दुकानदार और व्यापारियों के लिए जरूरी जानकारी, अगर आपने की ये गलती तो पछताने के अलावा कुछ नहीं बचेगा
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) देश में चलने वाली करेंसी को जारी करता है. हमारे देश में अभी 1 रुपये, 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये की करेंसी चलन में हैं. इनमें 1, 2, 5, 10 और 20 रुपये करेंसी नोट के साथ ही सिक्के के रूप में भी चलन में हैं. हमारे देश में सिक्कों को स्वीकार करने को लेकर कई तरह की कंफ्यूजन देखने को मिलती है. छोटे-मोटे दुकानदार ही नहीं पेट्रोल पंप ऑपरेटर भी सिक्कों को स्वीकार करने में काफी आना-कानी करते हैं. इन सिक्कों में 1 रुपये का छोटा सिक्का और 10 रुपये का सिक्का शामिल है, जिनके असली-नकली होने को लेकर काफी कंफ्यूजन रहता है.
दुकानदार के खिलाफ दर्ज कराई जा सकती है FIR
अगर आप कभी किसी दुकानदार के पास जाएं और वो ये कहकर 1 रुपये या 10 रुपये का सिक्का लेने से इंकार कर दे कि ये सिक्का नहीं चलता है या ये सिक्का नकली है तो आप उस दुकानदार के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं. दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक ही इन सभी सिक्कों को जारी करता है जो कानूनन वैध हैं और अगर कोई भी दुकानदार इन वैध सिक्कों को लेने से इंकार करता है तो ऐसी स्थिति में उसके खिलाफ शिकायत की जा सकती है, जिसके जरिए उस दुकानदार को सख्त कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
लीगल टेंडर को स्वीकार नहीं करने पर हो सकती है सजा
NCIB (नेशनल क्राइम इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो) के मुताबिक जो दुकानदार लीगल टेंडर को स्वीकार नहीं करता है तो उसके खिलाफ भारतीय मुद्रा अधिनियम और आइपीसी की धारा 489(A) से 489(E) के तहत FIR दर्ज कराई जा सकती है. जिसमें दोषी पाए जाने वाले दुकानदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है. NCIB ने ट्वीट कर बताया कि वैध सिक्के स्वीकार न करने की स्थिति में आप तत्काल सहायता के लिए पुलिस को भी कॉल कर सकते हैं.
क्रिप्टो-करेंसी क्या है, क्रिप्टो करेंसी की सारी जानकारी
एक जमाने में लोग अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए पैसो की नही बल्कि चीजों का इस्तेमाल करते थे। आज भी गांव एरिया में जाकर आप देख सकते हो कि लोग पैसे नहीं बल्कि गेंहू धान इत्यादि अनाजो को बदलकर जरूरत का सामान खरीदते हैं। बहुत जगह यहबप्रथा आज भी चलती आ रही है। लेकिन धीरे-धीरे लोग अनाज की जगह पैसे रखने लगे क्योंकि पैसे को इधर से उधर ले जाना आसान होता था। आप इतिहास के पन्नों को पलट कर भी देख लीजिए, पुराने जमाने में लोग अनाज का इस्तेमाल करते थे पैसों की रूप में और खरीदारी करने अगर मंडी जाते तो भी साथ में अनाज लेकर जाते थे।
खैर अब तो हर किसी के पास पैसे रहते हैं। लोग पैसे देकर कुछ भी खरीद सकते करेंसी में कंफ्यूजन हैं। जैसे जैसे समय आगे बढ़ा बहुत सारी नई तकनीक, बहुत सारी नई सुविधाओं के आविष्कार होते गयें। 21वी सदी एक ऐसा समय है, जब सबसे ज्यादा बदलाव हुए। लोगों की जिंदगियों को आसान बनाने के लिए जितना अधिक संभव हुआ उतने बदलाव इस युग में किए गए। ऐसा ही एक खास बदलाव है आभासी मुद्रा यानी Virtual Currencyका प्रचलन। लेकिन ध्यान रखना जरूरी है कि आभासी मुद्रा की लाइन में रिस्क बहुत है और करेंसी में कंफ्यूजन हाल ही में आर्थिक केंद्रीय मंत्रालय ने भी यह आदेश जारी किया है कि लोग बिटकॉइन और बाकी क्रिप्टो करेंसी मुद्राओ में Invast से बचें। आज के पोस्ट में हम क्रिप्टो-करेंसी और इसके सारे पहलुओं को समझेंगे।
क्रिप्टो-करेंसी क्या है
क्रिप्टो करेंसी के बारे में सरल भाषा में कहें तो यह क्रिप्टोग्राफी प्रोग्राम पर आधारित वर्चुअल करेंसी या ऑनलाइन मुद्रा है, जो पियर टू पियर Cash System है।जैसा कि हमने कहा यह ऑनलाइन मुद्रा है, इसको हम डिजिटल वॉलेट में ही रख सकते हैं और वहीं से इस मुद्रा को इस्तेमाल कर सकते हैं। इस मुद्रा को रखने के लिए हमें बैंक के किसी अन्य वित्तीय संस्थान की जरूरत नहीं पड़ती है। क्रिप्टो-करेंसी दो तरह के होते हैं। फिएट क्रिप्टोक्रिप्टो-करेंसी और नॉन फिएट क्रिप्टो-करेंसी।
फिएट और नॉन फिएट क्रिप्टो-करेंसी क्या है
आप इतना समझिए कि नॉन फिएट क्रिप्टो-करेंसी निजी क्रिप्टो-करेंसी है जैसे कि बिटकॉइन। वही फिएट क्रिप्टो-करेंसी एक डिजिटल मुद्रा है, जिसे केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है। अगर भविष्य में भी रिजर्व बैंक कोई आभासी मुद्रा जारी करती है तो उसको फिएट क्रिप्टो करेंसी कहा जायेगा।
बिटकॉइन और क्रिप्टो-करेंसी में कंफ्यूजन
कुछ लोगों को लगता है कि क्रिप्टो-करेंसी सिर्फ बिटकॉइन ही है। काफी लोग क्रिप्टो-करेंसी और बिटकॉइन को एक ही समझते हैं। लेकिन यहा पर थोड़ी सी समझने की जरूरत है। आप लोग बस इतना समझ ले कि सभी क्रिप्टो-करेंसी बिटकॉइन नहीं है लेकिन सभी बिटकॉइन क्रिप्टो-करेंसी है। बिटकॉइन के अलावा भी बहुत सारे क्रिप्टो-करेंसी है जैसे कि एथेरेम(Ethereum), रिप्पल(Ripple) इत्यादि।
क्रिप्टो करेंसी के लाभ या सुविधाएं
◆ यह मुद्रा ने निजता बनाए रखने में मददगार है। क्रिप्टो-करेंसी के द्वारा लेनदेन के दौरान छद्म नाम एवं पहचान बताएं जाते हैं। जो लोग अपनी निजता को लेकर काफी ज्यादा संवेदनशील है, उनके लिए लेन-देन का यह विकल्प काफी संतोषजनक और सुलझा हुआ है।
◆ क्रिप्टो-करेंसी मे लेनदेन की लागत बहुत ही कम है, जो इसकी लोकप्रियता का एक मुख्य कारण है। घरेलू हो या अंतरराष्ट्रीय दोनो प्रकार की लेनदेन में लागत समान ही लगती हैै।
◆ क्रिप्टो करेंसी के जड़िये लेनदेन में किसी भी थर्ड पार्टी सर्टिफिकेशन की जरूरत नहीं पड़ती है, जिसके कारण पैसे और समय दोनों की काफी बचत हो जाती है।
◆ इस माध्यम में प्रवेश जनक बाधाएं न के ही बराबर है। अगर हम लोग बैंक द्वारा लेनदेन करते हैं तो अकाउंट खोलने से लेकर पैसों की लेनदेन करने तक हर कदम पर नए-नए प्रमाणपत्र की जरूरत पड़ती है, जो कभी कभी काफी irritating हो जाता है। लेकिन क्रिप्टो-करेंसी में प्रमाण पत्रों का कोई झंझट ही नहीं है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेनदेन के मामलों में भी काफी औपचारिकता से गुजरना पड़ता है। लेकिन क्रिप्टो-करेंसी के माध्यम से लेनदेन करने पर यह सब काम आसानी से हो जाता है।
◆ बैंकों के माध्यम से लेनदेन करने पर, सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वह हमारे बैंक खाते को फ्रीज या जब्द कर सकती है। लेकिन क्रिप्टो-करेंसी के मामले में सरकार ऐसा नहीं कर सकती। यह पद्धति पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण से बाहर है।
क्रिप्टो-करेंसी के नुकसान और समस्या
◆ यह एक असुरक्षित लेन-देन व्यवस्था है इसकी पूरी प्रक्रिया और लाइन होने के कारण इसकी सुरक्षा पर सवाल उठते हैं इसके हैक होने का खतरा बना रहता है।
◆ इस व्यवस्था के साथ देश की सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी जुड़ी हुई है। यह मुख्य वित्तीय सिस्टम और बैंकिंग प्रणाली से पूरी तरह बाहर रहकर काम करती है, जिससे इसके स्रोत और सुरक्षा पर सवाल उठते हैं। जानकारी के लिए बता दें, इस डिजिटल मुद्रा को फ्रॉड, हवाला मनी और आतंकी गतिविधियों को पोषित करने वाली मुद्रा के रूप में संबोधित किया जाता आ रहा है।
◆ क्रिप्टो-करेंसी का एक और नेगेटिव पॉइंट इसके नियंत्रण को प्रबंधन के साथ जुड़ा हुआ है। भारत देश जैसे कई देशों ने अभी तक इसको मुद्रा के रूप में स्वीकृति नहीं दी है। जिससे इसका प्रबंधन और नियंत्रण एक बड़ी समस्या बनी हुई है।
◆ क्रिप्टो-करेंसी के लेनदेन के साथ पर्यावरण संबंधी चिंताएं भी जुड़ी हुई है। गौरतलब है कि एक बिटकॉइन के लेन-देन में 237 किलोवाट बिजली खपत होती है, जिससे प्रति घंटा लगभग 92 किलो कार्बन का उत्सर्जन होता है।
लेकिन फिर भी क्रिप्टो-करेंसी की जनप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसके सरल लेनदेन पद्धति के कारण लोग लेन-देन के इस माध्यम को ज्यादा पसंद करते हैं। सरकार भी इन पर नियंत्रण करने में सफल नहीं हो पा रही हैं। विश्व के केंद्रीय बैंकों को यह आभास होने लगा है कि आभासी मुद्रा पर नियंत्रण लगाने का प्रयास निरर्थक है। इसी कारण देश और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वित्तीय संस्थानों ने खुद का क्रिप्टो-करेंसी जारी करने की दिशा में कदम बढ़ाया है और विचार कर रही हैं।
Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए
Crypto Trading : क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है और निवेश करेंसी में कंफ्यूजन को सुरक्षित रखने के लिए एन्क्रिप्शन कोड का इस्तेमाल करती है. आप अपने क्रिप्टो टोकन या तो सीधे बायर को बेच सकते हैं या फिर ज्यादा सुरक्षित रहते हुए एक्सचेंज पर ट्रेडिंग कर सकते हैं.
Cryptocurrency Trading : क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर है बहुत से भ्रम. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एन्क्रिप्शन के जरिए सुरक्षित रहने वाली एक डिजिटल करेंसी है. माइनिंग के जरिए नई करेंसी या टोकन जेनरेट किए जाते हैं. माइनिंग का मतलब उत्कृष्ट कंप्यूटरों पर जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने से है. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं और इसी तरह नए क्रिप्टो कॉइन जेनरेट होते हैं. लेकिन जो निवेशक होते हैं, वो पहले से मौजूद कॉइन्स में ही ट्रेडिंग कर सकते हैं. क्रिप्टो मार्केट में उतार-चढ़ाव का कोई हिसाब नहीं रहता है. मार्केट अचानक उठता है, अचानक गिरता है, इससे बहुत से लोग लखपति बन चुके हैं, लेकिन बहुतों ने अपना पैसा भी उतनी ही तेजी से डुबोया है.
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अगर आपको क्रिप्टो ट्रेडिंग को लेकर कुछ कंफ्यूजन है कि आखिर यह कैसे काम करता है, तो आप अकेले नहीं हैं. बहुत से लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्चुअल करेंसी में कैसे निवेश करें. हम इस एक्सप्लेनर में यही एक्सप्लेन करने की कोशिश कर रहे हैं कि आप क्रिप्टोकरेंसी में कैसे निवेश कर सकते हैं, और क्या आपको निवेश करना चाहिए.
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी क्या है, ये समझने के लिए समझिए कि यह क्या नहीं है. यह हमारा ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी नहीं है, लेकिन इसे लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. ट्रेडिशनल करेंसी एक सेंट्रलाइज्ड डिस्टिब्यूशन यानी एक बिंदु से वितरित होने वाले सिस्टम पर काम करती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नॉलजी, ब्लॉकचेन, के जरिए मेंटेन किया जाता है. इससे इस सिस्टम में काफी पारदर्शिता रहती है, लेकिन एन्क्रिप्शन के चलते एनॉनिमिटी रहती है यानी कि कुछ चीजें गुप्त रहती हैं. क्रिप्टो के समर्थकों का कहना है कि यह वर्चुअल करेंसी निवेशकों को यह ताकत देती है कि आपस में डील करें, न कि ट्रेडिशनल करेंसी की करेंसी में कंफ्यूजन तरह नियमन संस्थाओं के तहत.
क्रिप्टो एक्सचेंज का एक वर्चुअल माध्यम है. इसे प्रॉडक्ट या सर्विस खरीदने के लिए इस्तेमाल में लिया जा सकता है. जो क्रिप्टो ट्रांजैक्शन होते हैं. उन्हें पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में रखा जाता है और क्रिप्टोग्राफी से सिक्योर किया जाता है.
क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग कैसे होती है?
इसके लिए आपको पहले ये जानना होगा कि यह बनता कैसे है. क्रिप्टो जेनरेट करने की प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इसके बदले में यूजर को रिवॉर्ड के रूप में कॉइन मिलती है. इसके बाद इसे उस कॉइन के एक्सचेंज पर बेचा जाता है.
कौन कर सकता है ट्रेडिंग?
ऐसे लोग जो कंप्यूटर या टेक सैवी नहीं हैं, वो कैसे क्रिप्टो निवेश की दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं? ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं. क्रिप्टो इन्वेस्टर बनने के लिए माइनर बनना जरूरी नहीं है. आप असली पैसों से एक्सचेंज पर मौजूद हजारों कॉइन्स और टोकन्स में से कोई भी खरीद सकते हैं. भारत में ऐसे बहुत सारे एक्सचेंज हैं तो कम फीस या कमीशन में ये सुविधा देते हैं. लेकिन यह जानना जरूरी है कि क्रिप्टो में निवेश जोखिम भरा है और मार्केट कभी-कभी जबरदस्त करेंसी में कंफ्यूजन उतार-चढ़ाव देखता है. इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स निवेशकों से एक ही बार में बाजार में पूरी तरह घुसने की बजाय रिस्क को झेलने की क्षमता रखने की सलाह देते हैं.
यह समझना भी जरूरी है कि सिक्योर इन्वेस्टमेंट, सेफ इन्वेस्टमेंट नहीं होता है. यानी कि आपका निवेश ब्लॉकचेन में तो सुरक्षित रहेगा लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव का असर इसपर होगा ही होगा, इसलिए निवेशकों को पैसा लगाने से पहले जरूरी रिसर्च करना चाहिए.
क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल क्या है?
यह डिजिटल कॉइन उसी तरह का निवेश है, जैसे हम सोने में निवेश करके इसे स्टोर करके रखते हैं. लेकिन अब कुछ कंपनियां भी अपने प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज़ के लिए क्रिप्टो में पेमेंट को समर्थन दे रही हैं. वहीं, कुछ देश तो इसे कानूनी वैधता देने पर विचार कर रहे हैं.
10 Rupee Coin: 14 तरह के डिजाइन के साथ आता है ₹10 का सिक्का, कौन सा सिक्का है असली? सरकार ने दूर की कंफ्यूजन
10 Rupee Coin: 10 रुपए के सभी 14 डिजाइन के सिक्के मान्य और लीगल टेंडर (Legal Tender) हैं. फिर भी समय-समय पर 10 रुपए के सिक्कों (Rs 10 Coin) को स्वीकार नहीं किए जाने की शिकायतें आती रही हैं.
10 Rupee Coin: 10 रुपए के सिक्कों को लेकर लोगों में लगातार कन्फ्यूजन रहा है. इसे लेकर सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया समय-समय पर अलर्ट करते रहे हैं. एक बार फिर ये मुद्दा उठा तो सरकार ने कंफ्यूजन दूर कर दिया है. वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि बाजार में 10 रुपए के जितने भी तरह के सिक्के चल रहे हैं वे सब वैध हैं. अबतक 14 डिजाइन (अलग-अलग तरह) के 10 रुपए के सिक्के बाजार में हैं और वे सभी पूरी तरह से लीगल टेंडर हैं. ये सभी सिक्के चलन में हैं, इन्हें लेने से कोई इनकार नहीं कर सकता.
सभी लेनदेन में हो सकता है इस्तेमाल
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने संसद में एक लिखित उत्तर में कहा है कि भारत सरकार के अधिकार के तहत ढाले गए और भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी विभिन्न आकारों और डिजाइनों के ₹10 के सिक्के (10 Rupee Coin) वैध मुद्रा हैं. कानूनी निविदा के रूप में इनका सभी लेनदेन में इस्तेमाल किया जा सकता है.
अलग डिजाइन की वजह से उठता है सवाल
चौधरी ने कहा कि सिक्कों की गलाई का काम भारत सरकार के मिंट में होता है और सभी सिक्कों पर समय-समय पर आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को दर्शाया जाता है. दरअसल, लोगों के बीच अलग-अलग धारणाएं बनी हुई हैं, जिसके चलते लोग 10 रुपए के सिक्के (10 Rupee Coin) लेने से कतराते हैं. कोई मानता है कि ₹ के चिन्ह वाला सिक्का असली है तो कोई 10 धारियों वाले सिक्के के असली होने की कहानी गढ़ता है.
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RBI भी दे चुका है सफाई
बता दें इससे पहले RBI भी दो बार इस मसले पर सफाई दे चुका है. सेंट्रल बैंक ने इसके लिए अपनी वेबसाइट पर नोट करेंसी में कंफ्यूजन डाला हुआ है, जिसमें 14 तरह के डिजाइन का जिक्र है. वहीं, एक IVRS टोल फ्री नंबर भी है, जिसमें 10 रुपए के सिक्के से करेंसी में कंफ्यूजन संबंधित जानकारी दी जाती है. RBI का कहना है सभी तरह के सिक्के ठीक हैं और लोग उन्हें लेने से इनकार न करें. 10 का सिक्का लेने से मना करने पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.
टोल फ्री नंबर 14440 पर मिलेगी जानकारी
प्रचलित सिक्कों की असलियत परखने के लिए रिजर्व बैंक ने टोल फ्री नंबर 14440 जारी किया है. इस पर कॉल करते ही फोन कट जाएगा. फिर इसी नंबर से तुरंत फोन आएगा, जिसमें आईवीआर द्वारा 10 के सिक्कों की पूरी जानकारी दी जाएगी. रिजर्व बैंक का कहना है कि देश में 10 रुपए कीमत के 14 प्रकार के सिक्के प्रचलित हैं. इन्हें स्वीकार करना सभी के लिए बाध्यकारी है. संदेह होने पर टोल फ्री नंबर डायल कर शंका दूर कर सकते हैं.
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