बिल लाने की तैयारी पर सरकार पर, 'बिटकॉइन' पर PM मोदी का वह क्या डर है?
PM Modi on Bitcoin: पीएम नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टो करेंसी पर पूरी दुनिया को सचेत करते हुए कहा कि यह किसी गलत हाथों में न जाए। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग एक अवसर है लेकिन इसे संभलकर प्रयोग करना है।
हाइलाइट्स
- पीएम मोदी ने क्रिप्टो करेंसी पर जताया है बड़ा डर
- मोदी ने कहा कि इसे गलत हाथों में जाने से रोकना होगा
- डिजिटल युग में दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों का भी पीएम ने किया जिक्र
पीएम मोदी ने क्रिप्टो करेंसी पर जताया बड़ा डर!
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देशों के राष्ट्रीय अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए इसके जरिए व्यापक जनहित में व्यापार और निवेश को भी प्रोत्साहित किया जा सकता है। उन्होंने क्रिप्टो-करेंसी या बिटकॉइन का उदाहरण देते हुए कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतांत्रिक देश साथ काम करें और यह सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में ना जाए, जो हमारे युवाओं को बर्बाद कर सकता है।’ प्रधानमंत्री ने बिटकॉइन का सामना करने वाली चुनौतियाँ कहा कि आज का डिजिटल युग देशों की पसंद और नापसंद का ऐतिहासिक अवसर है और यह उन पर निर्भर करता है कि वे इसका उपयोग कैसे करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें तय करना है कि हमारे युग के, प्रौद्योगिकी के सभी शानदार साधन सहयोग के लिए हैं या संघर्ष के लिए, बल द्वारा शासन के लिए हैं या पसंद के अनुरूप, प्रभुत्व के लिए हैं या विकास के लिए, दबाने के लिए हैं या अवसर के रूप में ?’
डिजिटल युग में क्या बदला, पीएम ने बताया
ऑस्ट्रेलिया की ओर से आयोजित ‘सिडनी संवाद’में पीएम मोदी ने कहा कि डिजिटल युग ने राजनीति, अर्थव्यवस्था बिटकॉइन का सामना करने वाली चुनौतियाँ और समाज को फिर से परिभाषित किया है और यह सार्वभौमिकता, शासन, नीति, कानूनों, अधिकारों और सुरक्षा को लेकर नए सवाल भी खड़े कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘यह अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा, ताकत और नेतृत्व को भी फिर से परिभाषित कर रहा है। इसने प्रगति और समृद्धि के नए अवसर भी पैदा किये हैं।’
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक साझेदारी को क्षेत्र एवं दुनिया के लिए एक कल्याणकारी ताकत बताया। उन्होंने डिजिटल युग में डाटा को सबसे महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, ‘भारत में हमने डाटा सुरक्षा, निजता और सुरक्षा के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार किया है। साथ ही साथ हम इसका उपयोग लोगों के सशक्तीकरण के स्रोत के रूप में कर रहे हैं।’ मोदी ने कहा कि कोई देश प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कैसे करता है, यह उसके मूल्यों और दृष्टि पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, ‘भारत की लोकतांत्रिक परंपराएं पुरानी हैं, इसकी आधुनिक संस्थाएं मजबूत हैं। हमने हमेशा से पूरे विश्व को एक परिवार माना है। भारत की आईटी प्रतिभा ने वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था निर्मित करने में भूमिका निभाई है। इसने वाई2के (कंप्यूटर संचार तंत्र को प्रभावित करने वाला एक तरह का वायरस) समस्या के समाधान में मदद की है। दैनिक जीवन में प्रौद्योगिकी और सेवा के अभ्युदय में भी योगदान दिया है। आज हम कोविन प्लेटफार्म दुनिया को मुफ्त में मुहैया करा रहे हैं और इसके सॉफ्टवेयर को सबके लिए हमने उपलब्ध कराया है।’
भविष्य में ये क्रिप्टोकरेंसी हो सकती है नंबर-1, है बिटकॉइन को पछाड़ने का दम?
बीते कुछ महीनों में क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में बहुत ज्यादा उथल-पुथल रही है. इस दौरान बिटकॉइन जैसी मजबूत क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू में 50% तक की गिरावट देखी गई है. इसके बाद से एक्सपर्ट्स को चिंता सताने लगी है कि क्या बिटकॉइन क्रिप्टो मार्केट की सरताज बनी रहेगी. (All Photos : File/Getty/Reuters)
क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में हाल के उतार-चढ़ाव के दौरान बिटकॉइन की वैल्यू ने 65,000 डॉलर के ऑल-टाइम हाई लेवल को छुआ, लेकिन ये डिजिटल करेंसी इस लेवल पर ज्यादा देर टिक नहीं सकी. इसकी वैल्यू ने लगभग 50% का गोता लगाया और ये 30,000 डॉलर प्रति बिटकॉइन रह गई.
कॉइनगेको का डेटा दिखाता है कि बिटकॉइन का मार्केट शेयर भी गिरा है. 2020 की शुरुआत से पहले क्रिप्टोमार्केट में बिटकॉइन 70% क्रिप्टो मार्केट पर राज करता था. अब ये घटकर 42% पर आ गया है. अगर डॉलर के टर्म में देखें तो पूरे क्रिप्टोमार्केट की वैल्यू में कुल बिटकॉइन की वैल्यू 1,600 अरब डॉलर की रह गई है.
बिटकॉइन की वैल्यू में गिरावट की दो बड़ी वजह है. इनमें से एक चीन का क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नियम कड़े करना. दूसरी वजह हैं टेस्ला के प्रमुख एलन मस्क. बिटकॉइन को लेकर उनके बार-बार अपना रुख बदलने से इस डिजिटल करेंसी की वैल्यू को काफी चोट पहुंची है. लेकिन वो कौन सी करेंसी है जो बिटकॉइन को लगातार चुनौती दे रही है.
बिटकॉइन के बाद बाजार में एथेरियम को दूसरे नंबर की क्रिप्टोकरेंसी माना जाता है. ये लगातार बिटकॉइन की नंबर एक की पदवी को चुनौती दे रही है. बीते एक साल में एथेरियम की वैल्यू में 900% की ग्रोथ हुई है जबकि बिटकॉइन मात्र 275% चढ़ा है.
मार्केट शेयर के मामले में भी एथेरियम ने अपने आप का मजबूत किया है. इसने मई महीने में बिटकॉइन से 350 अरब डॉलर का अंतर कम किया है. इस तरह इसकी हिस्सेदारी तो बढ़ी है, हालांकि ये अभी भी बिटकॉइन से काफी पीछे है.
बिटकॉइन और एथेरियम की वैल्यू में गिरावट को अगर देखा जाए तो तो मई महीने में एथेरियम मात्र 11% गिरा है. जबकि बिटकॉइन की वैल्यू में 37% तक की गिरावट देखी गई है. एक्सपर्ट्स एथेरियम के मजबूत होने की क्या वजह मानते हैं.
एथेरियम में निवेश करने वाले निवेशक और विशेषज्ञों का मानना है कि इस डिजिटल करेंसी के लगातार मजबूत होने की दो बड़ी वजह हैं. पहला ब्लॉकचेन बेस्ड फाइनेंशियल सर्विसेस की लोकप्रियता बढ़ना. दूसरा एथेरियम की टेक्नोलॉजी में होने जा रहा एक बड़ा अपग्रेड जो उसके काम करने के तरीके को बदल देगा.
डिजिटल करेंसी को माइन करने और मेंटेन करने में काफी ऊर्जा की खपत होती है. एथेरियम अपनी टेक्नोलॉजी में जो अपग्रेड करने जा रहा है उससे इसे चलाने में उपयोग होने वाली ऊर्जा में 99.5% तक की बचत होगी. जबकि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दे का सामना करना पड़ सकता है. इससे भविष्य में संभावना है कि ज्यादा लोग एथेरियम में निवेश करें.
क्रिप्टोकरेंसी बाजार: पिछले 7 दिनों में बिटकॉइन, इथेरियम में 10 फीसदी से अधिक की गिरावट
ElonHype में पिछले 24 घंटों के दौरान 384.65 फीसदी का जबरदस्त उछाल देखने को मिला है.
भारतीय समयानुसार सुबह 10:23 बजे तक ग्लोबल क्रिप्टोकरेंसी मार्केट कैप (Global Crypto Market Cap) 0.06 फीसदी बढ़कर 1.02 ट . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : August 23, 2022, 10:51 IST
हाइलाइट्स
क्रिप्टो मार्केट कैप के लिए 1.10 ट्रिलियन डॉलर को पार करना फिलहाल एक चुनौती है.
बिटकॉइन पिछले 7 दिनों के अंदर 11.29 प्रतिशत गिरावट दिखा चुका है.
इथेरियम में आज 0.92 फीसदी की गिरावट है, जबकि यह पिछले 7 दिनों में 13.84 प्रतिशत गिरा है.
नई दिल्ली. क्रिप्टोकरेंसी मार्केट आज मंगलवार को लगभग स्थिर है. अधिकतर कॉइन्स में हल्की गिरावट दिखने को मिली है. भारतीय समयानुसार सुबह 10:23 बजे तक ग्लोबल क्रिप्टोकरेंसी मार्केट कैप (Global Crypto Market Cap) 0.06 फीसदी बढ़कर 1.02 ट्रिलियन डॉलर है. फिलहाल क्रिप्टो मार्केट कैप के लिए 1.10 ट्रिलियन डॉलर को पार करने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
Coinmarketcap के आंकड़ों के अनुसार खबर लिखे जाने के समय तक बिटकॉइन का प्राइस (Bitcoin Price Today) 0.64 फीसदी गिरकर 21,304.03 डॉलर पर है. बिटकॉइन पिछले 7 दिनों के अंदर 11.29 प्रतिशत गिरावट दिखा चुका है. दूसरे सबसे बड़े कॉइन इथेरियम का प्राइस (Ethereum Price Today) पिछले 24 घंटों में 0.92 फीसदी की गिरावट के साथ 1,614.82 डॉलर पर पहुंच गया है. इथेरियम में पिछले 7 दिनों में 13.84 प्रतिशत गिरावट आई है. बाजार में बिटकॉइन का डोमिनेंस 39.9 प्रतिशत है, जबकि इथेरियम का प्रभुत्व 19.3 फीसदी है.
किस क्रिप्टोकरेंसी का क्या हाल
-बीएनबी (BNB) – प्राइस: $299.34, बदलाव: +0.37%
-एक्सआरपी (XRP) – प्राइस: $0.3396, बदलाव: -0.14%
-कार्डानो (Cardano – ADA) – प्राइस: $0.4573, बदलाव: -0.29%
-सोलाना (Solana – SOL) – प्राइस: $35.34, बदलाव: -2.55%
-डोज़कॉइन (Dogecoin – DOGE) – प्राइस: $0.06847, बदलाव: -0.17%
-पोल्काडॉट (Polkadot – DOT) – प्राइस: $7.42, बदलाव: +0.74%
-शिबा इनु (Shiba Inu) – प्राइस: $0.00001318, बदलाव: -1.28%
-पॉलिगॉन (Polygon – MATIC) – प्राइस: $0.8168, बदलाव: +0.76%
-एवलॉन्च (Avalanche) – प्राइस: $22.71, बदलाव: -0.10%
सबसे ज्यादा उछलने वाली क्रिप्टोकरेंसी
Coinmarketcap के अनुसार, पिछले 24 घंटों के भीतर सबसे ज्यादा बढ़ने वाले तीन कॉइन्स में ElonHype, Golden Goal (GDG), और PEPEGOLD (PEPE) शामिल हैं. बता दें कि ये वो क्रिप्टोकरेंसीज़ हैं जिनमें 50 हजार डॉलर से अधिक की वॉल्यूम रहती है.
ElonHype में पिछले 24 घंटों के दौरान 384.65 फीसदी का जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. इसका प्राइस 0.0001961 डॉलर पहुंच गया है. सबसे ज्यादा बढ़ने वाले कॉइन्स में Golden Goal (GDG) दूसरे स्थान पर है. इसमें 376.87 फीसदी का उछाल आया है और इसका मार्केट प्राइस 0.007439 डॉलर हो गया है. PEPEGOLD (PEPE) तीसरे नंबर पर है और इसमें बिटकॉइन का सामना करने वाली चुनौतियाँ 236.87 प्रतिशत का उछाल आया है. इसका मार्केट प्राइस 0.00005424 डॉलर पर पहुंच गया है.
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क्रिप्टोकरेंसी की मौद्रिक और वित्तीय चुनौतियाँ
पूंजी नियंत्रण उपाय : ऐसे उपाय जिनके माध्यम से किसी सरकार, केंद्रीय बैंक या अन्य नियामक निकायों द्वारा देश में या उसके बाहर बिटकॉइन का सामना करने वाली चुनौतियाँ पूंजी के हस्तांतरण को सीमित या विनियमित किया जाता है । इन नियंत्रणों में कर, शुल्क, कानून, मात्रात्मक प्रतिबंध और बाज़ार-आधारित कारक शामिल हैं।
- वास्तविकता यह है कि चाहे ‘निजी तौर पर जारी क्रिप्टोकरेंसी’ पर कितनी ही व्यापक बहस क्यों ना हो, पर इसके वृहद् नतीजों पर अधिक ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जैसे- यदि भविष्य में क्रिप्टोकरेंसी सट्टा संपत्तियों के विनिमय का व्यवहार्य माध्यम बनता है तो इसका मौद्रिक, वित्तीय और विनिमय दर की नीतियों के संचालन पर क्या प्रभाव होगा।
- वास्तव में, एक निजी डिजिटल मुद्रा यदि फ़िएट मुद्राओं के साथ प्रतिस्पर्धा करती है तो मौद्रिक नीति के निर्धारण को यह किस प्रकार से प्रभावित कर सकती है, इसे लैटिन अमेरिकी अर्थव्यवस्थाओं के ‘डॉलराइज़ेशन’ से समझा जा सकता है।
लैटिन देशों का डॉलराइजेशन : जैसे-जैसे घरेलू नागरिकों का अपनी मुद्रा से विश्वास उठता गया उन्होंने सुरक्षा और स्थिरता के लिये अमेरिकी डॉलर में लेन-देन करना आरंभ कर दिया। इससे घरेलू मौद्रिक नीति अप्रभावी हो गई क्योंकि केंद्रीय बैंक के लिये नई मुद्रा के प्रचालन के बाद ब्याज दरों का निर्धारण करना और डॉलर में घरेलू मौद्रिक तरलता को नियंत्रित करना संभव नहीं था।
- अतः बड़े पैमाने पर निजी डिजिटल मुद्राओं को विनिमय के माध्यम के रूप में अपनाने से व्यापार चक्र की आवश्यकताओं और बाह्य आर्थिक चुनौतियों के प्रभावी समाधान के लिये घरेलू मौद्रिक नीति उतनी प्रभावशाली नहीं रह जाएगी।
क्रिप्टोकरेंसी के विनिमय का माध्यम बनने की संभावनाएँ
- वैश्विक वित्तीय संकट के बाद जी-3 देशों (अमेरिका, जापान और जर्मनी) के केंद्रीय बैंकों की बैलेंस शीट में अभूतपूर्व विस्तार से फ़िएट मुद्राओं के मूल्यह्रास (Debasement) का डर बढ़ा है।
- परिणामस्वरूप, बिटकॉइन के संस्थापकों ने बिटकॉइन की कुल आपूर्ति को संतुलित कर मूल्यह्रास की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया है, जिससे भविष्य में बिटकॉइन विनिमय का एक व्यवहारिक विकल्प बन सके।
- चूँकि, समग्र आपूर्ति बेलोचदार होती है अतः मांग में उतार-चढ़ाव से कीमत में भी उतार-चढ़ाव होगा, जिससे बिटकॉइन को विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि बिटकॉइन सट्टा संपत्ति (asset) में परिवर्तित हो गई।
- इस समस्या के समाधान हेतु, ‘स्टेबलकॉइन्स’ को पेश किया गया है, जिसका मूल्य फ़िएट मुद्रा के बराबर रिज़र्व बनाए रखते हुए अनुमानित किया गया है। इसकी तुलना ‘मुद्रा बोर्ड’ के विनिमय दर व्यवस्था से की जा सकती है।
- ये ‘स्टेबलकॉइन्स’ तुलनात्मक रूप से अधिक मूल्य स्थिरता प्रदान करके, विनिमय के व्यवहारिक माध्यम का कार्य कर सकते हैं, इसी कारण हाल के वर्षों में इनका प्रचलन तेज़ी से बढ़ा है। फिर भी यह मुद्रा के प्रतिस्थापन की मात्रा के आधार पर मौद्रिक नीति के लिये चुनौती उत्पन्न कर सकता है।
- आई.एम.एफ. के अनुसार, यदि क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग केवल ‘ज़रूरी उद्देश्यों’, जैसे- धन का अंतर्देशीय हस्तांतरण और प्रेषण (remittance) के लिये किया जाता है तो यह मौद्रिक नीति के लिये चुनौती साबित नहीं होगा।
विनिमय का माध्यम बनने से उत्पन्न चुनौतियाँ
- विशाल नेटवर्क और अन्य सेवाओं से जुड़े होने के कारण डिजिटल मुद्रा तेज़ी से प्रचलन में आ सकती है। परिणामतः डिजिटल मुद्राओं में विनिमय के बढ़ने से फ़िएट मुद्राओं के साथ प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इससे वैश्विक मौद्रिक प्रणाली के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो सकता है।
- साथ ही, देशों के सामानांतर वैश्विक बिटकॉइन का सामना करने वाली चुनौतियाँ आर्थिक गतिविधियों को संचालित कर डिजिटल मुद्राएँ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को अप्रासंगिक बना सकती हैं। इन मुद्राओं की विश्वसनीयता और स्वीकृति यदि बढ़ती है तो इनके जारीकर्ता फ़िएट मुद्राओं के साथ विवेकशील सामंजस्य को प्राथमिकता नही देंगे।
- ऐसा स्थिति में स्वतंत्र मौद्रिक नीति संचालित करने वालों पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं होगा जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को ‘डॉलरीकरण’ के समान चुनौतियों का सामना करना होगा।
राजकोषीय नीतियों के लिये निहितार्थ
- डिजिटल मुद्राओं में अधिक प्रतिस्थापन होने से, सरकारों को फ़िएट मुद्रा जारी करने पर राजस्व की हानि होगी। साथ ही, क्रिप्टोकरेंसी कर चोरी को बढ़ावा दे कर राजस्व प्राप्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
- क्रिप्टोकरेंसी में प्रतिस्थापन मौद्रिक नीतियों की दक्षता को कम कर सकता है, साथ ही राजकोषीय नीतियों पर भी इसका सामान प्रभाव पड़ेगा। इससे घरेलू और वैश्विक आर्थिक संकटों का जवाब देने में राजकोषीय नीतियाँ उतनी प्रभावशाली नहीं रहेंगी।
- महामारी से वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक ऋणों में वृद्धि हुई है। परिणामतः डिजिटल मुद्राओं के प्रचालन का उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा।
विनिमय दर पर प्रभाव
- चूँकि, क्रिप्टोकरेंसी का संचालन विदेशों से होता है, इसलिये इनकी मांग चाहे परिचालन के उद्देश्य से हो या फिर सट्टे के, यह पूंजी के बहिर्गमन को उत्प्रेरित करेगा। वहीं, यदि क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग का कार्य देश में शुरू किया जाता है तो यह पूंजी को आकर्षित करने का कार्य करेगा।
- इससे पूंजी खाते की अस्थिरता में वृद्धि हो सकती है और यह पूंजी प्रवाह के उपायों को भी दरकिनार कर सकता है, वास्तव में यह पूंजी खाते की परिवर्तनीयता को बढ़ाते हैं, जिससे उभरते बाज़ारों में ‘नीतिगत त्रिकोणीय द्वंद्व’ (Policy Trilemma) को बढ़ावा मिलता है।
- इसका सीधा असर मुद्रा बाज़ार पर भी पड़ेगा। जैसा कि वर्ष 2021 की वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट रेखांकित करती है, स्थानीय रुपया-बिटकॉइन बाज़ार, डॉलर-बिटकॉइन बाज़ार और रुपया-डॉलर बाज़ार के बीच एक त्रिकोणीय सामंजस्य होना चाहिये।
- नतीजतन, रुपया-बिटकॉइन बाज़ारों में बदलाव अनिवार्य रूप से रुपए-डॉलर के बाज़ारों को भी प्रभावित करेगा।
क्रिप्टोकरेंसी अपनाने के वृहद् प्रभाव जटिल और परस्पर जुड़े हुए हैं। इसलिए, वर्तमान में सट्टा संपत्ति के रूप में क्रिप्टोकरेंसी के लिये बढ़ते घरेलू आकर्षण और इससे संबंधित नियामक प्रभावों के बारे चिंता उचित है। लेकिन, वास्तविक चुनौतियाँ तब सामने आएगी, जब गैर-समर्थित निजी डिजिटल मुद्राओं को विनिमय के व्यवहार्य माध्यम के रूप में देखा जाएगा। अतः इसके लिये राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक दिशा-निर्देशों के साथ-साथ उचित नीतियों को तैयार कर उन्हें लागू करने की आवश्यकता है।
भविष्य की मुद्रा है ई-रुपया : डिजिटल रुपये के विकास का चरण और प्रौद्योगिक चुनौतियों से सामना
जनवरी, 2009 में अपनी लॉन्चिंग के बाद से बिटकॉइन ने दुनिया भर में क्रिप्टो मुद्राओं के विस्तार में अहम भूमिका निभाई। नवंबर, 2021 में अपने चरम पर इसके 10,000 से अधिक सिक्के बाजार में थे और इनका बाजार मूल्य करीब तीस खरब डॉलर था, जिनमें बिटकॉइन का बाजार मूल्य 12.8 खरब डॉलर था। वर्ष 2022 में बाजार में सुधार के चलते सभी क्रिप्टो मुद्राओं का मूल्य लगभग 10 खरब अमेरिकी डॉलर रह गया है, जिसमें कई मुद्राओं का मूल्य शून्य रह गया है और क्रिप्टो क्षेत्र में काम करने वाली कई कंपनियां दिवालिया हो रही हैं।
क्रिप्टो मुद्राओं में इस बड़ी गिरावट ने क्रिप्टो दलालों, उधारदाताओं, फंडों और एक्सचेंजों को खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए अर्जी लगाने पर बाध्य किया है, जिससे इनमें निवेश करने वालों को भारी नुकसान हुआ है। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक क्रिप्टो उत्पादों की अनियमित प्रकृति पर चिंता जता रहे थे, जिसका मनी लॉन्ड्रिंग, ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी और आपराधिक गतिविधियों के लिए उपयोग हो सकता है।
पिछले एक साल में ऐसे मामलों में कई गुना वृद्धि हुई है, जिसमें ऋण एप्स क्रिप्टो का उपयोग विदेशों में धन भेजने के लिए होता है। क्रिप्टो उत्पादों की बुनियाद रखने वाली ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी और डेफी अर्थव्यवस्था के लिए उपयोगी है, पर उत्पाद का वर्तमान स्वरूप (जिसका न तो कोई आंतरिक मूल्य है और न ही कोई नियामक ढांचा) एक चुनौती पेश करता है कि 'प्रौद्योगिकी से कैसे लाभ उठाएं और क्रिप्टो की वर्तमान संरचना में निहित खतरनाक पहलुओं से कैसे बचें?'
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022-23 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए घोषणा की थी कि भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया पेश करेगा। यह भारत की अपनी केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) होगी। सीबीडीसी एक डिजिटल भुगतान साधन है, जिसे राष्ट्रीय मुद्रा (भारतीय रुपया) में अंकित किया गया है। यह केंद्रीय बैंक, आरबीआई की प्रत्यक्ष देयता है। डिजिटल सॉवरेन करेंसी का यह नया रूप भारतीय रिजर्व बैंक में रखे गए भौतिक नकद रुपये या उसके भंडार के बराबर होगा।
यह आरबीआई द्वारा जारी और विनियमित किया जाएगा और भौतिक रुपये की तरह सॉवरेन गारंटी द्वारा समर्थित होगा। क्रिप्टो मुद्राओं को न तो किसी केंद्रीय बैंक ने जारी किया है और न ही यह कानूनी तौर पर मान्य है। क्रिप्टो मुद्राएं किसी संस्था की देयता नहीं हैं और न ही किसी संपत्ति द्वारा समर्थित हैं। अत्यधिक अस्थिरता के कारण उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव आता है।
सीबीडीसी ई-रुपया रिजर्व बैंक द्वारा समर्थित है, जिसे जारी करने पर ई-रुपये की शेष राशि आरबीआई की बैलेंस शीट पर प्रतिबिंबित होगी और देश की बैलेंस शीट का भी हिस्सा बनेगी। इसलिए डिजिटल रुपया सीबीडीसी आरबीआई द्वारा जारी करेंसी नोटों का डिजिटल रूप है।
यह बैंक नोटों से बहुत अलग नहीं है, लेकिन डिजिटल होने के कारण, इसमें लेन-देन करना आसान, तेज और सस्ता होने की संभावना है। इसमें सभी तरह के डिजिटल धन के लेन-देन संबंधी सभी लाभ भी हैं, जैसे-सुरक्षा, सुविधा और पारदर्शिता। रिजर्व बैंक ने पिछले महीने भारतीय सीबीडीसी पर अपनी परिकल्पना के विवरण का खुलासा किया, और थोक में डिजिटल रुपये को लेन-देन में शामिल करने वाली पहली पायलट परियोजना एक नवंबर को लॉन्च की गई।
केंद्रीय बैंक ने थोक में डिजिटल रुपये की पहली पायलट परियोजना शुरू करने के लिए नौ बैंकों को नियुक्त किया है। एक महीने में रिजर्व बैंक खुदरा स्तर पर भी पायलट परियोजना शुरू करेगा। बैंक बचत की तरह डिजिटल वॉलेट में कोई डिजिटल बचत का पता लगा सकेगा। डिजिटल रुपया वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में धन प्रवाह की व्यापक दृश्यता की अनुमति देगा। भारत में लोगों के पास 30 लाख करोड़ रुपये की एक बड़ी राशि है। लेकिन नीति-निर्माताओं को जरा भी अंदाजा नहीं है कि यह किसके पास, कब से और क्यों रखी हुई है।
डिजिटल सीबीडीसी होने से अधिक पारदर्शिता और बेहतर मौद्रिक नीति लक्ष्यीकरण भी संभव होगा। डिजिटल रुपये के उपयोग में वृद्धि के साथ भौतिक मुद्रा की छपाई, भंडारण और वितरण की लागत कम हो जाएगी। सीबीडीसी के व्यापक उपयोग से अर्थव्यवस्था का विनियमीकरण और वित्तीयकरण बढ़ेगा। कर संग्रह में भी सुधार होगा, क्योंकि कर विभाग पता लगाने में सक्षम होगा। कॉरपोरेट जगत के लिए, सीबीडीसी तत्काल निपटान, ट्रैकिंग और नियंत्रण की पेशकश करेगा। इससे अर्थव्यवस्था में समग्र टकराव भी कम हो जाएगा।
भारत में कोविड के बाद तेजी से डिजिटल भुगतान और यूपीआई के शुरू होने से बड़े पैमाने पर जनता को फायदा हुआ है। जन-धन खातों, मोबाइल डाटा पैठ और आधार के संयोजन ने वित्तीय परिदृश्य को काफी हद तक बदल दिया है। रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों से लेकर पांच सितारा होटलों तक यूपीआई स्वीकृत है और क्यूआर कोड स्कैनिंग सार्वभौमिक हो गई है। इसने बड़ी संख्या में लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में शामिल किया है और अर्थव्यवस्था की गति बढ़ाई है।
हालांकि, अन्य देशों का अनुभव 'सीबीडीसी के साथ क्या नहीं करना है' से संबंधित कुछ सबक देता है। जब नाइजीरिया सीबीडीसी शुरू करने वाला पहला अफ्रीकी राष्ट्र बना, तो यह उस देश के लगभग चार करोड़ बिना बैंक खाते वाले लोगों को आंशिक रूप से निशाना बना रहा था। वहां इसके अब तक के नतीजे निराशाजनक रहे हैं।
हालांकि ई-नाइरा बिटकॉइन या एथेरियम के समान डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर तकनीक (डीएलटी) का उपयोग करता है और इसे डिजिटल वॉलेट में सहेजा जा सकता है। क्रिप्टोकरेंसी के लिए नाइजीरियाई लोगों का जुनून केंद्रीय बैंक की पेशकश तक सीमित नहीं है। शिक्षा और ग्राहकों के बदलते व्यवहार केंद्रीय बैंक के लिए सबसे बड़ी चुनौतियां रही हैं। पर नाइजीरिया का केंद्रीय बैंक उत्साहित है। 10 लाख लोगों को अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आकर्षित करने के बाद इसने अगले अगस्त तक 80 लाख लोगों को डिजिटल मंच पर लाने का लक्ष्य रखा है।
कुल मिलाकर, सीबीडीसी भविष्य का मार्ग है। हम अब भी डिजिटल रुपये के विकास के शुरुआती चरण में हैं और आगे कई चुनौतियां होंगी। अच्छी बात यह है कि सरकार और रिजर्व बैंक बहुत व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ रहे हैं। यह व्यापक अर्थों में भविष्य का धन है और भारत ई-रूपी के लॉन्च के साथ इस भविष्य का नेतृत्व कर रहा है।
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