Trading Muhurat: Deepawali के दिन एक घंटे के लिए खुलता है शेयर बाजार, जानें क्या है ट्रेडिंग मुहूर्त

दीपावली के दिन सभी धन-धान्य की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। ज्यादातर दुकाने और ऑफिस बंद होते हैं। लेकिन दिवाली का त्योहार शेयर बाजार और उसके इनवेस्टर्स के लिए बहुत खास रहता है। उस दिन शेयर मार्केट दिन-भर भले ही बंद रहता है, मगर शाम को एक खास मुहूर्त कुछ समय के लिए ओपन होता है, जिसे ट्रेडिंग मुहूर्त कहा जाता है। आइए जानते हैं क्या है ट्रेडिंग मुहूर्त और दीपावली पर इसे लेकर क्या है परंपरा।

क्या आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग राइट है

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आपभी शेयर बाजार के बन सकते हैं माहिर खिलाड़ी; ट्रेडिंग के अपनाएं ये 5 नियम, होगी मोटी कमाई

शेयर बाजार के कुछ नियम हैं, जिसे अपनाकर आप भी निवेश के बड़े खिलाड़ी बन सकते हैं.

आपभी शेयर बाजार के बन सकते हैं माहिर खिलाड़ी; ट्रेडिंग के अपनाएं ये 5 नियम, होगी मोटी कमाई

How To Become A Successful Traders Of Stock Market: शेयर बाजार में अगर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो इसमें एंट्री का रास्ता आसान है. वहीं क्या आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग राइट है अगर सोच-समझकर और समझदारी से योजना बनाई जाए तो शेयर बाजार में बिना किसी बाधा के एक सुसंगत और स्वतंत्र बिजनेस किया जा सकता है. हालांकि बाजार में ट्रेड वाले सभी के लिए जरूरी है कि उन्हें ट्रेडर और प्रोफेशनल ट्रेडर के बीच के गैप को कम करना चाहिए. अगर आप भी बाजार में प्रभावी रूप से कारोबार करना चाहते हैं तो तीन मुख्य बिंदुओं मसलन एंट्री, एग्जिट और स्टॉप लॉस का बेहद महत्व है. इसके साथ ही आपकी पोजिशन का साइज क्या है, यह भी बेहद अहम है. आपने जो ट्रेड की योजना बनाई है, उसका पालन करने में आप कितने सक्षम हैं और आपके अंतर-संचालन की क्षमता आपको बाजार में प्रभावी तरीके से ट्रेड करने में मदद कर सकती है. जिससे आप अपने पोर्टफोलियो का मैनेजमेंट सफलता से कर सकते हैं. जानते हैं शेयर बाजार के सफल ट्रेडर बनने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

शेयर बाजार में ट्रेडिंग एक तरह से बिजनेस है, और बिना सटीक प्लान के कोई भी बिजनेस सफल नहीं हो सकता है. सिर्फ कुछ किताबें पढ़कर ट्रेडिंग में आ जाना, सिर्फ ब्रोकरेज अकाउंट खोलकर और चार्टिंग प्रोग्राम खरीदकर शेयर बाजार में पैसा लगा देने से ही सफलता नहीं मिल सकती. इससे नुकसान का डर ज्यादा होता है.

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सटीक ट्रेड प्लान के लिए आपका सही स्ट्रैटेजी पर काम करना जरूरी है. इसके लिए आपको यह तय करना होगा कि आप कितना रिस्क लेने का क्षमता रखते हैं, आपके निवेश का लक्ष्य क्या है, आपका कैपिटल अलोकेशन क्या है, आप शॉर्ट टर्म या लांग टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं. कब किसी निवेश में एंट्री करना है, कब निकलना है और स्टॉप लॉस क्या हो, इन बातों की समझ जरूरी है. इन बातों की समझ नहीं होगी तो आप मुसीबत में आ सकते हैं.

2. ट्रेड को लेकर न रहें कनफ्यूज

जब भी आप ट्रेडिंग का प्लान कर रहे हों, क्या आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग राइट है आपका माइंड क्लीयर होना जरूरी है. बाजार में कई बार अफवाहें तेज उड़ती हैं, अगर आपका ध्यान उन पर गया तो प्लान बिगड़ सकता है. इसलिए निगेटिव खबरों को लेकर खुद पर दबाव न बनाएं. अपने निवेश को लेकर इमोशनल न हों. सही निवेश को चुनें और उसमें बिना डर के पैसे लगाएं. दूसरों को डरा हुआ देखकर आप अपने द्वारा बनाए गए निवेश के प्लान से दूर न जाएं. ऐसा करके आप अपना बहुत सा मुनाफा गंवा सकते हैं.

आपके निवेश का आकार क्या है, यह बहुत महत्वपूर्ण है. इससे तय होता है कि आप कितनी क्वांटिटी का शेयर खरीद या बेच सकते हैं. आप कितने कैपिटल के साथ बाजार में सहज हैं, कितना रिस्क ले सकते हैं या उतार चढ़ाव झेल सकते हैं, इससे आपका ट्रेड प्लान सही से बाजार में लागू होता है. एक बार जब आप बाजार में निवेश करते हें, समय समय पर अपने निवेश का आंकलन, अपने पोजिशन साइज का रिव्यू और बैलेंस को बनाए रखना समान रूप से जरूरी है.

जब आपका ट्रेड सही दिशा में बढ़ रहा क्या आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग राइट है क्या आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग राइट है हो, तो कुछ बेहतर स्ट्रैटेजी के साथ काम करना जरूरी हो जाता है. मसलन कब निवेश में कौन सा शेयर बढ़ाना है या कौन सा घटाना है. कहां स्टॉप लॉस लगाकर ट्रेड करना है. इस तरह से आप बाजार के जोखिम को कम कर सकते हैं.

4. सीमित कर सकते हैं अपना नुकसान

शब्द “स्टॉप लॉस” का हाल के दिनों में बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा क्या आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग राइट है है. यह सही भी है क्योंकि स्टॉप लॉस एक जोखिम की पूर्व-निर्धारित राशि है जो एक ट्रेडर हर ट्रेड के साथ सहने को तैयार होता है. यह आपके नुकसान के आकार को सीमित कर देता है. भले ही आपका ट्रेड लीडिंग पोजिशन में क्या आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग राइट है हो, स्टॉप लॉस को अनदेखा न करें, नहीं तो आपको ज्यादा नुकसान भी उठना पड़ सकता है.

5. अति-आत्मविश्वास दे सकता है क्या आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग राइट है नुकसान

ट्रेडिंग में सफलता आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है, लेकिन आत्मविश्वास और अति-आत्मविश्वास के बीच एक अंतर है, जिसे जरूर समझें. अपने ट्रेड प्लान पर टिकें रहें और पहले से बनाई गई योजना के हिसाब से ही शेयर बाजार में चलें. भावनाओं में आकर ट्रेडिंग न करें. मसलन बहुत ज्यादा फायदे की स्थिति में भी बिना सोचे अपना अलोकेशन बढ़ाते जाएं.

क्या होता है डीमैट अकाउंट (Demat Account) और शेयर बाजार (Share Market) में ट्रेडिंग के लिए क्यों है जरूरी

डीमैट अकाउंट (Demat Account) - फाइल फोटो

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए डीमैट अकाउंट (Demat Account) खुलवाना जरूरी है. आपके पास सेविंग अकाउंट (Saving Account) है इसके बावजूद डीमैट अकाउंट क्यों खुलवाना जरूरी है. इसके अलावा और इसकी उपयोगिता क्या है. उन सभी बातों को सरल भाषा में समझने का प्रयास इस रिपोर्ट में करेंगे.

क्या है डीमैट अकाउंट - What is Demat Account
मान लीजिए कि आपके पास बचत खाता (Saving Account) है और उसमें आप आप अपना पैसा जमा करते हैं. वहीं डीमैट अकाउंट में आप पैसा नहीं जमा कर सकते. टेडर्स जो भी शेयर्स (Share) या बॉन्ड (Bomd) खरीदते हैं उसे ही डीमैट में जमा किया जाता है. डीमैट अकाउंट में शेयर्स जमा रहने की वजह से निवेशक इनकी खरीद-बिक्री तेजी से कर सकते हैं. गौरतलब है कि करीब 30 वर्ष पहले डीमैट की सुविधा नहीं थी, उस समय शेयर पेपर फॉर्म में निवेशकों के घर पर पहुंचाए जाते थे. डीमैट के आने के बाद शेयर को डीमैट में ट्रांसफर होने में 1 दिन समय लगता है. इस तरह से Demat Account आपके शेयर, बॉन्ड और म्यूचुअल फंड का हिसाब रखता है.

शेयरों की खरीद-बिक्री में डीमैट की भूमिका - Role of Demat in Share Trading
शेयर्स की खरीद-बिक्री में डीमैट अकाउंट की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है. किसी शेयर की खरीद होने के बाद शेयर का हिसाब एक डीमैट अकाउंट से हटाकर दूसरे डीमैट अकाउंट में जोड़ दिया जाता है. हालांकि बैंक अकाउंट के मुकाबले डीमैट अकाउंट की कार्यप्रणाली थोड़ी कठिन है. हर किसी को इस प्रक्रिया को समझने में दिक्कत होती है. बता दें कि शेयर्स की हैंडलिंग (Handling) और स्टोरेज (Storage) का हिसाब-किताब डिपॉजिटरी (Depository) करती है.

डिपॉजिटरी (Depository) के पास जमा होते हैं सभी शेयर्स
डिपॉजिटरी (Depository) के पास सभी कंपनियों के शेयर्स जमा होते हैं. डिपॉजिटरी कंपनी के जमा शेयरों को उसके खरीदारों के नाम पर डीमैट में दर्ज कर देती है. सौदा होने की स्थिति में डिपॉजिटरी लेन-देन करने वाले डीमैट अकाउंट के रिकॉर्ड में बदलाव करती है. शेयर बेचने वाले के डीमैट अकाउंट से उतने शेयर हटा दिए जाते हैं. वहीं खरीदने वाले ग्राहकों के डीमैट अकाउंट में उसे जोड़ दिया जाता है. भारत में फिलहाल दो डिपॉजिटरीज CDSL, NSDL क्या आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग राइट है काम कर रही हैं. दोनों ही डिपॉजिटरी में भारत सरकार की हिस्सेदारी है.

Cryptocurrency : क्रिप्टो निवेशक कैसे बनाते हैं मार्केट स्ट्रेटजी, क्या होते हैं Pivot Points, समझें

क्रिप्टो ट्रेडिंग इक्विटी और स्टॉक में ट्रेडिंग जैसी ही है. दोनों ही बाजार में निवेशक कुछ पैरामीटर्स के जरिए ओवरऑल ट्रेंड का अनुमान लगाते हैं. इनमें से एक पैरामीटर होते हैं- पिवट पॉइंट्स. निवेशक बाजार में पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर इन पॉइंट्स को कैलकुलेट करते हैं.

Cryptocurrency : क्रिप्टो निवेशक कैसे बनाते हैं मार्केट स्ट्रेटजी, क्या होते हैं Pivot Points, समझें

Crypto Trading में पिवट पॉइंट्स के सहारे ओवरऑल ट्रेंड प्रिडिक्ट किया जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग (cryptocurrency trading) इक्विटी और स्टॉक में ट्रेडिंग जैसी ही है. दोनों ही जोखिम के साथ अनुमानों पर चलती हैं और दोनों ही बाजार में निवेशक कुछ पैरामीटर्स के जरिए ओवरऑल ट्रेंड का अनुमान लगाते हैं और प्रिडिक्शन करते हैं. इनमें से एक पैरामीटर होते हैं- पिवट पॉइंट्स (pivot points). निवेशक बाजार में पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर इन पॉइंट्स को कैलकुलेट करते हैं. इससे अनुमान लगाया जाता है कि निवेश में उनका अगला कदम क्यों होना चाहिए. क्या उन्हें पैसे निकाल लेने चाहिए या निवेश डबल कर देना चाहिए.क्या आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग राइट है

पिवट पॉइंट्स क्या होते हैं?

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पिवट पॉइंट का पता तकनीकी विश्लेषण के जरिए लगाया जाता है और इससे बाजार के ओवरऑल ट्रेंड का पता चलता है. सीधे शब्दों में बताएं तो यह पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस का एवरेज यानी औसत आंकड़ा होता है. अगर अगले दिन के ट्रेडिंग सेशन बाजार इस पिवट पॉइंट के ऊपर जाता है, तो कहा जाता है कि बाजार बुलिश सेंटीमेंट यानी तेजी दिखा रहा है, वहीं, अगर बाजार इस पॉइंट से नीचे क्या आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग राइट है ही रह जाता है तो इसे बेयरिश यानी गिरावट वाला मार्केट माना जाता है. ऐसे मार्केट में निवेशकों को अपनी रणनीति बदलने की सलाह दी जाती है.

जब पिवट पॉइंट्स के साथ दूसरे टेक्निकल टूल्स को मिलाकर गणना की जाती है, तो इससे उस असेट के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ-साथ किसी शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग सेशन में सपोर्ट और रेजिस्टेंट लेवल का पता भी लगता है.

पिवट पॉइंट्स कैसे कैलकुलेट किए जाते हैं?

पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे आम तरीका फाइव-पॉइंट सिस्टम है. इस सिस्टम में पिछले ट्रेडिंग सेशन के ऊंचे, सबसे निचले स्तर, और क्लोजिंग प्राइस के साथ दो सपोर्ट लेवल और दो रेजिस्टेंस लेवल को लेकर कैलकुलेशन किया जाता है.

पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने का समीकरण ये है :

पिवट पॉइंट = (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर + पिछले सत्र का निचला स्तर + पिछला क्लोजिंग प्राइस) 3 से विभाजन (/)

सपोर्ट लेवल कैलकुलेट करने का समीकरण :

सपोर्ट 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का ऊंचा स्तर

सपोर्ट 2 = पिवट पॉइंट − (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)

रेजिस्टेंस लेवल कैलकुलेट करने के लिए समीकरण :

रेजिस्टेंस 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का निचला स्तर

रेजिस्टेंस 2 = पिवट पॉइंट + (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)

इन समीकरणों से निकली गणनाओं का इस्तेमाल दो रेजिस्टेंस लेवल, दो सपोर्ट लेवल और एक पिवट पॉइंट तय करने के लिए करते हैं. इस सिस्टम से ट्रेडर्स पता लगा सकते हैं कि कहां पर कीमतें प्रभावित हो सकती हैं और बाजार के सेंटीमेंट पर असर डाल सकती हैं.

टाइम फ्रेम

ट्रेडर्स आमतौर पर पिवट पॉइंट्स का इस्तेमाल छोटे टाइम फ्रेम का चार्ट बनाने के लिए करते हैं. या तो ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे या फिर कम से कम 15 मिनट का चार्ट बनाया जा सकता है.

पिवट पॉइंट्स कितने तरह के होते हैं?

पिवट पॉइंट पांच तरह के होते हैं. फाइव-पॉइंट सिस्टम में स्टैंडर्ड पिवट पॉइंट (Standard Pivot Point) का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा बाकी चार पिवट पॉइंट्स को- Camarilla Pivot Point, Denmark Pivot Point, Fibonacci Pivot Point और Woodies Pivot Point कहते हैं.

पिवट पॉइंट्स दूसरे इंडिकेटर्स या संकेतकों से अलग कैसे है?

पिवट पॉइंट सिस्टम मौजूदा प्राइस में मूवमेंट पर निर्भक रहने के बजाय, पिछले सत्र के डेटा का इस्तेमाल करता है. इस अप्रोच से ट्रेडर्स को आगे की संभावनाओं क्या आपके लिए स्विंग ट्रेडिंग राइट है का जल्दी पता चलता है और वो इसके हिसाब से स्ट्रेटजी तैयार कर सकते हैं. ये पिवट पॉइंट अगले ट्रेडिंद सेशन तक स्टैटिक यानी स्थिर रहते हैं.

पिवट पॉइंट्स में कमी क्या है?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिवट पॉइंट्स ज्यादा बेहतर मदद बस इंट्रा-डे ट्रेडिंग में ही करते हैं क्योंकि ये बहुत ही सीधी गणना पर आधारित होते हैं और इस वजग से स्विंग ट्रेडिंग में काम नहीं आ सकते. साथ ही, अगर करेंसी में प्राइस मूवमेंट बहुत ज्यादा होने लगी तो इससे पिवट पॉइंट्स के अनुमान व्यर्थ हो सकते हैं. ऐसे में जब बाजार में ज्यादा वॉलेटिलिटी हो यानी कि ज्यादा उतार-चढ़ाव हो तो निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वो पिवट पॉइंट्स पर भरोसा न करें क्योंकि प्राइस मूवमेंट किसी भी कैलकुलेशन स्ट्रेटजी को धता बता सकता है.

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