Short Question Answer: मनुष्यता Notes | Study Hindi Class 10 - Class 10

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न. 1. सरस्वती किसकी कथा कहती हैं?
उत्तर:
सरस्वती उदार व्यक्ति की कथा कहती हैं।

प्रश्न. 2. उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?
उत्तर:
उदार व्यक्ति की पहचान आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं उसके कार्यों से हो सकती है।

प्रश्न. 3. मनुष्यता कविता के अनुसार अनर्थ क्या है?
उत्तर:
मनुष्यता कविता के अनुसार अनर्थ एक भाई का दूसरे भाई के कष्टों का हरण न करना है।

प्रश्न. 4. मनुष्यता कविता के अनुसार आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं मनुष्य कौन है?
उत्तर:
मनुष्यता कविता के अनुसार मनुष्य वह है जो मनुष्य के लिए मरता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘मनुष्यता’ कविता में कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा गया है और क्यों ?
अथवा
कवि ने कैसी मृत्यु आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं को सुमृत्यु कहा है ?

उत्तर: मनुष्यता कविता में कवि ने उस मृत्यु को सुमृत्यु कहा है जिसे मरने के बाद भी लोग याद रखते हैं, अर्थात् जो मनुष्य मृत्यु के बाद संसार में यश रूप में स्मरण रखा जाता है।

प्रश्न 2. ‘मनुष्यता’ कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि पशु-प्रवृत्ति किसे कहा गया है और मनुष्य किसे माना गया है ?
उत्तर:
कवि के अनुसार जो मनुष्य स्वयं अपने लिए ही नहीं जीता, बल्कि समाज के लिए जीता है, वह कभी नहीं मरा करता। ऐसा मनुष्य संसार में अमर हो जाता है, स्वयं अपने लिए खाना, कमाना और जीना तो पशु का स्वभाव है। सच्चा मनुष्य वह है जो सम्पूर्ण मनुष्यता के लिए जीता और मरता है।

प्रश्न 3. कवि ने उदार व्यक्ति की क्या पहचान बताई है?
उत्तर:
मनुष्यता कविता में कवि ने उदार व्यक्ति की पहचान स्पष्ट करते हुए कहा है कि जो मनुष्य दूसरों के प्रति दया भाव, सहानुभूति, परोपकार की भावना, करुणा भाव, समानता, दानशीलता, विवेकशीलता, धैर्य, साहस, गुणों से परिपूर्ण होता है वह व्यक्ति उदार कहलाता है। ऐसे व्यक्ति की प्रशंसा समाज के लोगों द्वारा की जाती है तथा जो यश कीर्ति द्वारा समाज में आदर पाता है।

प्रश्न 4. कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?
उत्तर:
कवि ने निम्न पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए-
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।

प्रश्न 5. मैथिलीशरण गुप्त ने गर्व रहित जीवन बिताने के लिए क्या तर्क दिए हैं ?
उत्तर:

  • स धन-संपत्ति तुच्छ वस्तु है।
  • स हम सभी सनाथ हैं। ईश्वर सबके साथ है।

व्याख्यात्मक हल:
मैथिलीशरण गुप्त ने गर्व रहित जीवन बिताने के लिए तर्क देते हुए कहा है कि संसार में रहने वालों को यह समझ लेना चाहिए कि धन सपत्ति तुच्छ वस्तु है और हम सबके साथ सदैव ईश्वर है। हम अनाथ न होकर सनाथ हैं।

प्रश्न 6. ‘मनुष्य मात्र बंधु है’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: ‘मनुष्य मात्र बंधु है’ से हम यह समझते हैं पृथ्वी पर निवास करने वाले, समस्त मानव प्राणी मनुष्य हैं जो बंधुत्व (भाई) भावना से युक्त हैं। यही सबसे बड़ा ज्ञान है। उदाहरणार्थ-संकट से ग्रस्त, आपदा से युक्त होने पर हम परिचित-अपरिचित व्यक्ति की सहायता करते हैं। यही मनुष्य मात्र के प्रति बंधुत्व भाव है।

प्रश्न 7. इतिहास में कैसे व्यक्तियों की चर्चा होती है और क्यों ? ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर: इतिहास में उन व्यक्तियों की चर्चा होती है जो इस संसार के प्राणियों के साथ एकता और आत्मीयता का भाव रखता हो। ऐसे उदार व्यक्ति की प्रशंसा उसे हमेशा सजीव बनाए रखती है। उसी की प्रशंसा चारों ओर सुनाई देती है सारा संसार भी उसी उदार व्यक्ति की पूजा करता है। उदार व्यक्ति सारे संसार में अखंडता का भाव भरता है।

प्रश्न 8. कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है ?
उत्तर:
कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा इसलिए दी है, क्योंकि सभी प्राणी मूलतः एक हैं। वे एक ही पिता की संतान हैं। पूरी मानवता एक है। दूसरे, मनुष्य का धर्म है कि वह दूसरों को भी उठाने, बढ़ाने और तारने के काम आए।

प्रश्न 9. व्यक्ति को किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहिए? इस कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
व्यक्ति को निडर होकर, मनुष्यता के भाव से युक्त होकर, महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर, उदार, परोपकारी व्यक्ति के समान, अभिमान रहित, सभी मनुष्यों को अपना बंधु मानते हुए, सद्कर्म करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए।

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अब आपराधिक मनोरोगी की पहचान हुई आसान, जानें- क्‍या है लक्ष्‍ण

अब आपराधिक मनोरोगी की पहचान हुई आसान, जानें- क्‍या है लक्ष्‍ण

लंदन [ एजेंसी ]। यह शोध आपके लिए उपयोगी हो सकता है। क्‍या आपके आस-पास कोई मनोरोगी तो मौजूद नहीं है। दरअसल, आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं वैज्ञानिकों ने अपने शोध में गुनाह और मनोविकार का गहरा संबंध स्‍थापित किया है। कार्डिफ़ यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ साइकोलॉजी के शोधकर्ताअों ने मनोवैज्ञानिक अपराधियों के भौतिक लक्ष्‍णों को चिन्हित किया है। इन लक्ष्‍णों के अधार पर आप आपराधिक मनोरोगी को आसानी से पहचान सकते हैं।
दरअसल, अापराधिक प्रवृत्ति के मनोरोगी की आंखों की प्रतिक्रिया अन्‍य लोगों से विलग होती है। इससे उसकी पहचान करना आसान है। किसी स्‍ट्रेस करने वाले दृश्‍य पर उसकी आंखें असमान्‍य और असहज हरकते करती हैं। उनकी आंखों में अलग किस्‍म का खिंचाव पैदा होता है। इससे उनकी आंखों के आकार में बदलाव आता है। कार्डिफ़ और स्वानसी विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने इन दृश्‍यों की अांखों पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्‍ययन किया है। उनका दावा है कि इस दृश्‍य का मनोवैज्ञानिक अपराधियों और सामान्‍य व्‍यक्ति की आंखों पर पड़ने वाले प्रभाव में एक महत्‍वपूर्ण अंतर देखने को मिला। कार्डिफ़ यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ साइकोलॉजी के प्रमुख लेखक डॉ डैन बर्ली ने कहा कि हमारे निष्कर्ष मनोवैज्ञानिक अपराधियों के लिए सामान्य भावनात्मक घाटे का भौतिक प्रमाण प्रदान करते हैं।
मनोरागी की कैसे करें पहचान
एक मनोरोगी अपने विकार के आधार पर विभिन्न लक्षणोें को प्रदर्शित करते हैं। प्रोफेसर मनोचिकित्सा जैकब वेल्स ने कहा कि किसी से मिलने पर वह सबसे दिलचस्प व्यक्ति बनने की कोशिश करता है। मनोरोगी कभी-कभी आवाज या शरीर की भाषा सहित स्लिप-अप के साथ असंगत भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को प्रदर्शित करते हैं। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि वे भय और प्रेम जैसी भावनाओं को समझने में असमर्थ हैं, लेकिन उनकी नकल कर सकते हैं।
मनोरोगी अक्सर बेहद मोहक और करिश्माई होते हैं। इनके व्यक्तित्व को आकर्षक कहा जा सकता है। ये सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। सबकी प्रशंसा पाते हैं। इस रोग से ग्रसित लोग अपने आप को पूर्ण अधिकारी मानते हैं और केवल अपने मत और विश्वास को प्राध्यानय देते हैं। वे दूसरों के मतों कि उपेक्षा करते हैं। मनोरोगी अक्‍सर लज्जालु, आशंकित या निरुत्तर होते हैं। इनको अपना गुस्‍सा या अधीरता को छिपाने में दिक्कत होती हैं। ये हमेशा दुसरों के अपने भावों कि जल्दबाजी में प्रतिक्रिया देते हैं। मनोविकार से ग्रसित लोग असाधारण रूप से साहसी स्वभाव दर्शाते हैं। कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है कि वे सामाजिक नियमों के दायरे के बाहर जा कर कार्य करते हैं। वे अपने कार्यों के फल को या प्रतिक्रिया को सोचे बिना अजीबोगरीब और जोखिम भरे काम करते हैं।
मनोरोगी लोग अपराधी हो सकते हैं। कानून कि और सामाजिक नियमों कि उपेक्षा करने कि प्रवृत्ति के कारण इन व्यक्तियों का अतीत अपराध से जुड़ा हो सकता है। ये चोरी करने कि बीमारी से पीड़ित, धोखेबाज या खूनी भी हो सकते हैं। ये लोग पेशेवर झूठे होते हैं। ये लोग मनगढंत कहानियां बुनते हैं। अपने आत्मविश्वास और दृढ़ता के कारण और विचित्र एवं झूठे वाक्य बोलकर भी लोगो का भरोसा जीतते हैं। ये दूसरों से अपना काम करवाने में माहिर होते हैं। इनकी करिश्मा या ज़ोर ज़बरदस्ती के कारण इनकी मित्र या सहकर्मी इनकी हर बात मानते हैं। मनोरोगी व्‍यक्ति अपने कर्मों के लिए लज्जित होने या पछतावा करने में असमर्थ होता है। इन्होंने अगर किसी को चोट पहुंचाई है तो इसका उन्हें कोई पश्चाताप नहीं होता। ये आपको बेरुख और अपनी बात को सिद्ध करते हुए नज़र आएंगे।
इस विकार से ग्रसित व्यक्ति चालाक होते हैं। ये अपने आस-पास के लोगों को प्रभावित करने कि और उन पर वर्चस्व पाने कि कोशिश करते हैं। ऐसे व्यक्ति प्यार करने में असक्षम होता है। उनको अपनी भावनाओं को समझने में दिक्कत होती है।

अगर किसी दोस्त में नजर आ रहे हैं ये 7 संकेत, तो सचेत हो जाएं, आत्महत्या के हो सकते हैं लक्षण

आत्महत्या का विचार रखने वाला व्यक्ति अपनी स्थिति समझने में असमर्थ हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि आप आगे आएं और उनका ख्याल रखें।

सितंबर 10 विश्व आत्महत्या बचाव दिवस (National Suicide Prevention Day) के रूप में जाना जाता है।चित्र- शटरस्टॉक।

हर साल सैंकड़ों युवा आत्‍महत्‍या कर उस खूबसूरत आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं दुनिया को अलविदा कह देते हैं, जिस दुनिया को असल में उनके सपनों के रंग में रंगना था। यह एक व्‍यक्ति के सपनों का टूटना ही नहीं, एक परिवार की भावनाओं, समाज और देश की बहुमूल्‍य ऊर्जा का भी नुकसान है। इस कीमती जीवन को बचाने के लिए दुनिया भर में 10 सितंबर को विश्‍व आत्‍महत्‍या रोकथाम दिवस (world Suicide Prevention Day)के तौर पर मनाया जाता है। इसका उद्देश्‍य उन प्रवृत्तियों को पहचान कर आत्‍महत्‍या को रोकने का प्रयास करना है।

आत्‍महत्‍या को रोकना है जरूरी

‘आत्महत्या को कैसे रोका जा सकता है?’ सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद इस विषय पर जागरूकता बढ़ी है। टीवी चैनल से लेकर चाय की दुकानों तक यह चर्चा का विषय बना हुआ है। कोई आत्महत्या क्यों करता है? इसका कोई सटीक जवाब नहीं हो सकता। लेकिन उनके लक्षणों के पहचान कर आप उन्हें बचा जरूर सकते हैं।

दोस्त को आत्महत्या करने से बचायें। चित्र: शटरस्‍टॉक

अमेरिकन फाउंडेशन फॉर सुसाइड प्रीवेंशन के अनुसार आत्महत्या विश्व भर में मृत्यु का दसवां सबसे बड़ा कारण है। भारत आत्महत्या दर में विश्व भर में 43वें नम्बर पर है। युवाओं में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है आत्महत्या।

आत्महत्या का विचार व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता को हानि पहुंचाता है। मनोचिकित्सक मानते हैं कि अगर व्यक्ति के आत्मघाती विचारों को डाइवर्ट कर दिया जाए, तो उन्हें खुदकुशी करने से रोका जा सकता है।

अगर किसी आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं में ये लक्षण नजर आएं तो तुरंत हो जाएं सचेत

किसी के मन में क्या चल रहा है इसे कोई नहीं जान सकता। लेकिन उनके बर्ताव से इसे काफी हद तक समझा जा सकता है। यदि किसी के मन में आत्महत्या का विचार है, तो उनके बर्ताव में यह बदलाव साफ नजर आएंगे-

आत्महत्या का विचार रखने वाला व्यक्ति अपनी स्थिति समझने में असमर्थ हो जाता है।चित्र- शटरस्टॉक।

1. जीवन के प्रति असंतोष जताने वाली बातें कहना

यदि आपका कोई अपना इस तरह की बात कर रहा है, जिससे निराशा झलक रही है, तो यह चिंताजनक है। जीवन के प्रति नीरसता, निराशा और असंतोष प्रकट करना, यह कहना कि वे कितने अकेले हैं, जीवन में फंसे या जकड़े हुए हैं- यह आत्महत्या के लक्षण हैं।

2. बहुत अधिक या बहुत कम सोना

यदि कोई व्यक्ति जरूरत से अधिक या बहुत कम सो रहा है तो यह आत्महत्या के संकेत हो सकते हैं। बहुत अधिक सोना वास्तविकता से भागने का प्रयत्न हो सकता है, वहीं बहुत कम सोना मानसिक अशांति का संकेत है। दोनों ही तरह से व्यक्ति अपनी परेशानी व्यक्त कर रहा होता है। इस लक्षण को देखते ही आपको सचेत हो जाना चाहिए।

3. अपनी प्रिय वस्तुओं को दूसरों को देना या अपनी वसीयत बनवाना

अगर आपका करीबी बेवक्त अपनी वसीयत की चिंता करने लगे या कीमती वस्तुएं बांटे तो समझ लीजिए उनके मन में आत्मघाती विचार हैं।

4. बहुत अधिक शराब या ड्रग्स का सेवन

शराब या ड्रग्स भी वास्तविकता से भागने के माध्‍यम होते हैं। अक्सर परेशान या निराश व्यक्ति इस तरह के नशीले पदार्थों में सुख ढूंढ़ते हैं। जब यह स्थिति हाथ से निकलने लगती है, तो वे आत्महत्या के लिए प्रेरित हो जाते हैं।
अगर आपका कोई प्रिय बहुत अधिक शराब या ड्रग्स का सेवन करने लगे, तो उन पर नजर रखना शुरू कर दें।

कैसे पता करें कि दोस्त खुदकुशी करने वाला है?चित्र- शटरस्टॉक।

5. आत्महत्या से जुड़ी बातें करना या पढ़ना

अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या से जुड़ी बातें जैसे आत्महत्या कैसे कर सकते हैं, कैसे आत्महत्या सभी कष्टों का निवारण है या मरने के बाद क्या होता है- इस तरह की बातें कर रहा हो, तो सावधान हो जाएं।
अगर आपको डर है कि आपका मित्र ऐसा कदम उठा सकता है तो उनकी गूगल हिस्ट्री, चैट इत्यादि पर नजर रखें।

6. अचानक मूड स्विंग होना

अगर आपको लगता है कि आत्महत्या करने का विचार रखने वाला व्यक्ति हर वक्त दुखी या हताश रहता है तो ऐसा नहीं है। आत्महत्या करने वाला व्यक्ति बहुत तरह के मानसिक दबाव से गुजर रहा होता है, जिसमें उनका बर्ताव किसी एक प्रकार का नहीं होता। उससे उलट वे बहुत तीव्र मूड स्विंग से गुजरते हैं।
छोटी सी बात पर बहुत खुश हो जाना और उतनी ही जल्दी दुखी हो जाना, यह आत्महत्या के लक्षण हो सकते हैं। आत्महत्या ही नहीं, ऐसे मूड स्विंग कई गंभीर मानसिक रोगों के लक्षण होते हैं।

7. लोगों से पूरी तरह दूरी बनाना

ऐसे व्यक्ति समाज से खुद को काटने लगते हैं। इसका यह मतलब नहीं कि वह खुद को कमरे में बंद कर लेंगे। बजाय इसके, वे सबसे मिलते हैं, लेकिन खुद को जाहिर बिल्कुल नहीं करते। तन की दूरी ना होते हुए भी ऐसे व्यक्ति मन से सबसे दूर होते हैं। अपने बारे में बात करने से बचना, किसी से बात ना करना और झूठी खुशी दिखाना ऐसी खतरे की घण्टी हैं जिन्हें इग्नोर न करें।

आप क्या कर सकते हैं-

सबसे जरूरी है कि इन लक्षणों को पहचाना जाए। आत्महत्या के विचारों से गुजरने वाले व्यक्ति के लिए थेरेपी से लेकर मनोचिकित्सा के तमाम विकल्प होते हैं। लेकिन पहला कदम यही है कि कोई अपना उनके इस बर्ताव को समझे।
अगर आप को किसी अपने में यह लक्षण दिख रहे हैं, तो उनसे खुद बात करने के बजाय प्रोफेशनल मदद लें। आपके बात करने से स्थिति बिगड़ सकती है। इसलिए एक्सपर्ट से मदद लेना ही सुरक्षित है। सावधानी एक अनमोल जान बचा सकती है इसलिए इस जानकारी को आगे बढ़ाएं।

लेखक के बारे में
विदुषी शुक्‍ला

पहला प्‍यार प्रकृति और दूसरा मिठास। संबंधों में मिठास हो तो वे और सुंदर होते हैं। डायबिटीज और तनाव दोनों पास नहीं आते।

स्व पहचान से क्या समझते हैं विभिन्न कारकों का वर्णन करिये?

स्व पहचान से क्या समझते हैं विभिन्न कारकों का वर्णन करिये?

इसे सुनेंरोकें’स्व’ का मतलब होता है स्वयं की पहचान, स्वयं का व्यक्तित्व अर्थात् जो कुछ कोई व्यक्ति है। मोटे रूप में ‘स्व’ को ऐसे कथन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। जैसे – “मैं इस तरह का व्यक्ति हूं’ और “ये मेरी खूबियां और कमजोरियाँ हैं ।” इस तरह ‘स्व’ किसी व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व की ओर संकेत करता है।

पहचान के निर्माण से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंपहचान निर्माण , जिसे पहचान विकास या पहचान निर्माण भी कहा जाता है , एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें मनुष्य स्वयं और अपनी पहचान के बारे में एक स्पष्ट और अद्वितीय दृष्टिकोण विकसित करता है । आत्म-अवधारणा , व्यक्तित्व विकास और मूल्य सभी पहचान निर्माण से निकटता से संबंधित हैं।

आत्मा को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?

पहचान से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंपहचान एक खोज है – एक दृष्टि है और एक प्रवृत्ति को आत्मसात करना है। यह प्रवृत्ति हमें अपनी और दूसरों की छवि प्रदान करती है। इस मानक दृष्टिकोण के माध्यम से हम दूसरों से संबंध बनाते हैं। दूसरे शब्दों में, पहचान’ अपने अथवा अन्यों के संबंध में विकसित किया गया सामान्य विचार है।

स्व विकास क्या है?

इसे सुनेंरोकेंस्व-विकास की अवधारणा: हेनरी सिम्स के अनुसार, “आत्म-नियंत्रण उन व्यवहारों को संदर्भित करता है जो एक व्यक्ति जानबूझकर आत्म-चयनित परिणामों को प्राप्त करने के लिए करता है। व्यक्तिगत कर्मचारी लक्ष्यों का चयन करता है और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रक्रियाओं को लागू करता है। ”

व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों का स्वयं को समझने पर क्या प्रभाव पड़ता है?

इसे सुनेंरोकेंशारीरिक गठन और स्वास्थ्य शरीर आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं से हृष्ट-पुष्ट और सुन्दर व्यक्ति को देखकर लोग प्रभावित होते हैं। वे उसके शरीर के गठन की प्रशंसा करते हैं। इससे उस व्यक्ति के मानसिक पहलू पर प्रशंसा का प्रभाव ऐसा पड़ता है कि दूसरों की अपेक्षा वह अपने को श्रेष्ठ समझने लगता है और उसमें आत्मविश्वास और स्वावलम्बन के भाव पैदा हो जाते हैं।

सिद्धांत के निर्माण से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंतथ्यों के बीच सही कार्य-कारणात्मक संबंध स्थापित करने के पश्चात् कार्य-कारणात्मकता के एक ही ढांचे के अंतर्गत विभिन्न तथ्यों को एक साथ लाया जाता है। जिस प्रक्रिया द्वारा ऐसा किया जाता है उसे सिद्धांत निर्माण कहते हैं क्योंकि इस तरह से निकले संबंध को ही प्रायः सिद्धांत कहा जाता है।

व्यक्तिगत लेख से आप क्या समझते हैं वर्णन करें?

इसे सुनेंरोकेंनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी स्पेशल पब्लिकेशन 8८००-१२२ व्यक्तिगत रूप से पहचाने जाने योग्य जानकारी को “एक एजेंसी द्वारा रखे गए किसी व्यक्ति के बारे में किसी आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं भी जानकारी, (1) सहित किसी भी जानकारी को पहचानने या ट्रेस करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे कि” नाम, सामाजिक सुरक्षा संख्या, जन्म की …

आत्म प्रत्यय के कितने अवयव है?

इसे सुनेंरोकेंआत्म-प्रत्यय पद दो शब्दों से मिलकर बना है- आत्म + प्रत्यय इनमें आत्म का अर्थ है- जो कुछ कोई होता है। आत्म ‘जटिल समग्रता’ है जिसका विकास सामाजिक अन्तः क्रियाओं के परिणामस्वरूप होता है। इसकी परिभाषा विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न रूप में दी हैं।

स्वयं को समझने का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंआत्म ज्ञान :- व्यक्ति जब स्वयं के बारे में पूर्णतः परिचित होता है अर्थात् स्वयं को जानना – उसे आत्म ज्ञान कहते है। इस अवस्था में व्यक्ति के पास बहुत से शब्द, उनको व्याख्याओं का ज्ञान, अनुभव का संगठन होता है, जो उसे निरन्तर ज्ञान के मार्ग पर पहूँचाता है।

२ स्वयं को पहचानने का अर्थ प्रत्यक्ष में क्या करना?

इसे सुनेंरोकेंमन द्वारा विचार तरंगे उत्पन्न आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं करते हैं और ये विचार तरंगे इतनी तीव्र गति से कार्य करती हैं कि लगने लगता है कि मन स्वचालित है. स्वयं को समझने के लिए सर्व प्रथम दृढ़ निश्चय से आत्मा और शरीर को समझे कि मैं आत्मा हूँ और शरीर, मन प्राण इन्द्रियाँ मेरे साधन हैं. मैं ही इन का स्वामी और ये मेरे सेवक हैं.

suicide prevention day : आत्‍महत्‍या क्‍यों करते हैं लोग, कैसे करें इस प्रवृत्ति की पहचान

टाइम्स नाउ डिजिटल

Suicide warning signs : विश्व भर में आत्महत्या का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। ऐसे में हमें हमारे आसपास रह रहे लोगों का ख़्याल रखना चाहिए। ज़्यादातर आत्महत्याओं के लिए मानसिक तनाव को वजह माना जाता है।

world suicide prevention day reasons for committing suicide and how to identify Suicide warning signs

  • प्रति वर्ष करीब पंद्रह लाख लोग विश्व भर में आत्महत्या करते हैं।
  • समाज से दूर रहने वाले लोगों पर पड़ता है इसका सबसे अधिक प्रभाव
  • लोगों के हावभाव से मानसिक तनाव की पहचान की जा सकती है

साल 2003 से ही प्रतिवर्ष 10 सितंबर आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं को विश्व आत्मह्त्या निरोध दिवस (world suicide prevention day, WSPD) मनाया जाता है। इस दिवस को मानने का कारण है विश्व में आत्महत्या के लगातार बढ़ते मामले। इस दिन को मानने का मकसद लोगों को आत्महत्या की समस्या के प्रति जागरूक करना है। इस मुहिम की शुरुआत इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) ने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ (WFMH) के साथ मिल कर की थी। 2011 तक विश्व के 40 देश इस मुहि‍म का हिस्सा बनें। प्रतिवर्ष 1.5 मिलियन लोग सिर्फ खुदकुशी कर मरते हैं। हर दशक में ये आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।

जब मानव निराशा के अंत तक पहुंच जाता है तो उसे सिर्फ आत्महत्या के कुछ और नहीं सूझता। यह निराशा कई कारणों से हो सकती है। आत्महत्या ज्यादातर खुद को ऊंची जगह से कूद कर, खुद को पंखे से लटका कर, ज़हर का सेवन कर या बंदूक की सहायता से की जाती है। विश्व में कई धर्मों और संस्कृतियों में इस कृत को पाप माना गया है। कई मनोवैज्ञानिक अवस्थाएं आत्महत्या को बढ़ाती है जिनमें निराशा, जीवन में सकारात्मकता व आनंद की कमी, तनाव या व्यग्रता मुख्य रूप से शामिल हैं।

आत्महत्या की प्रवृति के संकेत
किसी व्यक्ति के आत्महत्या करने के से पूर्व उसके व्यावहारिक व शारीरिक आचरण में बदलाव आते हैं जो अन्य व्यक्तियों को संकेत देते हैं कि वह व्यक्ति आत्महत्या जैसे कृत को अंजाम देगा। यह संकेत मुख्यता दो तरह के होते हैं। या तो आप उसके व्यावहारिक आचरण (practical behaviour/ non verbal) से पहचान कर सकते हैं या उसकी अप्रत्यक्ष मौखिक अभिव्यक्ति(indirect verbal expression) द्वारा आप उसकी मनोस्थिति की पहचान कर सकते हैं। यह संकेत कुछ इस तरह हैं -

  1. व्यक्ति विशेष द्वारा सामाजिक दूरी बना लेना
  2. हाव भाव में बदलाव
  3. अपनी स्वच्छता पर ध्यान न देना और बाहरी सौंदर्य में भी रुचि न लेना
  4. आकस्मिक अशिष्टित आचरण करना
  5. खान पान में गिरावट, वजन में भी बदलाव
  6. हर समय विचलित रहना
  7. अधिक गुस्सा करना
  8. नींद की कमी
  9. शराब या नशीले पदार्थों का सेवन ज़्यादा करना
  10. अपनी कीमती वस्तुओं या सम्पत्ति से मुंह फेर लेना, हर वक्त भावुक रहना
  11. आशाहीन बातें करना, हर दम निराश रहना
  12. भविष्य में खुद को हरता हुआ देखना
  13. अपने आपको दूसरों पर बोझ समझना
  14. खुद को नकारा समझ लेना और अकेले रहना
  15. हमेशा अपनी मौत के बारे में बात करना
  16. हमेशा खुद के मरने की कामना करना।

आत्महत्या के भाव के आने की वजह
अपनी ज‍िन्दगी को आखि‍री अंजाम तक खुद पहुंचाना आसान नहीं होता। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो ऐसा इंसान तभी करता है जब वह एक नहीं कई वजहों से तनावग्रस्त होता है। आत्महत्या के भाव आने की निम्न वजहें हो सकती हैं -

  1. पहले कभी खुद को मारने की, की गई कोशिश
  2. शारीरिक विकलांगता या विकार
  3. सामाजिक बहिष्कार
  4. बार बार किसी के द्वारा प्रताड़ित होने से
  5. किसी बेहद ही खास रिश्तेदार या करीबी दोस्त की (आकस्मिक) मृत्यु
  6. लगातार नशे की लत का शिकार रहना
  7. मानसिक या मनोवैज्ञानिक रोग जैसे कि मानसिक तनाव, व्यग्रता या बाईपोलर, मनोविदलता मानसिकता (Schizophrenia)
  8. खुद में कई तरह के डर को घर करने देना
  9. किसी कानूनी प्रक्रिया में खुद को फंसा पना
  10. वित्तीय संकट
  11. कुसंगति के कारण किसी बड़ी मुसीबत में पड़ जाना।

आत्महत्या की रोकथाम
जिन व्यक्तियों आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं में उपरोक्त कहे लक्षण दिखते हैं उन्हें सबसे पहले मनोचिकित्सक से अपनी काउंसिलिंग करवानी चाहिए। अपनी स्वच्छता व खानपान पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। नियमित योग व ध्यान साधना में खुद को विलीन के लेना चाहिए। खुल कर अपने दिल का हर विचार किसी ऐसे व्यक्ति को नियमित बता देना चाहिए जिसपर भरोसा हो। अन्य व्यक्तियों को भी चाहिए कि वे ऐसे व्यक्तियों का खास खयाल रखें उन्हें भरोसे व प्यार की कमी न होने दें।

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