कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह समय होम लोन पर बेस्ट डील पाने का एक अच्छा समय है.

भास्कर एक्सप्लेनर: कोरोना टेस्ट के लिए होम टेस्ट किट; जानिए क्या फायदे, क्या नुकसान और भारत में इसकी कितनी जरूरत

अमेरिका के ड्रग रेगुलेटर- फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US-FDA) ने नवंबर 2020 में घर पर कोरोना का टेस्ट करने वाली किट को मंजूरी दी थी। उस समय वहां कोरोना इन्फेक्शन के केस धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहे थे। सरकार ने लोगों को घरों में रहकर ही कोरोना टेस्ट की सुविधा देने के लिए होम टेस्ट किट को अनुमति दी थी।

भारत में भी पिछले 10 दिन से तीन लाख से अधिक नए मरीज रोज सामने आ रहे हैं। एक्टिव केस भी लगातार बढ़ रहे हैं। मरीजों के मामले में भी भारत सिर्फ अमेरिका के पीछे है। बढ़ते आंकड़ों के बीच कोविड टास्क फोर्स ने पूरे देश में टोटल लॉकडाउन की सिफारिश की है। ऐसी परिस्थितियों में ये होम टेस्ट किट भारत के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है।

आइए जानते हैं कि ये टेस्ट किट होती क्या है? इसके फायदे क्या हैं? भारत में इनका इस्तेमाल कोरोना को रोकने में कैसे मददगार साबित हो सकता है.

क्या है होम टेस्टिंग किट?
अभी आपको कोरोना का पता लगाने के लिए रैपिड एंटीजन या RT-PCR या इसी तरह के दूसरे टेस्ट करवाने होते हैं। इन सभी टेस्ट के लिए मेडिकल एक्सपर्ट और लैब की जरूरत होती है। कोरोना की होम टेस्ट किट इसका आसान विकल्प है। ये प्रेग्नेंसी टेस्ट किट की तरह है। सैंपल डालना है तो कोरोना को टेस्ट किया जा सकता है। इसकी मदद से कोई भी व्यक्ति बिना किसी लैब या मेडिकल एक्सपर्ट की मदद के घर पर ही कोरोना टेस्ट कर सकता है।

यह किट कैसे काम करती है?
ये टेस्ट किट लेटरल फ्लो टेस्ट पर काम करती है। आप अपनी नाक या गले से लिए गए सैंपल को ट्यूब में डालते हैं। इस ट्यूब में पहले से एक लिक्विड भरा होता है। इस ट्यूब को किट के अंदर डाला जाता है जहां लिक्विड को सोखने वाला एक पैड लगा होता है। इस पैड से होकर ये लिक्विड एक पट्टी पर जाता है जहां पहले से ही कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानने वाली एंटीबॉडी मौजूद होती है। अगर आप कोरोनावायरस से पीड़ित हैं तो ये एंटीबॉडी एक्टिवेट हो जाती है और किट आपका टेस्ट पॉजिटिव दिखा देती है। किट पर एक डिस्प्ले होता है जहां रिपोर्ट का रिजल्ट दिख जाता है। रिपोर्ट आपके ईमेल या टेस्ट किट बनाने वाली कंपनी की ऐप पर भी देखी जा सकती है।

इस किट के फायदे क्या हैं?

  • घर बैठे ही टेस्ट होगा। इससे लोग टेस्ट कराने बाहर नहीं निकलेंगे और संक्रमण फैलने का खतरा कम होगा।
  • RT-PCR या किसी भी दूसरे टेस्ट के मुकाबले ये टेस्ट किट सस्ती है।
  • खुद से ही टेस्ट किया जा सकता है। किसी मेडिकल एक्सपर्ट या लैब की जरूरत नहीं।
  • टेस्ट रिपोर्ट 15 मिनट से आधे घंटे में मिल जाती है। लैब में किए गए RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट आने में कम से कम 1 दिन का समय लगता है।

इस किट के नुकसान क्या हैं?

  • घर पर ही टेस्ट होने से संक्रमित मरीजों के आंकड़ों की मॉनिटरिंग में परेशानी होगी। जिनका टेस्ट पॉजिटिव आएगा, वे डर से सही जानकारी नहीं देंगे।
  • मेडिकल एक्सपर्ट की तुलना में खुद से सैंपल लेने में गड़बड़ी की आशंका रहेगी, जिससे टेस्ट के रिजल्ट पर भी असर पड़ेगा।
  • लैब में किए गए टेस्ट के मुकाबले होम टेस्ट किट की एक्यूरेसी कम है। इस वजह से गलत रिजल्ट आने की संभावना ज्यादा है।
  • एक संक्रमित व्यक्ति का टेस्ट रिजल्ट अगर निगेटिव आता है तो वो घर के अन्य सदस्यों को भी संक्रमित कर सकता है।

इन किट के नतीजे कितने सटीक हैं?
लैब में किए गए टेस्ट की तुलना में होम टेस्ट किट के रिजल्ट की एक्यूरेसी में 20% से 30% तक की गड़बड़ी देखने को मिली है। गलत तरीके से सैंपल लेना, संक्रमित होने के 1-2 दिन के अंदर ही टेस्ट कराने से भी रिपोर्ट निगेटिव आ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों टेस्ट को करने का तरीका भले ही एक जैसा हो, लेकिन इनके रिजल्ट में एक्यूरेसी का फर्क ज्यादा है।

इन किट की जरूरत क्यों पड़ी?
कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो गई है। जहां भी मामले बढ़े वहां डॉक्टरों की कमी, अस्पतालों में बेड की कमी जैसी समस्याएं सामने आने लगीं। साथ ही मेडिकल एक्सपर्ट्स का एक बड़ा हिस्सा मरीजों की टेस्टिंग में भी लगा होता है। ऐसे में अगर खुद से ही कोरोना का टेस्ट किया जा सके तो मेडिकल एक्सपर्ट्स पर निर्भरता कम होगी और वो किसी दूसरे काम आ सकेंगे।

साथ ही किसी भी टेस्ट को करवाने के लिए आपको हॉस्पिटल या अन्य किसी दूसरी जगह जाना होता है। संक्रमण के खतरे को देखते हुए ये सुरक्षित नहीं है। ऐसे में अगर घर में ही टेस्ट किया जा सके तो संक्रमण फैलने की रफ्तार भी कम होगी।

क्या यह किट्स भारत में उपलब्ध है?
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने 27 अप्रैल को गाइडलाइन जारी की है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और 5 अन्य देशों ने जिन किट को इस्तेमाल की अनुमति दे रखी है, उनका इस्तेमाल भारत में हो सकेगा। उन्हें ICMR से अलग से अनुमति लेने की कोई जरूरत नहीं है। साथ ही ICMR ने इन कंपनियों से ये भी कहा है कि टेस्ट के रिजल्ट की मॉनिटरिंग के लिए सॉफ्टवेयर या ऐप से सभी आंकड़ों को कोरोना के सेंट्रल पोर्टल से जोड़ा जाए जिससे कि आंकड़ों में गड़बड़ी न हो।

भारत के लिए ये क्यों जरूरी है?
फिलहाल कोरोना के कुल संक्रमितों के लिहाज से भारत अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। कोरोना के नए आंकड़े रोजाना नए रिकॉर्ड छू रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर ने अस्पतालों में बेड से लेकर ऑक्सीजन तक की किल्लत पैदा कर दी है। सरकार का फोकस ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग पर भी है जिससे संक्रमितों की सही संख्या सामने आ सके। इस तरह की होम टेस्ट किट से टेस्टिंग बढ़ेगी ही साथ ही टेस्ट सेंटरों पर दबाव भी कम होगा। फिलहाल जो मेडिकल एक्सपर्ट कोरोना की टेस्टिंग में लगे हैं उनकी सेवाएं दूसरी जगह ली जा सकेगी।

हैंड सैनिटाइजर : इस्तेमाल ,फायदे और नुकसान

Hand sanitizers are very popular now a days. Companies are claiming 99.99% effectiveness. is it true?

Kahani Guru Bhupesh Pant

लॉकडाउन से पहले तक जिन्दगी कितनी तेज रफ़्तार हो चली थी। मैं सुबह तड़के ऑफिस को निकलता था और शाम के अँधेरे में ही फिर घर का रास्ता नाप पाता था।पर अब जब से कोरोना के कारण लॉकडाउन लगा चीजें काफी बदल गई। मैं अब घंटो बालकनी में बैठकर बाहर देखता रहता हूँ। कभी कभी लोग छत पर या सड़कों पर दिखते हैं पर किसी जरूरी काम के लिये ही। पर एक चीज हर किसी में अक्सर देखने को मिलने लगी है। कोरोना का डर और उसके खात्मे के लिए साफ-सफाई पर जोर।

बड़े-बूढ़े या बच्चे ,सब ये हमेशा ध्यान दे रहे हैं कि उनके हाथ में ये खतरनाक वायरस न हो। और अगर गलती से आ भी जाए तो हैंड सैनिटाइजर से उसे वो ख़त्म कर पाएं।

हैंड सैनिटाइजर देखते ही देखते रामबाण बन कर उभरा है। आज हर एक बड़ी कंपनी इसका उत्पादन कर रही है। और ये दावा भी अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान कर रही है कि ये 99.99% वायरस को मारने में सफल रहता है।

इसके इतने कारगर दावों ने ही मुझे इसके प्रति आकर्षित किया और थोड़ा बहुत शक करने की वजह भी दी।

और जो कुछ तथ्य में इसके अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान बारे में जान पाया उन्होंने मुझे सच में अचरज में डाला। वही तथ्य अब आपके सामने रख रहा हूँ।

हैंड सैनिटाइजर(Hand Sanitiser) में क्या होता है ?

किसी भी हैंड सैनिटाइजर में मुख्य तत्व अल्कोहल होता है . जिसकी मात्रा लगभग 60% से अधिक होने पर ही हैंड सैनिटाइजर कारगर माना जाता है. इतनी अधिक मात्रा वायरस के प्रभाव को तुरंत समाप्त करने के लिए आवश्यक है. किसी भी हैंड सैनीटाइज़र में एथेनॉल(Ethanol ) या आइसोप्रोपिल अल्कोहल(Isopropyl Alcohol or Rubbing Alcohol ) पाया जाता है।

मेथेनॉल से बने हैंड सैनीटाइज़र फायदे से ज्यादा नुकसान कर सकते हैं इसलिए मेथेनॉल इसके लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता. इसके अलावा ग्लीसरीन , हाइड्रोजन पेरोक्साइड (Hydrogen peroxide) और आसुत जल(Distilled Water ) का प्रयोग किया जाता है।

क्या हैंड सैनिटाइजर 99.99% असरदार होता है ?

आपने अक्सर किसी विज्ञापन में सुना होगा कि किसी कंपनी का हैंड सैनिटाइजर 99.99% कीटाणुओं का नाश करता है। और लगभग यही दावा हर कंपनी कर रही होती है। पर सच में ऐसा होता नहीं है। तो क्या ये सब विज्ञापन झूठे होते हैं ?

नहीं। पर इनका सच असल में आधा सच होता है।

असल में इन कंपनियों के 99.9% कीटाणुओं का नाश करने वाले प्रयोग लैब के नियंत्रित परिस्थितियों में और किसी निर्जीव सतह में होते हैं। पर अगर हम अपने हाथ की संरचना देखें तो वो काफी जटिल संरचना है। तो अगर यही प्रयोग हाथों पर किया जाए तो परिणाम कुछ अलग ही आएंगे। असल जीवन में हम जितने वायरस के संपर्क में आते हैं वो लैब टेस्ट के संतुलित वातावरण से काफी गुना बढ़कर होते हैं।

इसीलिए हैंड सैनिटाइजर के 99.99% के दावे के ऊपर ‘कंडीशन एप्लाइड’ का निशान बना होता है।

क्या हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल सुरक्षित है?

पानी और साबुन के आभाव में हैंड सैनिटाइजर एक अच्छा विकल्प बन कर उभरा है। WHO भी कोरोना काल में इसके अल्कोहल युक्त विकल्प को अपनाने की सलाह देता रहा है। पर इसे पानी और साबुन की उपलब्धता होने पर भी प्राथमिकता देना ठीक नहीं है और इसके कारण भी है:

How safe are these hand sanitiser?

अधिकतर हैंड सैनिटाइजर में रबिंग अल्कोहल(isopropyl alcohol) होता है जो अच्छे से हाथों में रगड़ लेने पर कुछ समय में हाथों से निकल जाता है। परन्तु अगर ये मुँह या नाक में प्रवेश करे तो इसका शरीर में इसका विषैला प्रभाव होता है।

एथनॉल शरीर के अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान लिए हानिकारक नहीं होता है परन्तु अगर सैनिटाइजर एथनॉल से भी बने हो ,उनमे मौजूद बाकी केमिकल उसे विषैला बना सकते हैं।

अगर हाथ में किसी प्रकार की चिकनाई है तो हैंड सैनिटाइजर का प्रभाव कीटाणुओं पर नहीं पड़ता क्योंकि हैंड सैनिटाइजर केवल ऊपरी सतह तक सीमित रह जाता है और कीटाणु भीतरी सतह में चिपके रह जाते हैं।

हैंड सैनिटाइजर में अल्कोहल की काफी ज्यादा मात्रा है जिसका अत्यधिक प्रयोग बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है।

हैंड अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान सैनिटाइजर कैसे काम करता है?

हैंड सैनिटाइजर शरीर में मौजूद सूक्ष्म जीवों की कोशिकाओं को नष्ट करने का काम करते हैं।ये शरीर की कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचाते। 70% अल्कोहल युक्त हैंड सैनिटाइजर 100% अलकोहल से भी ज्यादा कारगर होता है और उसकी वजह इसमें मौजूद जल होता है।

हैंड सैनिटाइजर में मौजूद अल्कोहल वायरस की बाहरी ढांचों पर प्रहार कर उन्हें नष्ट करता है. बैक्टीरिया को ख़त्म करने के लिए ये उनके सतह की कोशिकाओं को नष्ट करता है.

अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान

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कृष्ण कमल के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Passion Flower

कृष्ण कमल के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Passion Flower

कृष्ण कमल का इस्तेमाल निम्नलिखित समस्याओं में होता है:

    में कम करने के लिए के उपचार में
  • सर्जरी के पहले की बेचैनी मिटाने के लिए
  • कृष्ण कमल को सीधा त्वचा पर भी लगाया जाता है। त्वचा पर यदि घाव, खरोंच, सूजन या जलन है तो कृष्ण कमल लगाने से फायदा होता है।
  • खाद्य और पेय पदार्थों में, यह फूल और इसका एक्सट्रैक्ट स्वाद, महक और सुगंध के लिए डाला जाता है।

कृष्ण कमल कैसे कार्य करता है?

यह एक हर्बल सप्लिमेंट है और कैसे काम करता है, इसके संबंध में अभी कोई ज्यादा शोध उपलब्ध नहीं हैं। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप किसी हर्बल विशेषज्ञ या फिर किसी डॉक्टर से संपर्क करें। हालांकि, कुछ शोध यह बताते हैं कि कृष्ण कमल में मौजूद केमिकल्स शांतिदायक और मांसपेशियों की ऐंठन को राहत देने जैसी असर करते हैं।

सावधानियां और चेतावनी

कृष्ण कमल का इस्तेमाल करने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?

निम्नलिखित परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर या हर्बलिस्ट से सलाह लें:

  • यदि आप प्रेग्नेंट या ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं। दोनों ही स्थितियों में सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही दवा खानी चाहिए।
  • यदि आप अन्य दवाइयां ले रही हैं। इसमें डॉक्टर की लिखी हुई और गैर लिखी हुई दवाइयां शामिल हैं, जो मार्केट में बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के खरीद के लिए उपलब्ध हैं।
  • यदि आपको कृष्ण कमल के किसी पदार्थ या अन्य दवा या औषधि से एलर्जी है।
  • यदि आपको कोई बीमारी, डिसऑर्डर या कोई अन्य मेडिकल कंडिशन है।
  • यदि आपको फूड, डाई, प्रिजर्वेटिव्स या जानवरों से अन्य प्रकार की एलर्जी है।

अन्य दवाइयों के मुकाबले औषधियों के संबंध में रेग्युलेटरी नियम अधिक सख्त नहीं हैं। इनकी सुरक्षा का आंकलन करने के लिए अतिरिक्त अध्ययनों की आवश्यकता है। कृष्ण कमल का इस्तेमाल करने से पहले इसके खतरों की तुलना इसके फायदों से जरूर की जानी चाहिए। इसकी अधिक जानकारी के लिए अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से सलाह लें।

कृष्ण कमल कितना सुरक्षित है?

कृष्ण कमल आमतौर पर सुरक्षित है, अगर खाने में संतुलित मात्रा में डाला जाए। रात को सोने से पहले कृष्ण कमल की चाय सात दिन तक पीना ज्यादातर सभी के लिए सुरक्षित है। इसकी दवा लगातार आठ दिन तक निर्धारित मात्रा में लेना सुरक्षित होता है। इस फूल का एक्सट्रैक्ट उच्च मात्रा में खाया जाए, जैसे कि दो दिन तक लगातार साढ़े तीन ग्राम से ज्यादा, तो यह नुकसान पंहुचा सकता है।

विशेष सावधानियां और चेतावनी

बच्चे:

यह फूल के एक्सट्रैक्ट वाली दवा सभी बच्चों के लिए निर्धारित मात्रा में और कुछ समय तक लेना सुरक्षित है। छह से 13 साल के बच्चों को शुन्य पूर्णांक चार एमजी प्रति शरीर का वजन- इस मात्रा में इस फूल का उत्पाद (दारूक फार्मास्यूटिकल कंपनी द्वारा उत्पादित पसिपाय दवाई) देना हर बच्चे के लिए सुरक्षित साबित हुआ है।

प्रेग्नेंसी और ब्रेस्ट फीडिंग:

कृष्ण कमल का खाने के या दवा के तौर पर प्रेग्नेंसी में उपयोग करना सुरक्षित नहीं है। इसमें मौजूदा केमिकल्स से गर्भाशयसिकुड़ सकता है। इस कारण यदि आप प्रेग्नेंट हैं, तो इसका उपयोग न करें। स्तनपान करवाती महिला के लिए कृष्ण कमल का सेवन सुरक्षित है या नहीं, इस बारे में कोई शोध प्राप्त नहीं है, सुरक्षित रहें और इसका उपयोग ना करें।

साइड इफेक्ट्स

कृष्ण कमल (Passive flower) से मुझे क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?

कृष्ण कमल से निम्नलिखित साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं:

  • ज्यादा नींद आना
  • बेवजह उलझन में रहना
  • यह फूल त्वचा पर लगाने से क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं। इस बारे में ज्यादा खोज उपलब्ध नहीं है।

हालांकि, हर किसी को ये साइड इफेक्ट हो ऐसा जरूरी नहीं है। कुछ ऐसे भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जो ऊपर बताए नहीं गए हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी साइड इफेक्ट महसूस हो या आप इनके बारे में और जानना चाहते हैं तो नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।

रिएक्शन

कृष्ण कमल से मुझे क्या रिएक्शन हो सकते हैं?

कृष्ण कमल को इन दवाओं के साथ लेने से प्रभाव में आ सकता है:

सीडेटिव और कृष्ण कमल:

कृष्ण कमल में मौजूदा तत्व, शरीर में ज्यादा नींद आने की समस्या पैदा कर सकते हैं। सीडेटिव की भी शरीर पर यही असर होती है। इसलिए सीडेटिव और कृष्ण कमल का साथ में सेवन करने से ज्यादा ही नींद आने की परिस्थिति हो सकती है। इन दोनों का साथ में प्रयोग उचित नहीं है।सीडेटिव जो कृष्ण कमल के साथ नहीं ले सकते,उसमे पेंटोबार्बिटल (निम्बुतल), फेनोबार्बिटल (लुमिनल), सेकबारबिटल (सकल), क्लोनेपाम (क्लोनोपिन), लोरजेपाम (अतिवान), जोल्पिडेम (एम्बियन) शामिल है।

उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं हो सकती। इसका इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से सलाह लें।

कृष्ण कमल की सामान्य डोज क्या है?

चिंता के उपचार में कृष्ण कमल के फूल के 400 एमजी एक्सट्रैक्ट वाली कैप्सूल दिन में दो बार 2 से 8 हफ्तों तक लेना चाहिए। इस फूल के प्रवाही का एक्सट्रैक्ट वाली दवा के 45 ड्रॉप्स रोजाना एक महीने तक पिने से फर्क महसूस होगा।

सर्जरी से पहले चिंता :

सर्जरी के निर्धारित दिन से एक दिन पहले 20 बूंद और 20 बूंद सर्जरी के 90 मिनट पहले विशिष्ट प्रकार की कृष्ण कमल की दवा डी जाती है। 500 एमजी कृष्ण कमल एक्सट्रैक्ट वाली टेबलेट भी सर्जरी के 90 मिनट पहले मरीज को दी जाती है।

    के 30 मिनट पहले 260 या 1000 एमजी वाली इसके एक्सट्रैक्ट की दवा दी जाती है। 700 एमजी वाला 5 एमएल सिरप सर्जरी के 30 मिनट पहले लिया जाता है।

इस हर्बल सप्लिमेंट की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। आपके द्वारा ली जाने वाली खुराक आपकी उम्र, स्वास्थ्य और कई चीजों पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लिमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए सही खुराक की जानकारी के लिए हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें।

Home Loan: सस्ते होम लोन के मौजूदा दौर में किसका करें चुनाव? फिक्स्ड या फ्लोटिंग रेट में कौन सा विकल्प रहेगा बेहतर?

फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट, दोनों के ही अपने फायदे और नुकसान हैं. यहां हमने बताया है कि इन दोनों में क्या अंतर है और इनमें से कौन सा विकल्प बेहतर हो सकता है.

Home Loan: सस्ते होम लोन के मौजूदा दौर में किसका करें चुनाव? फिक्स्ड या फ्लोटिंग रेट में कौन सा विकल्प रहेगा बेहतर?

कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह समय होम लोन पर बेस्ट डील पाने का एक अच्छा समय है.

Home Loan: होम लोन की ब्याज दरें कई सालों के निचले स्तर पर हैं. ऐसे में कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह समय होम लोन पर बेस्ट डील पाने का एक अच्छा समय है. होम लोन खरीदने से पहले केवल यह जानना पर्याप्त नहीं है कि ब्याज दर कितनी है और आपको इसके लिए कितना EMI चुकाना होगा. होम लोन की चुकौती प्रक्रिया लंबी अवधि तक चलती है, इसलिए होम लोन के साथ आने वाले फीचर्स और विकल्पों को पूरी तरह समझना जरूरी है ताकि आपको एक बेहतर डील मिल सके. होम लोन खरीदारों के मन में एक सवाल यह आता है कि उनके लिए फिक्स्ड रेट बेहतर है या फ्लोटिंग रेट. इसका फैसला सावधानी के साथ करना चाहिए, क्योंकि इसका प्रभाव आपकी वित्तीय स्थिति पर पड़ता है. दोनों के ही अपने फायदे और नुकसान हैं. यहां हमने बताया है कि इन दोनों में क्या अंतर है और इनमें से कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर हो सकता है.

क्या है फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट

फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट ऐसा रेट है जो बाजार की स्थिति के साथ नहीं बदलता है. फिक्स्ड रेट लोन में होम लोन लेते समय ब्याज दर तय होती है और यह दर होम लोन की अवधि के खत्म होने तक बनी रहती है. इसका मतलब कि अगर आप फिक्स्ड रेट का चुनाव करने जा रहे हैं तो आसानी से अपनी EMI का अनुमान लगा सकते हैं. इसके ज़रिए आपको अपना बजट बनाने में भी आसानी होती है. इसके अलावा, ब्याज दर के स्थिर रहने पर आप आसानी से होम लोन रीपेमेंट का प्लान भी कर सकते हैं.

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कब करें फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट का चुनाव

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि फिक्स्ड रेट लोन की कीमत आमतौर पर फ्लोटिंग रेट लोन की तुलना में थोड़ी ज्यादा होती है. अगर यह अंतर काफी बड़ा है, तो आप फ्लोटिंग रेट लोन का चुनाव भी कर सकते हैं. लेकिन अगर वे लगभग बराबर हैं या अंतर बहुत कम है, तो आप अपनी स्थिति और जरूरतों का आकलन करते हुए दोनों में से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं. इसका चुनाव बेहतर तब होता है जब होम लोन खरीदते समय ब्याज दर कम हो.

क्या है फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट

फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट के तहत होम लोन खरीदने पर आपकी ब्याज दर बाजार की स्थिति के साथ कम या ज्यादा होती रहती है. इसके तहत होन लोन में आप अपनी EMI का अनुमान पहले से नहीं लगा सकते. फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट का बड़ा फायदा यह है कि जब ब्याज दरें कम होती है तो इस स्थिति में आपको कम EMI चुकाना होता है. हालांकि, ब्याज दरें बढ़ने पर आपको इसमें ज्यादा EMI चुकाना होगा. हालांकि, होम लोन की ब्याज दर बार-बार बढ़ने की स्थिति में, आप अपने लेंडर से टेन्योर बढ़ाने के लिए भी अनुरोध कर सकते हैं.

कब करें फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट का चुनाव

अगर आपको लगता है कि समय के साथ सामान्य रूप से ब्याज दरों में गिरावट होगी, तो ऐसी स्थिति में फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन का चुनाव किया जा सकता है. ब्याज दरों के कम होने से भविष्य में आपके लोन पर लागू ब्याज दर भी गिर जाएगी. अगर आप रियल एस्टेट बाजार से अच्छी तरह वाकिफ हैं, तो फ्लोटिंग इंटरेस्ट होम लोन चुनना बेहतर होगा. साथ ही, अगर आप उम्मीद कर रहे हैं कि होम लोन की दरें जल्द ही घटेंगी, तो यह विकल्प चुनना फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके अलावा फ्लोटिंग इंटरेस्ट होम लोन लेना फायदेमंद है अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान क्योंकि आपको इंडिविजुअल बॉरोअर के रूप में पार्ट-प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर पर कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है.

कॉम्बिनेशन लोन का भी है ऑप्शन

अगर आपको यह तय करने में दिक्कत हो रही है कि कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर होगा, तो इस स्थिति में आप कॉम्बिनेशन लोन का चुनाव भी कर सकते हैं. इसका कुछ हिस्सा फिक्स्ड होता है तो वहीं कुछ हिस्सा फ्लोटिंग होता है. आमतौर पर, यह अनुमान लगाना मुश्किल होता है कि भविष्य में होम लोन की दरें क्या होंगी. हो सकता है कि लोन की ब्याज दरें आपके अनुमान के अनुसार न बदलें. इस स्थिति में आपके सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है. हालांकि इसे लेकर बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. अगर आप चाहें तो किसी भी समय फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट लोन के बीच स्विच कर सकते हैं. हालांकि, स्विच करने के लिए आपको लेंडर को एक मामूली शुल्क का भुगतान करना होगा. फिक्स्ड या फ्लोटिंग होम लोन इंटरेस्ट रेट में से किसी एक को चुनना आपकी फाइनेंशियल कंडीशन पर निर्भर करता है. इसलिए आपके लिए कौन सा विकल्प बेहतर हो सकता है यह आपको ही चुनना होगा.

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