय इसी प्रकार की रेंटिंग होनी चाहिए।
पूंजी बाजार साधन (Capital Market Instruments): पूंजी बाजार में आम तौर पर निम्नलिखित दीर्घकालिक अवधि होती है, जैसे- एक वर्ष से अधिक की अवधि, वित्तीय साधनों; इक्विटी खंड में इक्विटी शेयर, प्रमुख शेयर, परिवर्तनीय मुख्य शेयर, गैर-परिवर्तनीय प्रमुख शेयर और ऋण खंड डिबेंचर, जीरो कूपन बांड, भीरी डिस्काउंट बांड आदि ।
हाइब्रिड साधन (Hybrid Instruments): हाइब्रिड साधनों में इक्विटी और डिबेंचर, दोनों विशेषताएं होती हैं। इस तरह के साधन को हाईब्रिड साधन कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर, परिवर्तनीय डिबेंचर, वारंट आदि।
'मुद्रा बाजार'
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाज़ार क्या हैं? मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.30 के स्तर पर खुला और कारोबार के अंत में यह 10 पैसे की तेजी के साथ 82.28 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान रुपये ने 82.08 के उच्चस्तर और 82.33 के निचले स्तर को छुआ. इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 82.38 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था.
Dollar vs Rupee Rate Today: विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी और विदेशी पूंजी की निकासी से स्थानीय मुद्रा प्रभावित हुई और उसमें बढ़त सीमित रही है.
Dollar vs Rupee Rate: विदेशी मुद्रा डीलरों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी और ताजा विदेशी फंड प्रवाह ने रुपये की गिरावट को रोक दिया है.
विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि विदेशी बाजार में कमजोर डॉलर और ताजा विदेशी पूंजी प्रवाह ने नुकसान को सीमित कर दिया.
Dollar Vs Rupee : अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.18 के भाव पर मजबूती के साथ खुला और थोड़ी ही देर में यह 81.14 के स्तर तक भी पहुंच गया.
दुनिया की प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के कमजोर पड़ने और घरेलू शेयर बाजार में जारी तेजी को बदौलत आज अंतरबैंकिंग मुद्रा बाजार में रुपया 43 पैसे मजबूत होकर 81.92 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया.
कारोबार के दौरान 82.02 के उच्च स्तर और 82.37 के निचले स्तर को छुआ. कारोबार के अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव 82.30 प्रति डॉलर के मुकाबले सात पैसे की गिरावट के साथ 82.37 प्रति डॉलर पर बंद हुआ.मुद्रा बाज़ार क्या हैं?
कच्चे तेल की कीमतों और डॉलर (Dollar) सूचकांक में मजबूती से अमेरिकी मुद्रा (American ) के मुकाबले रुपया गुरुवार को 55 पैसे गिरकर 82.17 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया.
अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.मुद्रा बाज़ार क्या हैं? 65 प्रति डॉलर के भाव पर खुला और जल्द ही 81.78 के स्तर पर गिर गया. इस तरह पिछले कारोबारी दिवस की तुलना में रुपये में 38 पैसे की गिरावट दर्ज की गई.
घरेलू शेयर बाजार (Share Market) में गिरावट और विदेशी बाजारों में डॉलर (Dollar) के मजबूत होने के कारण अंतरबैंक विदेशीमुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपये की विनिमय दर 26 पैसे की गिरावट के साथ 80 रुपये प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुई.
इकोनॉमिक्स शब्दावली: मुद्रा बाज़ार क्या हैं? क्या है विदेशी विनिमय मुद्रा बाजार, विशेष आर्थिक क्षेत्र, विनिवेश और वैधानिक तरलता अनुपात?
विदेशी विनिमय मुद्रा बाजार (Foreign Exchange Market): ऐसा बाजार जहाँ आज की नियत दरों पर मुद्राओं की खरीद बिक्री होती है - पर उस खरीदी-बेची गई मात्रा का वास्तविक हस्तांतरण भविष्य की किसी नियत तिथि को ही किया जाता है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones): ऐसे भौगोलिक क्षेत्रा जिनमें विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के ध्येय से देश के सामान्य आर्थिक कानूनों को पूर्णतः लागू नहीं किया जाता। विशेष रूप से बनाए गए आर्थिक क्षेत्रों में स्थापित हो चुके हैं। ये देश हैं- जनवादी चीन, भारत, जार्डन, पोलैंड, कजाकिस्तान, पिफलीपीन्स रूस आदि।
विनिवेश (Disinvestment): किसी कंपनी की पूँजी के एक अंश को जान-बूझ कर बेचना। इस प्रकार धन जुटाने के साथ-साथ उस कंपनी की हिस्सेदारी, रचना या प्रबंधन या दोनों, में बदलाव भी किये जा सकते हैं।
वैधानिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio): रिजर्व बैंक के आदेशानुसार बैंकों द्वारा वुफल जमाओं और सुरक्षित निधियों का तरल रूप में रखा जाने वाला अंश। नकद जमा अनुपात के साथ-साथ इस वैधानिक तरलता अनुपात का अनुपालन करना बैकों के लिए अनिवार्य होता है।
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