एलआईसी जीवन आरोग्य योजना (टेबल नं. 904)
एलआईसी की जीवन आरोग्य योजना एक नॉन-लिंक्ड(शेयर मार्केट से जुड़ा नहीं) स्वास्थ्य बीमा योजना है, जो आपको वर्तमान समय में बढ़ते स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों और उसपर होनेवाले खर्चों में मदद करता है। इस योजना में आप स्वयं, पत्नी, बच्चे, माता - पिता और इतना ही नहीं बल्कि अपने सास- ससुर को भी कवर कर सकते हैं। यह आपके पूरे परिवार के लिए एक विस्तृत स्वास्थ्य बीमा योजना है।
एलआईसी की जीवन आरोग्य योजना की विशेषताएँ:
- स्वयं, पत्नी, बच्चे, माता - पिता और सास-ससुर को कवर करनेवाला एकमात्र स्वास्थ्य बीमा योजना
- अस्पताल के खर्चे, शल्य क्रिया और बहुत कुछ के लिए कवर
- वास्तविक चिकित्सा खर्च की परवाह किए बगैर लाभ का भुगतान
- एक ही अस्पताल के खर्चे/ शल्य क्रिया में पहले से उपलब्ध मेडीक्लेम योजना के साथ इस योजना का लाभ
- विवाह या बच्चे के जन्म के साथ परिवार में अतिरिक्त सदस्य के लिए मौजूदा योजना का ही विस्तार
- अस्पताल से छुट्टी पर लाभ के लिए क्लेम करने के बजाय अस्पताल में भर्ती पर त्वरित नकद सुविधा उपलब्ध
- त्वरित नकद के तहत, एलआईसी द्वारा 50% का अग्रिम भुगतान (नेटवर्क अस्पताल में 57 शल्य चिकित्सा के तहत)
- बिलों के फोटोकॉपी के आधार पर राशि का भुगतान
- यहाँ पर नो क्लेम लाभ, प्रारंभिक चिकित्सा नकद लाभ का 5% है
एलआईसी जीवन आरोग्य में क्या क्या कवर होता है?
- अस्पताल में भर्ती पर नकद लाभ
- मुख्य शल्य चिकित्सा लाभ, दुर्घटना मृत्यु लाभ का 100 गुणा होता है
- डे केअर प्रक्रिया लाभ का लम्प सम भुगतान
- अन्य शल्य चिकित्सा लाभ(शेयर बाजार कितनी बार दुर्घटनाग्रस्त हुआ है जहाँ पर अन्य सारे शल्य चिकित्सा कवर होते हैं), अस्पताल भर्ती नकद लाभ/ दुर्घटना मृत्यु लाभ का 2 गुणा होता है
- केटेगरी 1 या 2 के तहत बड़े शल्य क्रियाओं के लिए हर एक बीमित व्यक्ति पर 1000 रूपए का एम्बुलेंस चार्ज दिया जाता है
- प्रीमियम छुट लाभ
- “अस्पताल में भर्ती पर नकद लाभ” तथा “मुख्य शल्य चिकित्सा लाभ” के अंतर्गत अगर कोई क्लेम हुआ है तो भी इसमें 5% से 50% की बढ़ोत्तरी
- प्रतिदिन रु.1000 से रु. 4000 तक चुनने का विकल्प
- प्रतिदिन रु. 4000 तक अधिकतम 720 दिनों के लिए
- प्रतिदिन रु. 8000 तक अधिकतम 360 दिनों के लिए ICU में
- 5 बार अस्पताल में भर्ती होने पर नकद लाभ/ दुर्घटना मृत्यु लाभ
- 140 शल्य चिकित्सा
- साल में 3 डेकेअर प्रक्रिया कवर और आजीवन 24 प्रक्रिया कवर
- दुर्घटना क्लेम - 0 दिन
- अस्पताल में भर्ती होने पर नकद लाभ/ दुर्घटना मृत्यु लाभ - पालिसी शुरू होने से 90 दिन तक
एलआईसी जीवन आरोग्य योजना में अतिरिक्त लाभ
- टर्म राइडर उअर दुर्घटना लाभ राइडर के रूप में दो विकल्प उपलब्ध
- नो क्लेम लाभ के रूप में हर वर्ष स्वास्थ्य लाभ में बढ़ोत्तरी
एलआईसी जीवन आरोग्य योजना में सहभागी होने की शर्तें तथा प्रतिबन्ध:
न्यूनतम | अधिकतम | |
अस्पताल में भर्ती पर प्रतिदिन लाभ(रु. में) | 1000/दिन(ICU के बिना) | 4000/दिन(ICU के बिना) |
मुख्य शल्य चिकित्सा लाभ(रु. में) | 1,00,000 | 4,00,000 |
पालिसीधारक/जीवनसाथी की प्रवेश आयु(वर्ष) | 18 | 65 |
बच्चों की प्रवेश आयु(वर्ष में) | 91 दिन | 17 |
माता-पिता की प्रवेश आयु(वर्ष में) | 18 वर्ष | 75 |
परिपक्वता पर आयु(वर्ष में) | - | 80 |
भुगतान की विधि | वार्षिक, छमाही, त्रैमासिक,मासिक(ECS मोड) |
एलआईसी जीवन आरोग्य योजना के नमूना प्रीमियम का चित्रण
नीचे दिया गया चित्रण एक अकेले व्यक्ति के लिए है जिसने अस्पताल में भर्ती लाभ रु. 1000 प्रतिदिन रखा है।
#Road_Accident: किन्नौर में बोलेरो कैंपर दुर्घटनाग्रस्त, 2 युवकों की मौके पर गई जान, 3 गंभीर घायल
पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपे, पुलिस मामला दर्ज कर दुर्घटना के कारणों की जांच में जुटी
Update: Tuesday, December 15, 2020 @ 9:50 PM
रिकांगपिओ। हिमाचल के किन्नौर जिला में एक दर्दनाक सड़क हादसे (Road Accident) में दो लोगों की मौत हो गई है। जबकि तीन लोग गंभीर घायल हुए हैं। यह हादसा बीती रात को किन्नौर (Kinnaur) के सांगला बटसेरी संपर्क सड़क मार्ग पर हुआ है। मंगलवार को पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिए हैं। वहीं, पुलिस ने मामला दर्ज कर आगामी जांच शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि बीती रात को एक बोलेरो कैंपर गाड़ी बटसेरी से रामपुर की तरफ जा रही। इसी दौरान सांगला बटसेरी संपर्क सड़क मार्ग पर अचानक गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त (Crashed) शेयर बाजार कितनी बार दुर्घटनाग्रस्त हुआ है शेयर बाजार कितनी बार दुर्घटनाग्रस्त हुआ है हो गई। हादसे के समय गाड़ी में पांच लोग सवार थे। जिसमें से दो की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि तीन गंभीर घायल हो गए। हादसे का पता चलते ही स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और पुलिस को भी सूचित किया।
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पुलिस और स्थानीय लोगों ने घायलों को सांगला अस्पताल (Hospital) पहुंचाया। जहां उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें रात को ही महात्मा शेयर बाजार कितनी बार दुर्घटनाग्रस्त हुआ है गांधी चिकित्सालय रामपुर (Mahatma Gandhi Hospital Rampur) रैफर कर दिया गया। हादसे में मृतक व्यक्तियों की पहचान रणवीर (25) पुत्र सुध राम निवासी बटसेरी जिला किन्नौर व चालक गोपाल सिंह (41) पुत्र केसरू राम निवासी डोबी तहसील रामपुर जिला शिमला के रूप में हुई है। जबकि घायलों की पहचान (21) वर्षीय रोहित कुमार पुत्र प्यारे लाल निवासी बटसेरी जिला किन्नौर, (29) वर्षीय सुंदर कुमार पुत्र वीर सिंह निवासी बटसेरी जिला किन्नौर व (33) वर्षीय काहन सिंह पुत्र कुम्भ दास निवासी बाड़ा तहसील रामपुर (Rampur) जिला शिमला के रूप में हुई है। एसपी किन्नौर एसआर राणा ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि बीती रात को सांगला बटसेरी संपर्क सड़क मार्ग पर एक गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई जबकि तीन लोग घायल हुए हैं। जिनमें दो को रामपुर रेफर कर दिया है। जबकि एक को उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। उन्होंने बताया कि मृतक व्यक्तियों के शवों का सीएचसी सांगला में पोस्टमार्टमकर करवाकर परिजनों को सौंप दिए हैं। वहीं पुलिस ने दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए मामला थाना सांगला में दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।
दुर्घटना होने पर कैसे लें थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का क्लेम, यह है आसान तरीका
आज हम आपको बताएंगे कि अगर आपके हाथों, ऊपर वाला न करें लेकिन अगर दुर्घटना हो जाती है तो आपको क्या कदम उठाने चाहिए।
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: June 19, 2021 14:56 IST
दुर्घटना होने पर आप पा सकते हैं थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, क्लेम पाने का यह है आसान तरीका
नई दिल्ली। भारत में कोई भी वाहन बिना थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के सड़कों पर नहीं चल सकती। अगर, बिना इंश्योरेंस के कोई भी वाहन सड़क पर चलता है तो यह अवैध है। आए दिन सुनने में आता है कि बस ने कार में टक्कर मार दी या मोटरसाइकिल सवार को कोई कार वाला कुचल गया। कई बार वाहन चालक पकड़ में आता है और कई बार उसका पता वाहन के नंबर से लगाया जाता है। दुर्घटना से चोट लगने या मृत्यु की स्थिति में थर्ड-पार्टी कवर की लिमिट नहीं बताई गई है। रकम पर कोर्ट के फैसला करने के बाद पूरा मुआवजा इंश्योरेंस कंपनी देती है। आज हम आपको बताएंगे कि अगर आपके हाथों, ऊपर वाला न करें लेकिन अगर दुर्घटना हो जाती है तो आपको क्या कदम उठाने चाहिए।
क्या है थर्ड पार्टी इंश्योरेंस?
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस मोटर वाहन अधिनियम के तहत अनिवार्य है। थर्ड पार्टी बीमा की आवश्यकता वहां होती है जब अनजाने में सड़क पर आप की वजह से कोई अनहोनी होती है। यह आपके वित्तीय बोझ को कम करता है। तीसरे पक्ष के दावे के मामले में पार्टी तय करने के लिए एक विशेष अदालत, मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल (MACT) स्थापित किया गया है जो दावों से संबंधित निर्णय की घोषणा करता है।
थर्ड पार्टी क्लेम का रजिस्ट्रेशन
थर्ड पार्टी क्लेम मोटर बीमा के मामले में दावों का सबसे सामान्य प्रकार होता है। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के निपटान मेँ MACT के साथ कानूनी प्रक्रिया शामिल है। इसलिए पुलिस को सूचित करने और प्राथमिकी दर्ज कराने की जरूरत होती है। अगर आप वाहन के मालिक हैं तो तत्काल आपको नुकसान के बारे में अपनी बीमा कंपनी को सूचित करना चाहिए। ऐसा करने के अलावा, थर्ड पार्टी क्लेम के मामले में कुछ दस्तावेज भी जरूरी होते है जैसे :
- बीमित व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किया गया क्लेम फॉर्म
- ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी, पालिसी और FIR की कॉपी
- वाहन की आरसी की कॉपी
- आवश्यक स्टांप यदि कंपनी के पंजीकृत वाहन के मूल दस्तावेज के मामले में
- कॉमर्शियल वाहन के मामले में परमिट और फिटनेस, जहां लागू होता हो
थर्ड पार्टी क्लेम की जल्द प्रोसेसिंग के लिए करें ये उपाए
- दुर्घटना स्थल से वाहन हटाने से पहले तुरंत दुर्घटना और उसकी वजह से हुए नुकसान की एक तस्वीर ले लें। क्लेम फॉर्म में विस्तार से और सही ढंग से घटना का वर्णन किया जाना चाहिए।
- सुनिश्चित करें कि घायल को नजदीकी अस्पताल में ले जाया जाए। अगर अस्पताल को भुगतान करना है तो बीमा कंपनी को तत्काल सूचित करें।
थर्ड पार्टी क्लेम के रजिस्ट्रेशन की समय-सीमा
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस क्लेम का जल्द से जल्द दर्ज किया जाना महत्वपूर्ण है। इसके लिए कोई लिखित नियम नहीं है, फिर भी दुर्घटना के 24 से 48 घंटे के भीतर बीमा कंपनी को सूचित करना जरूरी है।
परेशानी से बचने के लिए उठाएं ये कदम
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के दावों के शीघ्र निपटान मेँ प्रमुख बाधा जागरूकता की कमी है। वाहन वाले किसी भी व्यक्ति को परेशानी से बचने के लिए कुछ अहम बातोँ की जानकारी होनी चाहिए। सही समय पर सही व्यक्ति से मिलना महत्वपूर्ण है। अगर आपके दस्तावेज सही हैं, तो आप सीधे बीमा कंपनी से संपर्क कर सकते हैं। आपको अपना पूरा और संपर्क की सही जानकारी देनी चाहिए।
गौर करने वाली बात यह है कि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के मामले सामने आते ही बिचौलिए या दलाल सक्रिय हो जाते हैं। आपको इन से बचना चाहिए। ये बिचौलिए आपको आकर्षक मुआवजा राशि की पेशकश कर सकते हैं, लेकिन आप आंखें बंद कर इन पर विश्वास न करें। इसके बजाय, आप अपनी बीमा कंपनी के साथ इस बारे में बात करें।
अगर आपका मामला अदालत में लंबित है, तब भी आपको लिए बेहतर होगा कि आप लगातार अपनी बीमा कंपनी के संपर्क में रहें। नियमित रूप से संपर्क मेँ रहने से आपको अपने दावे की स्थिति के बारे में अद्यतन जानकारी मिलती रहेगी। कई बार, खुद की भागीदारी की कमी के कारण अदालत से दावा राशि के संग्रह की प्रक्रिया में देरी हो सकती है। अदालत से अपने पक्ष में पैसे की समय पर वसूली सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
आपकी सेकंड हैंड कार एक्सीडेंटल तो नहीं, ऐसे करें आसानी से पहचान
Second Hand Cars: एक्सीडेंट वाली कार रिपेयर कराकर डीलर ऐसी गाड़ियों को आपको बेच देते हैं. चेसिस, डूम, पिलर से इसका पता लगाया जा सकता है.
- Paurav Joshi
- Publish Date - July 6, 2021 / 05:28 PM IST
Second Hand Car: भारत में इस समय सेकेंड हैंड कारों (Second Hand Car) का मार्केट काफी बड़ा होता जा रहा है, लेकिन कई बार लोग पुरानी कार खरीदने में धोखा खा जाते हैं.
यहां हम आपको ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं, जिससे आप इस तरह के फ्रॉड से बच सकते हैं.
ऑफलाइन खरीदें कार
ऑनलाइन कार खरीदारी के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां लोगों को कोई और कार दिखाकर दूसरी कार दे दी गई. कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें एक्सीडेंटल कार को अच्छी तरह पेंट और तैयार करके आपको बेच दिया गया.
इसलिए कोशिश करें कि सेकेंड हैंड कार ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन तरीके से ही खरीदें.
ऐसे पता करें एक्सिडेंटल कार
1- कई बार एक्सीडेंट वाली कार में नया पेंट और रिपेयर कराकर डीलर ऐसी गाड़ियों को आपको बेच देते हैं. कार के चेसिस, डूम और पिलर से इसका पता लगाया जा सकता है.
आप कार खरीदते वक्त गाड़ी के चेसिस को नीचे की ओर से चारों तरफ से देखें. अगर आपको कहीं कोई प्ले या बेंड नज़र आता है, तो समझिए गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ है.
2- पिलर्स से भी काफी हद तक गाड़ी के एक्सीडेंटल होने का पता लगाया जा सकता है. जैसे ही दरवाजे खोलेंगे, तो वहां पिलर्स पर लगी रबर को हटाकर देखें, यहां बहुत सारे डॉट नजर आएंगे.
अगर इन डॉट में कहीं से क्रैक या ज्वाइंट दिखाई दे, तो भी गाड़ी के एक्सीडेंटल होने का पता लगाया जा सकता है.
3-आप कार के डूम को देखकर भी एक्सीडेंट का पता लगा सकते हैं. बोनट खोलकर इंजन के पीछे वाला हिस्सा जहां सस्पेंशन लगा होता है, वहां आपको डूम दिखाई देगा. जिसके ऊपर सस्पेंशन टिका होता है.
अगर कार का एक्सीडेंट हुआ है, तो सबसे पहले यही हिस्सा क्षतिग्रस्त होता है. इस डूम पर कंपनी की पेस्टिंग होती है, लेकिन एक्सीडेंट के बाद पेस्टिंग निकल जाती है और इसे दोबारा नहीं लगाया जा सकता.
कंपनी की तरफ से सिर्फ नई गाड़ियों में ही पेस्टिंग आती है. कंपनी पुरानी गाड़ी पर दोबारा पेस्टिंग नहीं करती.
4- गाड़ी को बिल्कुल समतल जगह पर खड़ी कर लें. हैचबैक गाड़ी है, तो कार से 6 से 7 फीट और अगर एसयूवी है तो 9 से 10 फीट दूर जाकर सेंटर में खड़े हो जाएं और गाड़ी की बनावट को ध्यान से देखें.
यही काम गाड़ी के बैक साइड में खड़े होकर भी करें. अगर आपको दोनों तरफ से गाड़ी की बनावट में कोई अंतर दिख रहा है (यानी कुछ झुका या उठा हुआ दिख रहा है) तो इससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि गाड़ी एक्सीडेंटल हो सकती है.
आपकी सेकंड हैंड कार एक्सीडेंटल तो नहीं, ऐसे करें आसानी से पहचान
Second Hand Cars: एक्सीडेंट वाली कार रिपेयर कराकर डीलर ऐसी गाड़ियों को आपको बेच देते हैं. चेसिस, डूम, पिलर से इसका पता लगाया जा सकता है.
- Paurav Joshi
- Publish Date - July 6, 2021 / 05:28 शेयर बाजार कितनी बार दुर्घटनाग्रस्त हुआ है PM IST
Second Hand Car: भारत में इस समय सेकेंड हैंड कारों (Second Hand Car) का मार्केट काफी बड़ा होता जा रहा है, लेकिन कई बार लोग पुरानी कार खरीदने में धोखा खा जाते हैं.
यहां हम आपको ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं, जिससे आप इस तरह के फ्रॉड से बच सकते हैं.
ऑफलाइन खरीदें कार
ऑनलाइन कार खरीदारी के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां लोगों को कोई और कार दिखाकर दूसरी कार दे दी गई. कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें एक्सीडेंटल कार को अच्छी तरह पेंट और तैयार करके आपको बेच दिया गया.
इसलिए कोशिश करें कि सेकेंड हैंड कार ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन तरीके से ही खरीदें.
ऐसे पता करें एक्सिडेंटल कार
1- कई बार एक्सीडेंट वाली कार में नया पेंट और रिपेयर कराकर डीलर ऐसी गाड़ियों को आपको बेच देते हैं. कार के चेसिस, डूम और पिलर से इसका पता लगाया जा सकता है.
आप कार खरीदते वक्त गाड़ी के चेसिस को नीचे की ओर से चारों तरफ से देखें. अगर आपको कहीं कोई प्ले या बेंड नज़र आता है, तो समझिए गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ है.
2- पिलर्स से भी काफी हद तक गाड़ी के एक्सीडेंटल होने का पता लगाया जा सकता है. जैसे ही दरवाजे खोलेंगे, तो वहां पिलर्स पर लगी रबर को हटाकर देखें, यहां बहुत सारे डॉट नजर आएंगे.
अगर इन डॉट में कहीं से क्रैक या ज्वाइंट दिखाई दे, तो भी गाड़ी के एक्सीडेंटल होने का पता लगाया जा सकता है.
3-आप कार के डूम को देखकर भी एक्सीडेंट का पता लगा सकते हैं. बोनट खोलकर इंजन के पीछे वाला हिस्सा जहां सस्पेंशन लगा होता है, वहां आपको डूम दिखाई देगा. जिसके ऊपर सस्पेंशन टिका होता है.
अगर कार का एक्सीडेंट हुआ है, तो सबसे पहले यही हिस्सा क्षतिग्रस्त होता है. इस डूम पर कंपनी की पेस्टिंग होती है, लेकिन एक्सीडेंट के बाद पेस्टिंग निकल जाती है और इसे दोबारा नहीं लगाया जा सकता.
कंपनी की तरफ से सिर्फ नई गाड़ियों में ही पेस्टिंग आती है. कंपनी पुरानी गाड़ी पर दोबारा पेस्टिंग नहीं करती.
4- गाड़ी को बिल्कुल समतल जगह पर खड़ी कर लें. हैचबैक गाड़ी है, तो कार से 6 से 7 फीट और अगर एसयूवी है तो 9 से 10 फीट दूर जाकर सेंटर में खड़े हो जाएं और गाड़ी की बनावट को ध्यान से देखें.
यही काम गाड़ी के बैक साइड में खड़े होकर भी करें. अगर आपको दोनों तरफ से गाड़ी की बनावट में कोई अंतर दिख रहा है (यानी कुछ झुका या उठा हुआ दिख रहा है) तो इससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि गाड़ी एक्सीडेंटल हो सकती है.
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