Diverting blood to the skin stresses the system because you’re pulling blood that would otherwise be sent to internal organs and sending it to the skin to try to bring up the skin’s temperature. The approximate calculation used by the NWS inadvertently downplays the health risks of severe heatwaves.
Multibagger Stock Tips: पिछले 6 महीने में 119% बढ़ा है ये स्टॉक, ब्रोकरेज फर्म का दावा- आगे भी जारी रहेगी तेजी
Stock Market News: ब्रोकरेज और रिसर्च फर्म एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने अगले तीन महीने में स्टॉक में और तेजी की उम्मीद जताई है.
By: abp news | Updated at : 18 Nov 2021 03:23 PM (IST)
Multibagger Stock Tips: लक्स इंडस्ट्रीज (Lux Industries) के शेयर्स ने इस साल (साल-दर-तारीख या YTD) मल्टीबैगर रिटर्न दिया है. 2021 में अब तक स्टॉक में 170% से अधिक की वृद्धि हुई है. पिछले छह महीने की अवधि में यह स्टॉक 119% से अधिक बढ़ गया है. ब्रोकरेज और रिसर्च फर्म एचडीएफसी सिक्योरिटीज (HDFC Securities) ने अगले तीन महीने में स्टॉक में और तेजी की उम्मीद जताई है.
ब्रोकरेज ने लक्स इंडस्ट्रीज के शेयरों को अपने इमर्जिन पोजिशनल स्टॉक पिक के हिस्से के रूप में ‘खरीदें’ रेटिंग दी है. इसने स्टॉक पर ₹4750, 5200 का अपसाइड टारगेट प्राइस और तीन महीने तक की समयावधि के साथ ₹3,850 का स्टॉप लॉस दिया है.
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुसार, लक्स इंडस्ट्रीज के शेयर की कीमत दैनिक चार्ट पर हाई वॉल्यूम के साथ नीचे की ओर झुकी हुई ट्रेंडलाइन से टूट गई है. वीकली चार्ट पर स्टॉक की कीमत भी टूटी है क्योंकि यह 4300 ऑड लेवल के पिछले प्रतिरोध को पार कर गया है.
एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने अपने नोट में कहा है कि आरएसआई (रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स) और एमएफआई (मनी फ्लो इंडेक्स) oscillator 60 से ऊपर रखा गया है और ऊपर की ओर बढ़ रहा है, वर्तमान अपट्रेंड में मजबूती का संकेत है.
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एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने कहा, “इसके अलावा, DI -DI से ऊपर कारोबार कर रहा है, जबकि ADX (औसत दिशात्मक सूचकांक) लाइन 25 से ऊपर है, जो वर्तमान अपट्रेंड में गति को दर्शाता है. हम 3,850 पर स्टॉप-लॉस रखते हुए, 4,750 और 5,200 के ऊपर के टारगेट के लिए लक्स खरीदने की सलाह देते हैं, ". बता दें लक्स इंडस्ट्रीज एक भारतीय इनरवियर कंपनी है. कंपनी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के होजरी उत्पाद की पेशकश करती है.
डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना ज़रूरी है की मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)
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Published at : 18 Nov 2021 03:23 PM (IST) Tags: Stock Market Multibagger stocks Multibagger stocks 2021 हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
Cryptocurrency: Bitcoin और Ethereum से आगे निकली यह क्रिप्टोकरेंसी, मात्र 7 दिनों में 320 फीसदी तक आई तेजी
Cryptocurrency: बिटकॉइन के दबदबे को भी काफी कम कर दिया है। कुल क्रिप्टो मार्केट कैप में अब इसकी हिस्सेदारी 45 फीसदी तक ही रह गई है। अगर हम मनी फ्लो इंडेक्स की ओर ध्यान दें तो पता चलेगा कि टॉप ऑल्टकॉइन्स में वॉल्यूम और मनी फ्लो में तेजी दर्ज की जा रही है। यही वजह है कि इन छोटी ऑल्टकॉइन्स में ग्रोथ की संभावना भी बढ़ गई है।
नई दिल्ल। देश-दुनिया में तेजी से जगह मना चुके क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में तेजी आई है। Bitcoin और Ethereum जैसी डिजिटल करेंसी में अच्छी खासी तेजी देखी जा रही है। लेकिन ऑल्टरनेटिव कॉइन्स पिछले हफ्ते में दुनिया की सबसे बड़ी, सबसे पुरानी और सबसे लोकप्रिय किप्टोकरेंसी बिटकॉइन और ईथऱ से कहीं बेहतर दिख रहा है। ऑटोमेटेड क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म Mudrex के सीईओ और कोफाउंडर एदुल पटेल का कहना है कि ऑल्टकॉइन्स मनी फ्लो इंडेक्स में तेजी देखी जा रही है, जिसने बिटकॉइन के दबदबे को भी काफी कम कर दिया है। कुल क्रिप्टो मार्केट कैप में अब इसकी हिस्सेदारी 45 फीसदी तक ही रह गई है। अगर हम मनी फ्लो इंडेक्स की ओर ध्यान दें तो पता चलेगा कि टॉप ऑल्टकॉइन्स में वॉल्यूम और मनी फ्लो में तेजी दर्ज की जा रही है। यही वजह है कि इन छोटी ऑल्टकॉइन्स में ग्रोथ की संभावना भी बढ़ गई है।
चंद दिनों में 320 फीसदी की तेजी
लंदन हार्ड वर्क अपडेट के बाद बिटकॉइन और ईथर जैसी प्रमुख क्रिप्टोकरेंसीज में एक हफ्ते में 9 से 12 फीसदी तक की तेजी दर्ज की गई है।तो वहीं IoTeX जैसी ऑल्टकॉइन्स में भी 7 दिन के अंदर 320 फीसदी से भी ज्यादा की तेजी आई है। Revain और Terra में 78 फीसदी और 62 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। Solana, Axie Infinity, Cadano, XRP और Dogecoin जैसी क्रिप्टोकरेंसीज में 40 से 65 फीसदी तक तेजी आई।
इस पर CoinSwitch Kuber के चीफ बिजनस ऑफिसर शरण नायर का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसीज अभी शुरुआती दौर में है। वहीं नई कॉइन्स के लिए भी काफी संभावनाएं हैं। ज्यादातर निवेशक नई कॉइन्स की तलाश में हैं। उनका मानना है कि ये इकोसिस्टम में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगी और यही वजह है कि वे शुरुआती दौर में ही इनमें निवेश करके मोटा रिटर्न पाना चाहते हैं।
छोटी करेंसी से उम्मीद ज्यादा
वहीं छोटी करेंसी में निवेश कर रहे कुछ निवेशकों का कहना है कि बिटकॉइन और ईथर में अब ज्यादा कुछ नहीं बचा है। जिस वजह से कई ऑल्टकॉइन्स मार्केट कैप चार्ट में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। वहीं ए़डॉप्शन से मांग बढ़ रही है। जिस वजह से कीमतों में भी तेजी मनी फ्लो इंडेक्स मनी फ्लो इंडेक्स देखी जा रही है।
22 करोड़ पर पहुंचा इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड में इनफ्लो: AMFI
AMFI के आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल मनी फ्लो इंडेक्स फंड स्कीम का नेट फ्लो 22,583.52 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया
- Money9 Hindi
- Publish Date - August 9, 2021 / 04:52 PM IST
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के सोमवार को जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में इक्विटी मनी फ्लो इंडेक्स ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड स्कीम का नेट फ्लो 22,583.52 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो कि जून में 5,988.17 करोड़ मनी फ्लो इंडेक्स रुपये था.
वहीं दूसरी ओर डेटा के अनुसार, एमएफ योजनाओं में नेट फ्लो जून 2021 में 3,566.39 करोड़ रुपये से बढ़कर 73,694.04 करोड़ रुपये हो गया है. जुलाई में हाइब्रिड योजनाओं में 19,517.36 रुपये का इन्वेस्टमेंट हुआ है, जो पिछले महीने में 12,361.47 रुपये था.
जून में 40 फीसदी तक घटा इक्विटी म्यूचुअल फंडों में निवेश
इन्वेस्टर्स की मुनाफावसूली के कारण जून में इक्विटी म्यूचुअल फंडों में निवेश 40 फीसदी घटकर 5,988 करोड़ रुपये तक रह गया है. वहीं इसकी तुलना में, इक्विटी म्यूचुअल फंडों में मई महीने में 10,083 करोड़ रुपये का नेट फ्लो देखा गया है.
इक्विटी स्कीम की बात करें तो इन स्कीम में अप्रैल में 3,437 करोड़ रुपये और मार्च में 9,115 करोड़ रुपये नेट फ्लो दिखाई दिया है. इससे पहले, इक्विटी स्कीम में जुलाई 2020 से फरवरी 2021 तक लगातार आठ महीनों के लिए बहाव देखा गया था.
डेट और इंडेक्स फंड में भी बढ़ा निवेश
डेट म्यूचुअल फंड स्कीम भी काफी लोकप्रिय हैं और जो निवेशक जोखिम नहीं लेना चाहते वे इसमें पैसे लगा रहे हैं. म्यूचुअल फंड एयूएम में डेट स्कीम की हिस्सेदारी 43 फीसदी है. पिछले साल की तुलना में यह 12.4 फीसदी बढ़ा है. इंडेक्स फंड और ईटीएफ की ओर से भी निवेशक आकर्षित हो रहे हैं. इंडेक्स फंड एयूएम जून, 2021 तक बढ़ कर 24,947 करोड़ रुपये का हो गया है. पिछले साल की तुलना में इसमें 123 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
It’s hot and more than what that heat index tells you
By Arya Rohini
Published: Wednesday 17 August 2022
Heat stroke is considered likely if the index rises above 125-130. Photo: iStock
A heat index can underestimate perceived temperatures by more than 6.6 degrees Celcius , noted an analysis by the University of California (UC) published in journal Environmental Research Letters August 12 2022.
The heat index, calculated by meteorologists, measures how hot it feels. It rises with increasing humidity even as the temperature remains the same.
Heat stroke is considered likely if the index rises above 125-130. Meteorological agencies, including the United States National Weather Service (NWS), use this index.
The heat index gauges how the body handles heat when humidity levels are high and sweating is less efficient at cooling us down, the researchers noted.
Humans mainly adjust to heat by sweating and flushing, which occurs when blood is directed to capillaries near the skin to dispel the heat.
David Romps , UC Berkeley professor of earth and planetary science, told Berkeley News:
Diverting blood to the skin stresses the system because you’re pulling blood that would otherwise be sent to internal organs and sending it to the skin to try to bring up the skin’s temperature. The approximate calculation used by the NWS inadvertently downplays the health risks of severe heatwaves.
The heat index was devised in 1979 by a textile physicist, Robert Steadman. He used a basic formula to determine warm, humid conditions’ relative ‘sultriness’.
His model considered how people adjust their internal temperature to maintain thermal comfort by — consciously changing the amount of clothing they wear or unconsciously adjusting their breathing, perspiration and blood flow to the skin.
Since then, the heat index has become widely used as an indicator of people’s comfort in the US.
But Steadman left the index undefined for many conditions, now becoming increasingly common.
For example, for a relative humidity of 80 per cent, the heat index is not defined for temperatures above 31.1°C or below 15°C. Today, temperatures routinely rise above 32.2°C for weeks in some areas, including the Midwest and Southeast of the US.
This summer’s extreme heatwaves sparked massive wildfires and resulted in thousands of fatalities in Europe, according to media reports.
Some countries like France are entering their third wave of summer, with temperatures expected to reach over 37°C.
The average temperature across the US crossed 24.6°C, making July 2022 the third-hottest in the country’s 128-year climate record.
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Share Market Crash: अचानक RBI के फैसले से शेयर बाजार बिखरा, ये Stocks सबसे ज्यादा गिरे
Share Market Crash: शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा कि खुदरा महंगाई (Retail Inflation) में बढ़ोतरी की वजह से RBI को अचानक रेपो रेट में बदलाव का फैसला लेना पड़ा है. इसका सबसे ज्यादा असर शेयर बाजार पर देखने को मिला है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 04 मई 2022,
- (अपडेटेड 04 मई 2022, 4:35 PM IST)
- शेयर बाजार में भारी बिकवाली से निवेशक डरे
- निफ्टी गिरकर 16700 अंक से नीचे बंद
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अचानक आज रेपो रेट (Repo Rate) में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है. इस बढ़ोतरी के साथ ही अब रेपो रेट 4 फीसदी से बढ़कर 4.40 फीसदी हो गया है. RBI ने यह अप्रत्याशित कदम अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के ठीक पहले किया है. फेड रिजर्व आज देर रात तक ब्याज दरों में का ऐलान कर सकता है.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा कि खुदरा महंगाई (Retail Inflation) में बढ़ोतरी की वजह से RBI को अचानक रेपो रेट में बदलाव का फैसला लेना पड़ा है. वहीं इस फैसले से शेयर बाजार को सबसे ज्यादा हैरान किया. बाजार आरबीआई के झटके से संभल नहीं पाया, और देखते-ही-देखते बिखर गया.
शेयर बाजार में भारी गिरावट
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रेपो रेट में बढ़ोतरी के ऐलान से सेंसेक्स (Sensex) 1450 अंकों से ज्यादा गिर गया. वहीं निफ्टी (Nifty) में 400 अंकों से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई. हालांकि कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1,306.96 अंक गिरकर 55,669 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 391.50 अंक लुढ़ककर 16,677.60 अंक पर बंद हुआ.
इस दौरान सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयर में अपोलो अस्पताल (Apollo Hospital) 6.77 फीसदी, अडानी पोर्ट (Adani Port) 5.11%, टाइटन (Titan) में 4 फीसदी, Zomato में 7.27%, अडानी ग्रीन में 5.62 फीसदी और DLF में 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
इससे पहले वैश्विक बाजारों की गिरावट के बीच बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और एनएसई निफ्टी (NSE Nifty) दोनों ने बुधवार को रेड जोन में कारोबार की शुरुआत की थी. सुबह 09:25 बजे सेंसेक्स मामूली 1.99 अंक के नुकसान के साथ 56,940 अंक के पास कारोबार कर रहा था. इसी तरह निफ्टी करीब 10 अंक गिरकर 17,060 अंक के पास ट्रेड कर रहा था.
लेकिन बढ़ती महंगाई, महामारी की नई लहर और ब्याज दरें बढ़ने की आशंका से बाजार पहले से ही डरा हुआ था. जैसे ही आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी का ऐलान किया, बाजार में बिकवाली हावी हो गया, और देखते ही देखते बाजार बिखर गया. दुनिया भर में महंगाई दशकों के हाई लेवल पर है.
रेपो रेट क्या है?
जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट बढ़ने का मतलब यह है कि बैंकों को आरबीआई की ओर से अब महंगे दर पर कर्ज मिलेगा. ऐसे में बैंक से ग्राहकों को मिलने वाले लोन भी महंगे हो सकते हैं.
रिवर्स रेपो रेट क्या है?
यह रेपो रेट से विपरीत है. कभी जब बैंकों के पास कामकाज के बाद बड़ी रकमें बची रह जाती हैं, वे उस रकम को रिजर्व बैंक में रख दिया करते हैं, जिस पर आरबीआई उन्हें ब्याज दिया करता है. अब रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से ब्याज अदा करता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं. यानी रिवर्स रेपो वह रेट है, जिस पर दूसरे बैंक रिजर्व बैंक को पैसा उधार देते हैं. दरअसल, रिवर्स रेपो रेट मार्केट में कैश फ्लो को नियंत्रित करने में काम आती है.
नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर)
देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत प्रत्येक बैंक को अपनी कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना ही होता है, जिसे कैश रिजर्व रेशो यानी नकद आरक्षित अनुपात (CRR) कहा जाता है. सीआरआर के जरिए आरबीआई बिना रिवर्स रेपो रेट में बदलाव किए मार्केट से कैशे के फ्लो को कम कर सकता है.
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