इमरान खान और उनका नया पाकिस्तान

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पाकिस्तान के नए चुने गए प्रधान मंत्री इमरान खान और रॉड्रिगो फ्यूचर्स और ऑप्शंस में समानताएँ दुतेर्दे व रेचप तैय्यब अर्दोआन जैसे कई दक्षिणपंथी लोकप्रियवादी निर्वाचित नेताओं के बीच बहुत ही सरलीकृत और घिसी-पिटी समानताएं निकाली जा रही हैं. ज्यादातर दक्षिणपंथी निर्वाचित नेताओं के पास करीब-करीब एक जैसे ही दबाव होते हैं और एक में जो विशेषताएं हैं वो दूसरों में भी पहचानी जा सकती हैं. लेकिन निश्चित संदर्भ, स्थितियां और इतिहास इन समानताओं और तुलनाओं को कमजोर और निरर्थक बना देते हैं. इसलिए कई लोगों की तरह ये दावा करना न सिर्फ गलत है कि इमरान खान "मोदी जैसे" या "ट्रंप जैसे" हैं बल्कि ये उन अनेकों विशिष्टताओं को कम करके आंकना होता है जो एक राजनीतिक नेता को श्रेणीबद्ध करती हैं. इसके अलावा इमरान क्या हैं और क्या होंगे ये महत्वपूर्ण तौर पर इस बात पर निर्भर करेगा कि वो संस्थान उन्हें क्या बनने की इजाजत देते हैं. मसलन पाकिस्तान की सेना जिसके इमरान एहसानमंद हैं.

सबसे पहले तो यहीं से शुरू करते हैं कि पाकिस्तान के 11वें आम चुनाव न तो स्वतंत्र थे और न ही निष्पक्ष थे. विस्तृत द्स्तावेज़, सबूत, किस्से और आरोप सुझाते हैं कि चुनावों से कई महीने पहले ही हेराफेरी हुई थी. इसके अतिरिक्त ऐसे अनेक संकेत हैं कि मतदान के दिन 25 जुलाई को जब नतीजे सुनाए जा रहे थे तब भी पारदर्शिता नहीं थी. चूंकि ये चुनाव बहुत ही करीबी मामला थे. जीतने और हारने वाले के बीच अंतर अकसर कुछ दर्जन निर्वाचन क्षेत्रों में काफी कम ही था. जीतने और हारने वाले उम्मीदवार के बीच मतों का जितना अंतर था उससे कहीं ज्यादा मतों को चुनाव आयोग के रिटर्निंग अफसरों ने रद् कर दिया. इनमें से कई निर्वाचन क्षेत्रों में वोटों की दोबारा गिनती का अनुरोध नामंजूर कर दिया गया.

चुनाव पूर्व हेराफेरी के हथकंडों का इस्तेमाल किया ही गया था. जैसे पूर्व प्रधान मंत्री नवाज़ शरीफ को फ्यूचर्स और ऑप्शंस में समानताएँ चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार कर दिया गया और बाद में उनको जेल में डाल दिया गया. सेना ने मीडिया पर नियंत्रण बनाकर रखा. न्यायपालिका ने खुल्लम-खुल्ला पक्षपाती रवैया दिखाया. लेकिन इन सबके अलावा ये भी किया गया कि सत्ता प्रतिष्ठानों द्वारा नए राजनीतिक दल बनाए गए और उन्हें खड़ा किया गया ताकि शरीफ के दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) के समर्थकों के वोट कमजोर किए जा सकें. इसमें एक प्रमुख उदाहरण एक इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान का दिया जा सकता है जिसे पाकिस्तानी सेना ने समर्थन दिया था. इस पार्टी ने पीएमएल-एन के वोट काटे जिसका नतीजा ये हुआ कि शरीफ की पार्टी को 13 संभावित सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. अन्य मिसालें भी हैं, जैसे विधानसभाओं में जो पीएमएल-एन के पूर्व सदस्य थे, उन्हें मनाया गया कि वे अपना पाला बदल लें, या तो इमरान खान के साथ जुड़ जाएं या फिर स्वतंत्र उम्मीदवार की तरह चुनाव लड़ें. इन लोगों की श्रेणी के लिए अब अपमानजनक ढंग से "द इलैक्टेबल्स" जुमले का इस्तेमाल किया जाता है.

अगर हम ये मान लें कि ये चुनाव न तो स्वतंत्र थे और न ही निष्पक्ष थे, और इनका एकमात्र उद्देश्य ये सुनिश्चित करना था कि नवाज शरीफ की पार्टी किसी भी कीमत पर दोबारा न जीते, तो फिर समाज विज्ञानियों ने ‘मतों से क्या उद्घाटित होता है’ इसे लेकर जो विश्लेषण किया है वो अधूरा है और संभवतः गलत है. मतदान से पहले के सर्वेक्षणों ने संकेत दिया था कि पीएमएल-एन जीतेगी और पंजाब व केंद्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी, बस इस स्थिति में कि अगर ये चुनाव निष्पक्ष होते. अगर ये होता तो इन चुनावी नतीजों के बारे में विश्लेषण बहुत अलग होता. इमरान खान के पक्ष में चुनावी धांधली के साथ, विश्लेषक दावा कर रहे हैं कि ये चुनाव "भ्रष्टाचार के बारे में" थे और इमरान की जीत असल में पाकिस्तान के नए मध्यम वर्ग की जीत है. मगर क्या वाकई में ऐसा था ये कहना मुश्किल है और जो कोई भी इन नतीजों को समाज विज्ञान के पैमानों का इस्तेमाल करते हुए सही ठहराने की कोशिश कर रहा है उसे अपने द्वारा किए जा रहे दावों को लेकर विशेषतौर पर सावधान होना पड़ेगा. अलग तरह के दावे करने के लिए बहुत सारे सबूत और बहुत सारे विरोधी-दावे मौजूद हैं.

ख़ैर, इमरान खान अगले हफ्ते पाकिस्तान के 19वें प्रधान मंत्री होंगे और पाकिस्तान के साथ उसके पड़ोसियों और पूरी दुनिया को इस सच्चाई के साथ जीना होगा. इमरान को किसी भी स्तर पर शासन करने का अनुभव नहीं है और फ्यूचर्स और ऑप्शंस में समानताएँ वे टीम भी ऐसी ला रहे हैं जिसका अनुभव बहुत ही कम है और जो पहली बार मंत्री बन रहे हैं. इस बीच इमरान के समर्थकों को उम्मीद है कि नए पाकिस्तान के हिस्से के तौर पर इससे राजनीति और जनप्रतिनिधित्व में एक ताज़ा और बेदाग़ दृष्टिकोण आएगा. बावजूद इसके इमरान को संसद में बेहद कड़े विपक्ष का सामना करना पड़ेगा. आखिरी बार ऐसा 1988 में हुआ था जब बेनज़ीर भुट्टो पाकिस्तान की राजनीति में एकदम नया चेहरा थीं. इस बार सरकार का विरोध करने वाले जो लोग हैं वो सरकार बनाने वाले के मुकाबले पाकिस्तानी राजनीति के खेल में बहुत अधिक तजुर्बा रखते हैं. यहां तक कि पंजाब में भी इमरान खान का उम्मीदवार बहुत आक्रामक विपक्ष का सामना करेगा.

इमरान को सत्तावादी, कट्टर, घमंडी, और अधीर आदमी माना जाता है, ऐसे में वो अपने निजी गुणों पर कैसे काबू पाते हैं ये उनके और उनकी सरकार की तरक्की में बेहद विशेष महत्व की बात होगी. उन्होंने पाकिस्तान और दुनिया को जीत के बाद जो भाषण दिया था उसमें हालांकि ऐसी कोई चारित्रिक विशेषता नहीं ज़ाहिर हुई और अगर कुछ जाहिर हुआ तो वो शंका का भाव था. अपने शांत और बुद्धिमत्तापूर्ण भाषण में इन भावी प्रधान मंत्री ने सामाजिक न्याय, समावेश, क्षमा, दोस्ती, साफ व सादगीभरी सरकार, पाकिस्तान के सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंधों की बात की. साथ ही साथ उन्होंने इस्लाम के सिद्धांतों में अपने नए-नए प्राप्त हुए विश्वास की बात की जिसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण था 8वीं सदी में पैगंबर मोहम्मद द्वारा मदीना शहर की नींव रखने का संदर्भ जिसे उन्होंने "प्रेरक" कहा.

कई विरोधाभास हैं जिन्होंने इमरान खान की निजी और राजनीतिक जिंदगियों फ्यूचर्स और ऑप्शंस में समानताएँ को घेरा हुआ है. चाहे उनकी नीयत और संकल्प सच्चा और नेक हो लेकिन उन्हें साधारण बहुमत पाने के लिए कई ऐसे राजनेताओं से हाथ मिलाकर पहले ही समझौता करना पड़ा जिन लोगों की उन्होंने पहले निंदा की थी. इसके अलावा पाकिस्तान की राजनीतिक अर्थव्यवस्था भी खासतौर पर चुनौतियां पेश करेगी. इमरान के सामने एक रौबदार और हावी होने वाली सेना है जो ये नियंत्रित करती है कि पाकिस्तान अपने पड़ोसियों के साथ कैसे बात करता है. वो उनको चुनाव में जिताने की एवज में अपने हिस्से की एक बड़ी कीमत मांगेगी. पाकिस्तान आर्थिक रूप से दूसरों पर बहुत निर्भर है. एक शत्रुवत और अनुभवी विपक्ष भी सामने है. इन सब वस्तुस्थितियों के बीच नया पाकिस्तान अधिकतर तो उसी पुराने मुल्क को वापस ला रहा है जिसे पीछे छोड़ने की उम्मीद इमरान खान ने की थी.

बाइक्स भारत में लॉन्च हुईं Kawasaki की दो सुपरचार्जड बाइक्स, इतनी है कीमत

नई दिल्ली: प्रसिद्ध मोटरबाइक निर्माता कंपनी Kawasaki ने देश में अपनी नई दमदार बाइक्स Z H2 और Z H2SE को लाॅन्च कर दिया है। यह बेहद आकर्षक मोटरबाइक्स, एक बेहतर और पावरफुल इंजन से लैस हैं। खबर है कि, Kawasaki की इन दोनों Z बाइक्स पर दुर्लभ ‘Kawasaki River Mark’ मौजूद है। यह इसलिए दुर्लभ और खास है क्योंकि, कंपनी का यह लोगो अथवा वॉटरमार्क केवल ऐतिहासिक मॉडल्स पर ही होता है।

इन दोनों बाइक्स में एक सुपरचार्ज, लिक्विड-कूल्ड 998cc डीओएचसी (DOHC) 16-वॉल्व इंजन लगाया गया है। जो 198 bHp की अधिकतम पावर देने के लायक है। साथ ही इसमें एफआई (FI) सेटिंग्स दी गई हैं जिससे लो-मिड रेंज में मजबूत टॉर्क की डिलीवरी सुनिश्चित होती है। वहीं इसमें लाइट क्लच लीवर ऑपरेशन के लिए सहायक और स्लिपर क्लच भी लगाया गया है।

फीचर्स

इसकी फीचर्स लिस्ट में ऑल-एलईडी लाइटिंग, इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर के लिए 4.3 इंच की टीएफटी कलर स्क्रीन, स्मार्टफोन कनेक्टिविटी के जरिए RIDEOLOGY ऐप आदि शामिल हैं। इन दोनों मोटरबाइक्स में राइडर के लिए इलेक्ट्रॉनिक ऐड्स भी खूब मिलते हैं, जिनमें कावासाकी ट्रैक्शन कंट्रोल, कावासाकी कॉर्नरिंग मैनेजमेंट फंक्शन, कावासाकी इंटेलिजेंट एंटी-लॉक ब्रेक सिस्टम, कावासाकी लॉन्च कंट्रोल मोड, कावासाकी क्विक शिफ्टर, इलेक्ट्रॉनिक क्रूज़ कंट्रोल, राइडिंग मोड्स के साथ पावर मोड सेलेक्शन को भी शामिल किया गया है।

कीमत और कलर ऑप्शंस

बहुत सी समानताएं होने के बावजूद इन दोनों गाड़ियों की कीमत में ज़रा अंतर। Kawasaki के Z H2 माॅडल की कीमत 21.9 लाख रुपये रखी गई है, और इसके Z फ्यूचर्स और ऑप्शंस में समानताएँ H2SE माॅडल की शुरुआती कीमत 25.9 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) है। बात करें कलर ऑप्शंस की तो, यह बाइक्स केवल एक रंग विकल्प मेटालिक डियाब्लो ब्लैक और गोल्डन ब्लेज़्ड ग्रीन में उतारी गई हैं।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter - 3 Himaalay Kee Betiyaan

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At this time, it is a tremendous task to make students give their 100% in studies. Especially फ्यूचर्स और ऑप्शंस में समानताएँ when it comes to subjects like Hindi, the challenge in making students understand in virtual classrooms becomes tougher. Many teachers are putting in their combined effort to guide the students in this difficult time. A good grade in Class 7 will serve as a strong foundation to improve their abilities. However, to complete this, they will need proper guidance as classroom sessions will not happen in the next few days.

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What is Chapter 3 Himalay Ki Betiyaan of Class 7 Hindi Vasant About?

Chapter 3 Himaalay Kee Betiyaan or the Daughters of the Himalayas, the author "Nagarjuna" has referred to the rivers emerging from the Himalayas as the ‘Betiyaan’ here. He has wonderfully personified the major rivers like Ganges, Yamuna and Sutlej which take many forms on their way to the ocean from the Himalayas. He has compared their fast movements and rippling sound of their water to children’s naughtiness and giggles.

The author brings out the contrast between the journey of these rivers in the lap of Himalayas and then in the plains. The author feels that upon reaching the plains, these rivers play the role of Mother Swarupini and help in the upbringing of mankind. Thus, the author feels a sense of respect for these rivers and believes that the ocean is fortunate as it gets the credit of being associated with these daughters of the mighty Himalaya.

Through Chapter - 3 Himaalay Kee Betiyaan of NCERT Class 7 Hindi Vasant, the author spreads the message that everyone - human or nature, keeps on changing their form, and is not always the same as we may see or think. So, what one may consider harmful to us can actually be beneficial. Therefore, one must consider all the aspects before reaching any conclusion.

‘मेरे वास्तविक और रील किरदार के बीच काफी समानताएं हैं’: विधि पांड्या

मुंबई। टीवी अभिनेत्री विधि पांड्या ने कहा कि ‘मोसे छल किए जाए’ में मेरे वास्तविक और रील किरदार के बीच काफी समानताएं हैं। वह सौम्या वर्मा नाम की एक महत्वाकांक्षी लेखिका की भूमिका निभा रही हैं। विधि को लगता है कि वह और उनका ऑन-स्क्रीन चरित्र काफी समानताएं साझा करता है।

विधि ने कहा, “मैं अपने चरित्र सौम्या वर्मा के साथ काफी समानताएं साझा करती हूं। वह सभी की देखभाल करती है और उन लोगों की मदद करने में संकोच नहीं करती जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। ”

विधि पहले ‘बिग बॉस 15’ शो में भी बतौर प्रतियोगी नजर आ चुकी हैं। इससे संबंधित उन्होंने और जानकारी साझा की है।

‘उड़ान’ की अभिनेत्री ने आगे कहा, “मैं कई मायनों में सौम्या से संबंधित हूं क्योंकि मैं भी ऐसी इंसान हूं जो किसी सीमा से बंधी नहीं है। एक और बड़ी समानता जो मैं अपने चरित्र के साथ साझा करती हूं वह यह है कि हम दोनों एक ही समय में दृढ़ और कमजोर हैं और हमेशा अच्छाई देखना चाहते हैं।”

‘मोसे छल किए जाए’ सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर प्रसारित होता है।

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