International Trading In Rupee: अब डॉलर नहीं बल्कि रुपये में होगा आयात-निर्यात! जानिए रिजर्व बैंक के इस कदम दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार से आपको होगा क्या फायदा
International Trading In Rupee: रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वह रुपये में आयात-निर्यात के निपटारे का इंतजाम करें। अंतरराष्ट्रीय ट्रेडिंग रुपये में होने की वजह से भारत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। अभी तक आयात-निर्यात के लिए भारत समेत अधिकतर देश डॉलर पर निर्भर हैं। इससे एक्सचेंज रेट का रिस्क भी कम होगा और सस्ती दरों पर कई डील हो सकेंगी।
हाइलाइट्स
- रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वह रुपये में आयात-निर्यात के निपटारे का इंतजाम करें
- अंतरराष्ट्रीय ट्रेडिंग रुपये में होने की वजह से भारत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी
- अभी तक आयात-निर्यात के लिए भारत समेत अधिकतर देश डॉलर पर निर्भर हैं
- इससे एक्सचेंज रेट का रिस्क भी कम होगा और सस्ती दरों पर कई डील हो सकेंगी
अमेरिका के दबाव में नहीं रहेगा भारत!
जब भारत की डॉलर पर निर्भरता घटेगी तो अमेरिका से किसी तनाव की स्थिति में भी भारत को अधिक डरने की जरूरत नहीं होगी। जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो सबसे पहले अमेरिका ने उस पर डॉलर में ट्रेड करने पर प्रतिबंध लगा दिया। इसकी वजह से रूस को अंतराष्ट्रीय ट्रांजेक्शन करने में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन वह पहले से ही अपनी करंसी रूबल में कई अंतरराष्ट्रीय ट्रांजेक्शन करने लगा था, इसलिए उस पर अमेरिका का ज्यादा दबाव नहीं बना। भारत की भी अपनी करंसी अंतरराष्ट्रीय ट्रेड के लिए इस्तेमाल होगी तो भारत को अमेरिका से तनाव की किसी स्थिति में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
आम आदमी को कैसे होगा फायदा?
रुपया अंतरराष्ट्रीय ट्रेडिंग में इस्तेमाल होने से आम आदमी को कई तरह से फायदा होगा। सबसे बड़ा फायदा तो यही होगा कि कई प्रोडक्ट सस्ते हो सकते हैं। जैसे कुछ ही महीनों पहले रूस ने भारत को सस्ता कच्चा तेल ऑफर किया था। यानी पेट्रोल-डीजल के दाम कम हो सकते थे। हालांकि, भारत की निजी कंपनियों ने इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया और निर्यात पर ज्यादा जोर दिया। ये तो सिर्फ एक उदाहरण था। भारत और अन्य देशों के बीच सिर्फ कच्चे तेल ही नहीं, बल्कि खाने के तेल, ड्राई फ्रूट्स, गैस, कोयला, दवाएं समेत कई चीजों का व्यापार होता है। कई बार तो प्याज भी आयात किया जाता है। रूपये में ट्रेड होने से एक्सचेंज रेट का रिस्क नहीं रहेगा और कारोबारी बेहतर बार्गेनिंग करते हुए सस्ते में डील फाइनल कर सकते हैं, जिससे आम आदमी तक वह सामान सस्ते में पहुंच सकेगा।
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अपनी करंसी में अंतरराष्ट्रीय ट्रेड के फायदे
इसका एक फायदा तो ये है कि अगर किसी देश की करंसी में अंतरराष्ट्रीय ट्रेड होता है तो इससे निर्यातकों को बड़ा फायदा होता है। उन्हें एक्सचेंज रेट रिस्क कम करने में मदद मिलती है। इसका सबसे बड़ा फायदा उन प्रोडक्ट्स में होता है, जिनका भुगतान सामान का ऑर्डर मिलने के काफी समय बाद होता है। इतने दिनों में डॉलर से एक्सचेंज रेट घटने-बढ़ने का निर्यातकों पर बड़ा असर होता है। वहीं दूसरा फायदा ये है कि रुपये में अंतरराष्ट्रीय ट्रेडिंग से एक्सचेंज रेट के रिस्क के बिना ही भारतीय फर्म और वित्तीय संस्थान अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों तक पहुंच बना सकेंगे। साथ ही उन्हें सस्ती दरों पर और बड़े पैमाने पर उधार लेने की इजाजत मिलेगी।
भारत का शेयर बाजार दुनिया में सातवां सबसे बड़ा, मार्केटकैप $2.7 लाख करोड़ के पार
मार्केटकैप के आधार पर भारतीय शेयर बाजार दुनिया का सातवां सबसे बड़ा शेयर बाजार बन चुका है. इसने तीन पायदान की छलांग लगाई है.
साल 2021 में घरेलू शेयरों की वैल्यू 6.9 फीसदी बढ़कर करीब $2.7 लाख करोड़ तक पहुंच चुकी है. भारत ने तीन पायदान की छलांग लगाते हुए कनाडा, जर्मनी और सऊदी अरब को पीछे छोड़ा है.
भारतीय शेयर बाजारों ने 11 महीनों के लंबे अंतराल के बाद कनाडा को पीछे छोड़ा है. यूरोप का सबसे बड़ा शेयर बाजार जर्मनी का है, जिसकी मार्केटवैल्यू $2.53 लाख करोड़ है. यूरोप के सिर्फ दो देश-फ्रांस और यूके ही दुनिया के सबसे बड़े सात शेयर बाजारों में शामिल हैं.
बीते तीन महीनों में एमएससीआई इंडिया इंडेक्स ने 21 फीसदी की छलांग लगाई है, जबकि उभरते हुए बाजारों के एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स ने 19 फीसदी और एमएससीआई वर्ल्ड इंडेक्स ने 12 फीसदी की तेजी दिखाई है.
1 जनवरी के बाद से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में करीब $4.05 अरब का निवेश किया है. इससे ज्यादा निवेश उन्होंने सिर्फ ब्राजील के बादा में किया है, जहां उन्होंने $4.5 अरब का निवेश किया है. अमेरिकी डॉलर की कमजोरी के चलते उन्होंने उभरते हुए बाजारों का रुख किया है.
विश्लेषकों ने कहा कि क्योंकि घरेलू स्तर पर मांग में तेज रिकवरी और सरकार के ग्रोथ पर फोकस के चलते भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की विकास दर क्रमश: 11.5 फीसदी और 6.8 फीसदी रह सकती है.
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जोखिम की चेतावनी: ट्रेडिंग जोखिम भरा है। आपकी पूंजी जोखिम में है। Exinity Limited FSC (मॉरीशस) द्वारा विनियमित है।
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Stock Exchange: 147 साल का हुआ BSE, क्या आप जानते हैं कि बरगद के पेड़ के नीचे 5 लोगों ने की थी इसकी शुरुआत
Stock Exchange: बीएसई में 5246 से अधिक कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। इस लिहाज से ये दुनिया का सबसे बड़ा एक्सचेंज है।
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: July 23, 2022 16:55 IST
Photo:FILE BSE
Stock Exchange: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज सेंसिटिव इंडेक्स (बीएसई सेंसेक्स) लाखों भारतीयों की जीवन रेखा है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) को शुरू हुए 147 साल हो गए है। 9 जुलाई 1875 में इसकी शुरुआत हुई थी। इसे बीएसई-30 या सिर्फ सेंसेक्स के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय पूंजी बाजार के विकास में इस एक्सचेंज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके सूचकांक पर दुनियाभर की निगाहें रहती हैं। भारत के अलग-अलग सेक्टर्स की तीस प्रमुख, सक्रिय और वित्तीय रूप से मजबूत कंपनियां इस बाजार का संचालन करती हैं। ये कंपनियां भारतीय अर्थव्यवस्था का भी प्रतिनिधित्व करती हैं। हालांकि, आपको जानकार हैरानी होगा कि एशिया के सबसे प्राचीन स्टॉक एक्सचेंज बीएसई सेंसेक्स की शुरुआत किसी बिल्डिंग में नहीं थी, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार एक बरगद के पेड़ नीचे हुई थी। आज जहां हार्निमन सर्कल है, जो साउथ मुंबई में एक जगह है, वहीं पर पेड़ के नीचे स्टाॅक एक्सचेंज की शुरुआत हुई थी।
पांच हजार से अधिक कंपनियां सूचीबद्ध
बीएसई में 5246 से अधिक कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। इस लिहाज से ये दुनिया का सबसे बड़ा एक्सचेंज है। पिछले 147 साल से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारतीय बाजार की पूंजी व्यवस्था का निर्धारण कर दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार रहा है।
कैसे अस्तित्व में आया बीएसई
एशिया के इस सबसे पुराने एक्सचेंज की स्थापना का श्रेय उन चार गुजराती और एक पारसी शेयर ब्रोकर्स को जाता है, जो 1850 के आसपास अपने कारोबार के सिलसिले में मुंबई (तब बॉम्बे) के टाउन हॉल के सामने बरगद के एक पेड़ के नीचे बैठक किया करते थे। इन ब्रोकर्स की संख्या साल-दर-साल लगातार बढ़ती गई। कुछ समय बाद 1874 में मुंबई में देश की अर्थव्यवस्था के इस प्रतीक को दक्षिण मुंबई में ही एक स्थाई जगह मिली जो आज दलाल स्ट्रीट के रूप में पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। 1875 में इन्होंने अपना 'द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन’ बना लिया। साथ ही दलाल स्ट्रीट पर एक ऑफिस भी खरीद लिया। आज इसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कहा जाता है।
National Stock Exchange in Hindi नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
National Stock Exchange in Hindi नेशनल स्टॉक एक्सचेंज क्या है और इसके क्या काम हैं। यह कब बना और दुनिया के शेयर बाजारों के मुकाबले इसका क्या स्थान है। NSE यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की सरंचना, उद्देश्य और मुख्य कार्य। एनएसई पर किस तरह से काम होता है और किस तरह की प्रतिभूतियों का व्यापार होता है। NSE की जानकारी, इसका इतिहास और वर्तमान में अर्थव्यवस्था में इसका योगदान आसान हिंदी में। यहां पढ़ें निफ्टी क्या है और सेंसेक्स और निफ्टी में अंतर हमारी साइट पर।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
National Stock Exchange in Hindi नेशनल स्टॉक एक्सचेंज क्या है
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है। 1992 में स्थापित एनएसई एक परिष्कृत, इलेक्ट्रॉनिक तरीके से व्यापार करने वाला स्टॉक एक्सचेंज है। यह 2015 में इक्विटी ट्रेडिंग वॉल्यूम के अनुसार दुनिया में चौथे स्थान पर रहा। आज यह एक्सचेंज थोक ऋण, इक्विटी और डेरिवेटिव मार्केट में लेनदेन करता है। इसका लोकप्रिय बेंचमार्क निफ्टी 50 इंडेक्स है, जो भारतीय इक्विटी बाजार में सबसे बड़ी संपत्तियों को ट्रैक करता है। यहां पढ़ें भारत में शेयर मार्केट कैसे काम करते हैं हमारी साइट पर।
Functions of National Stock Exchange नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कार्य
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई) भारत का अग्रणी स्टॉक एक्सचेंज है और वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एक्सचेंज (डब्लूएफई) की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी से जून 2018 के पीरियड में यह पुरी दुनिया में सौदों की संख्या के अनुसार दूसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। एनएसई ने 1994 में इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन-आधारित व्यापार लॉन्च किया, डेरिवेटिव ट्रेडिंग (इंडेक्स फ्यूचर्स के रूप में) और इंटरनेट ट्रेडिंग 2000 में शुरू करने वाला यह भारत में अपनी तरह का पहला एक्सचेंज था।
NSE नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है प्रौद्योगिकी में अग्रणी
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज प्रौद्योगिकी में अग्रणी है और प्रौद्योगिकी में नवीनीकरण और निवेश की संस्कृति के माध्यम से अपने सिस्टम की विश्वसनीयता और प्रदर्शन को नियमित रूप से सुनिश्चित करता है। यहां पढ़ें शेयर बाजार में सर्किट ब्रेकर क्या है।
Big and Automated स्वचालित और बड़ा
NSE भारत में पहला आधुनिक और पूरी तरह से स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक व्यापार प्रदान करने वाला स्टॉक एक्सचेंज है। भारतीय पूंजी बाजार में अधिक पारदर्शिता लाने के लक्ष्य के साथ भारतीय वित्तीय संस्थानों के एक समूह ने इसे स्थापित किया था। मार्च 2016 तक NSE कुल बाजार पूंजीकरण के आकार से दुनिया का 12 वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बन गया था। इसका फ्लैगशिप इंडेक्स निफ्टी 50 इस एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कुल बाजार पूंजीकरण के 63% का प्रतिनिधित्व करता है।
Index of National Stock Exchange नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक
निफ्टी 50 इंडेक्स के अलावा, NSE के बाजार सूचकांक विभिन्न बाजार पूंजीकरण, वॉलेटिलिटी, विशिष्ट दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार क्षेत्रों और कारक रणनीतियों को ट्रैक करते है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर डेरिवेटिव्स और ईटीएफ व्यापार
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारतीय वित्तीय बाजारों में अग्रणी स्टॉक एक्सचेंज है पूरी तरह से डेरिवेटिव्स और ईटीएफ व्यापार को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से करता है। एक्सचेंज के 3,000 से अधिक वीएसएटी टर्मिनल हैं जिसके कारण एनएसई देश में सबसे बड़ा निजी वाइड-एरिया नेटवर्क है।
Listing on National Stock Exchange नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग के लाभ
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एक प्रमुख बाजार है जहां कंपनियां अपने शेयरों को सूचीबद्ध करने के लिये तैयार रहतीं है। यहां की व्यापारिक गतिविधि की बड़ी मात्रा और स्वचालित प्रणाली के अनुप्रयोग, व्यापार मिलान और निपटान प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता को बढ़ावा देते है। यह अपने आप में बाजार में निवेशक के आत्मविश्वास को बढ़ाता है। अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करने से ऑर्डर को अधिक कुशलता से निपटान की सुविधा मिलती है जिसके परिणामस्वरूप ट्रेडिँग में अधिक तरलता और सटीक कीमतें मिलतीं हैं।
भारत में सिक्योरिटी ट्रेडिँग का एक ऐसा आधार है NSE जिस पर हर भारतीय को गर्व होना चाहिये। आधुनिक भारत के ऐसे संस्थान भारत के प्रगति और विकास के प्रतीक हैं।
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