खाद्य उत्पादों के प्रसंस्करण में सक्षम किसान

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग ने बीते कुछ सालों में शानदार बढ़ोतरी की है लेकिन यह उद्योग अपने बुनियादी उद्देश्यों किसानों की आमदनी बढ़ाने और फसल की बरबादी रोकने में नाकाम रहा है। कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्द्धन से किसानों की जगह उद्योगों को ज्यादा लाभ मिला है और उद्योगों के लिए फायदा साल दर साल बढ़ता जा रहा है।

किसानों को फसल के बाद होने वाला नुकसान निरंतर बढ़कर कुछ अधिक हो गया, जल्दी खराब होने वाली फसलों में नुकसान बढ़कर 40 फीसदी तक हो गया। मौद्रिक रूप से यह घाटा सालाना 60 हजार करोड़ से 80 हजार करोड़ रुपये के बीच है।

इस घाटे के कई कारण जैसे फसल के बाद देखरेख, यातायात, भंडारण और उत्पाद की मार्केटिंग में निपुणता का अभाव होना है। इसी क्रम में मूल्य संवर्द्धन और पकी हुई फसल को लंबी अवधि तक ठीक-ठाक रखने के लिए खेत में ही प्रसंस्करण का उपज निवेश की रेटिंग कम स्तर होना उत्तरदायी है। इस घाटे के लिए उत्पादकों और प्रसंस्करणकर्ताओं के बीच सीधे संबंध होने का अभाव भी जिम्मेदार है।

खेत में तैयार फसल का बमुश्किल 10 फीसदी हिस्से का ही मूल्य संवर्द्धन या प्रसंस्करण हो पाता है। इस स्तर को बढ़ाकर कम से कम 25 फीसदी किए जाने की जरूरत है। फसल को खराब होने से बचाने, सालभर मौसमी कृषि उत्पाद मुहैया कराने व इनके दामों में कम उतार-चढ़ाव के लिए इस कम से कम प्रस्तावित स्तर को प्राप्त करने की जरूरत है।

उच्च स्तर पर प्रसंस्करण होने से गांव में किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी सृजित होगी, खेती के अलावा अन्य क्षेत्रों में रोजगार बढ़ेगा और लोगों के लिए उद्यमिता के अवसर पैदा होंगे। भारतीय परिस्थितियों में उत्पादन के प्रमुख केंद्रों के पास बड़े औद्योगिक उद्यम की जगह लघु एवं कुटीर उद्योग अधिक फायदेमंद होंगे। ऐसे में छोटी जोत वाले किसान भी अन्य आर्थिक गतिविधियों के जरिये अपनी आमदनी बढ़ा सकता है।

विश्व में कई प्रमुख कृषि जिंसों के उत्पादन में भारत शीर्ष पर है। इसलिए अतिरिक्त कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्द्धन की अत्यधिक संभावनाएं हैं। देश का दूध उत्पादन के उपज निवेश की रेटिंग क्षेत्र में पहला स्थान; फल, सब्जी व मछली पालन के क्षेत्र में दूसरा स्थान और अंडों के उत्पादन के क्षेत्र में तीसरा स्थान है।

भारत स्वास्थ्य से जुड़े कई खाद्य और बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कई जड़ी-बूटियों का उत्पादन भी करता है। इनसे घरेलू और निर्यात के बाजार के लिए पौष्टिकता वाले स्नैक्स और अन्य तरह के मूल्यवर्धित उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुमान खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) 2014-15 में 1.34 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 2.37 लाख करोड़ रुपये हो गया। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की हालिया अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार यह क्षेत्र अब सालाना करीब 15 फीसदी की दर से भी बढ़ सकता है।

इस अध्ययन उपज निवेश की रेटिंग में भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अप्रैल 2000 से मार्च 2022 के बीच प्रत्यक्ष या विलय व अधिग्रहण के जरिये 11 अरब डॉलर विदेशी निवेश आने की गणना की गई थी। अनुकूल नीति का वातावरण होने पर इस क्षेत्र का तेजी से विकास हो सकता है।

सरकार विनिर्माण और रिटेल कारोबार सहित ई-कॉमर्स और भारत में बने खाद्य उत्पादों के लिए स्वचालित प्रक्रिया से 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दे चुकी है। इसके अलावा उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं का विस्तार इस उद्योग तक किया गया है। इससे क्षेत्र के तेजी से अधिक विकास की प्रेरणा मिलेगी।

सरकार ने लघु व कुटीर प्रसंस्करण इकाइयों को विशेष तौर पर बढ़ावा देने के लिए दो विशेष पहल प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना और पीएम- सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमिता योजना के औपचारिककरण की शुरुआत की है।

इनका लक्ष्य उत्पादों को लाभ मुहैया कराना है। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना का बुनियादी लक्ष्य कृषि उत्पादों के लिए आधुनिक फसल के बाद आधारभूत संरचना का विकास करना और निचले स्तर तक उनकी मूल्य श्रृंखला स्थापित करना है।

पीएम- सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमिता योजना के औपचारिक स्वरूप में एक जिला एक उत्पाद की नीति के अनुरूप मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को बेहतर बनाना और लघु स्तर की इकाइयां स्थापित करने के लिए वित्तीय, तकनीकी और कारोबारी मदद मुहैया कराना है।

भारत की कृषि की विशिष्टताओं के कारण बड़ी इकाइयों की अपेक्षा छोटी व सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां आर्थिक रूप से अधिक व्यावहारिक हैं। इसके प्रमुख कारणों में कई कृषि उत्पाद शीघ्र खराब होना और कई फसलों का खास मौसम होना हैं। कई कृषि उत्पाद की उपलब्धता कई स्थानों पर बिखरी हुई है।

जिंसों की कमी से निपटने के लिए खास भंडारगृह और यातायात की सुविधा की जरूरत है। उत्पाद की गुणवत्ता के लिए उत्पाद का प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त होना भी जरूरी है। प्रसंस्करण इकाइयों को कृषि उपज विपणन समितियों (नियमित मंडियों) से ही अनिवार्य रूप से कच्चा माल प्राप्त करने से बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

केवल कुछ ही राज्यों ने ही मार्केटिंग के उपबंधों में संशोधन कर किसानों से सीधे फसल खरीदने की इजाजत दी है। कई स्थानों पर लॉजिस्टिक्स आधारभूत संरचना की जरूरत है।

इन योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए सबसे अच्छा तरीका छोटे-लघु और गांव स्तर पर कृषि प्रसंस्करण इकाइयों को स्थापित करना है और साथ ही साथ ये इकाइयां संगठित क्षेत्र की खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की भी मदद करें।

हालांकि इसमें छोटे व मध्यम क्षेत्रों को उपज निवेश की रेटिंग वरीयता दी जानी चाहिए क्योंकि इससे सीधे तौर पर किसानों की आमदनी जुड़ी हुई है। किसानों को भी व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से छोटे व सूक्ष्म कृषि प्रसंस्करण केंद्रों की स्थापना करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

किसान सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों के जरिये भी इन केंद्रों को स्थापित करने को बढ़ावा दिया जाए। इनमें छोटी मशीनों पर आधारित केंद्र जैसे चावल की छोटी मिल, आटा चक्कियां, मसाला पिसाई केंद्र, चारे की छोटी मिलें, दाल की छोटी मिलें आदि हो सकती हैं। ऐसे उपक्रम स्थापित करने के लिए अधिक जमीन और बड़े निवेश की जरूरत नहीं पड़ती है और इनसे गांवों में रहने वाले लोग आमदनी भी प्राप्त कर सकते हैं।

Tata Group Stock: टाटा स्‍टील में निवेशकों को मिल सकता है 59% का तगड़ा रिटर्न, ब्रोकरेज का दांव, चेक करें टारगेट

Tata Group Stock: ग्‍लोबल ब्रोकरेज फर्म जेपी मॉर्गन (JP Morgan) टाटा स्‍टील के स्‍टॉक्‍स पर बुलिश नजर आ रहा है और 'ओवरवेट' की रेटिंग बरकरार रखी है.

ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि कंपनी के पास मजबूत कैश फ्लो है.

Tata Group Stock: टाटा ग्रुप की स्‍टील कंपनी टाटा स्‍टील (उपज निवेश की रेटिंग उपज निवेश की रेटिंग Tata Steel) के स्‍टॉक में निचले स्‍तरों से रिकवरी देखी जा रही है. 23 जून 2022 के अपने रिकॉर्ड लो लेवल से शेयर करीब 7 फीसदी उछल चुका है. हालांकि, अभी यह शेयर अपने रिकॉर्ड हाई से करीब 43 फीसदी डिस्‍काउंट पर है. जियोपॉलिटिकल टेंशन के चलते कमोडिटी कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर भी मेटल स्‍टॉक्‍स पर देखा जा रहा है. इस बीच, ग्‍लोबल ब्रोकरेज फर्म जेपी मॉर्गन (JP Morgan) टाटा स्‍टील के स्‍टॉक्‍स पर बुलिश नजर आ रहा है और उसने शेयर पर 'ओवरवेट' की रेटिंग बरकरार रखी है. ब्रोकरेज का कहना है कि कंज्‍यूमर डी-स्‍टॉकिंग के चलते इंडिया वॉल्‍यूम रफ्तार पकड़ेगा.

JP Morgan On Tata Steel: क्‍या है नजरिया

टाटा स्‍टील पर ग्‍लोबल ब्रोकेरज JP Morgan का कहना है कि कंज्‍यूमर डी-स्‍टॉकिंग से इंडिया वॉल्‍यूम में तेजी है. दूसरी तिमाही में लोवर ASP/ टन और हायर कोल का असर होगा. कंपनी के कर्ज में कमी के अनुमान को लेकर रिस्‍क उपज निवेश की रेटिंग है. कंपनी पर करीब 1 बिलियन डॉलर का कर्ज है. वित्‍त वर्ष 2023 के लिए कैश फ्लो मजबूत है. कंपनी के पास बड़े ऑर्डर है. जिसके चलते सेल्‍स वॉल्‍यूम में तेजी देखने को मिल रही है.

Tata Steel: 59% मिल सकता है रिटर्न

JP Morgan ने टाटा स्‍टील पर ओवरवेट रेटिंग के साथ 1400 रुपये प्रति शेयर का टारगेट दिया है. 28 जून 2022 को शेयर का भाव 879 रुपये पर बंद हुआ था. इस तरह, मौजूदा भाव से आगे स्‍टॉक में निवेशकों को 59 फीसदी का तगड़ा रिटर्न मिल सकता है. टाटा स्‍टील के स्‍टॉक ने 16 अगस्‍त 2021 को 1534 रुपये का रिकॉर्ड हाई बनाया था. उसके बाद से स्‍टॉक में गिरावट है. यह अभी करीब 43 फीसदी की डिस्‍काउंट पर मिल रहा है. यह शेयर 3.4 के पीई मल्‍टीपल है. जबकि सेक्‍टोरल इंडेक्‍स का पीई 5.02 पर है. इस साल अबतक शेयर करीब 23 फीसदी टूट चुका है.

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां स्‍टॉक्‍स में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस द्वारा दी गई है. ये जी बिजनेस के विचार नहीं हैं. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)

निम्नलिखित में से किस जोखिम को परियोजना में निवेश करने या फर्म की कमाई के साथ नकारात्मक संबंध रखने वाली अन्य फर्मों को प्राप्त करने से कम किया जा सकता उपज निवेश की रेटिंग है?

The Assam Public Service Commission (APSC) has released the APSC JE Result for the Screening Test under Public Works Department as per the Advt. No. 06/2019. The APSC will soon going to release the official notification for the APSC JE 2022. Candidates with Diploma/Degree in Civil/ Electrical/ Mechanical Engineering degree are eligible to apply the examination. The candidates who will be finally selected for the JE post will receive APSC JE Salary range between Rs. 14,000 to Rs. 60,500.

इक्विटी बैलेंस्ड फंड

इक्विटी बैलेंस्ड फंड एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है, जो बाजार की स्थितियों के अनुसार इक्विटी, डेब्ट और कभी-कभी मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करता है। इसे एक अग्रेसिव हाइब्रिड फंड के रूप में भी जाना जाता है। एक संतुलित फंड एक एकल फंड में एक महान जोखिम डायवर्सिफिकेशन उपकरण के रूप में कार्य करता है क्योंकि यह अपने ऋण घटक के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान करते हुए इक्विटी से उच्च अपेक्षित रिटर्न का लाभ प्रदान करता है।

आम तौर पर बैलेंस्ड फंड इक्विटी में 65-80%, डेब्ट में 15-20% और कभी-कभी मनी मार्केट सिक्योरिटीज में 5% तक निवेश करते हैं। डेब्ट सिक्योरिटीज एक रक्षात्मक भूमिका निभाते हैं। एक अच्छी तरह से प्रबंधित संतुलित फंड इक्विटी में 80% निवेश करके इक्विटी फंडों को बाहर निकालता है जब बाजार में अच्छा प्रदर्शन होता है और ऋण में 35% तक होता है जब ऋण की उपज अधिक होती है और इक्विटी अधिक हो जाती है।

बैलेंस्ड फंड उन लोगों के उपज निवेश की रेटिंग लिए एक अच्छा मध्यम अवधि का निवेश है, जिनके पास शुद्ध इक्विटी फंड में निवेश करने के लिए उच्च जोखिम श्रमता नहीं है, लेकिन वे सुरक्षा, आय और मामूली पूंजी प्रशंसा के मिश्रण की तलाश में हैं।

यह उन लोगों के लिए भी उपयोगी है जो विविधीकरण प्राप्त करने के लिए विभिन्न फंडों में निवेश नहीं करना चाहते हैं और उन्हें ट्रैक करना चाहते हैं।

कर लगाना

इक्विटी बैलेंस्ड फंड्स में आम तौर पर उनके कॉर्पस (कम से कम 65%) का बड़ा हिस्सा शेयरों में निवेश किया जाता है और इक्विटी फंड के समान टैक्स ट्रीटमेंट के लिए क्वालिफिकेशन प्राप्त करता है।

यदि निवेश की तिथि से कम से कम 1 वर्ष की अवधि के लिए फंड रखा जाता है, तो लाभ लॉन्ग-टर्म पूंजीगत लाभ कर के अधीन होता है। 1 लाख रुपये तक के संतुलित फंड पर लॉन्ग-टर्म पूंजीगत लाभ (LTCG) कराधान से मुक्त होता है। इंडेक्सेशन के लाभ के बिना 10 लाख की दर से 1 लाख रुपये से अधिक का एलटीसीजी कर योग्य है।

यदि निवेश की तारीख से 1 वर्ष पहले इकाइयों को रिडीम किया जाता है, तो लाभ लघु अवधि के पूंजीगत लाभ के अधीन होते हैं। बैलेंस्ड फंड्स से शॉर्ट टर्म गेन पर 15% टैक्स लगता है

अगर बैलेंस पीरियड 1 साल से ज्यादा और 3 साल से कम है तो बैलेंस्ड फंड्स आपको डेब्ट फंड पर टैक्सेशन का फायदा देंगे। डेब्ट फंड 3 साल से कम है, तो इंडेक्सेशन के लाभ के बिना, निवेशक के टैक्स स्लैब के बराबर कैपिटल गेन टैक्स आकर्षित करता है।

इक्विटी और डेब्ट दोनों में निवेश के कारण, संतुलित फंड 2 प्रमुख परिसंपत्ति वर्गों के बीच अच्छा डायवर्सिफिकेशन प्रदान करते हैं। इक्विटी घटक स्टॉक मूल्य प्रशंसा और लाभांश आय के माध्यम से पूंजी वृद्धि का लाभ प्रदान करता है, जबकि ऋण घटक निश्चित आय प्रतिभूतियों और बांड मूल्य प्रशंसा में निवेश के माध्यम से स्थिरता प्रदान करता है।

संतुलित फंड का प्रमुख लाभ उच्च आक्रामक अलॉटेड से अधिक अग्रेसिव ग्रोथ- ओरिएंटेड शेयरों के साथ स्विच करने की क्षमता है जब बाजार मंदी की स्थिति में अधिक रक्षात्मक शेयरों के साथ कम इक्विटी अलॉटेड के लिए तेज होता है।

यह शुद्ध इक्विटी फंडों की तुलना में कम अस्थिर है। बैलेंस्ड फंड में ज्यादातर लंबी अवधि के लिए स्थिर और लगातार रिटर्न होता है। उपज निवेश की रेटिंग सर्वश्रेष्ठ संतुलित म्यूचुअल फंडों ने इक्विटी रिटर्न की तुलना में लंबे समय में बेहतर जोखिम-समायोजित रिटर्न की पेशकश की है। एक तुलना नीचे दी गई है।

फंड श्रेणी5-वर्षीय रोलिंग रिटर्नजोखिम आधारित एसटीडी डेविएशन
Balanced Funds13.20%2.9
Large-Cap Funds12.90%3.47
Mid-Cap and Large-Cap Funds13.96%3.82
Diversified Funds14.91%3.96

नुकसान

जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही संतुलित धन के भी अपने नुकसान होते हैं। बैलेंस्ड फंड्स के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं

संतुलित फंडों का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी में निवेश किया जाता है। जिसका अर्थ है, कि यह कम जोखिम वाला निवेश नहीं है

एक संतुलित फंड में निवेश करने का दूसरा नुकसान यह है कि आपके पास परिसंपत्ति आवंटन पर नियंत्रण नहीं है। ऐसे सभी निर्णय पेशेवर फंड मैनेजर द्वारा किए जाने हैं जो फंड का प्रबंधन कर रहे हैं।

लंबे समय में इक्विटी फंड की तुलना में बैलेंस्ड फंड का रिटर्न कम है।

यदि आप अल्पावधि में निवेश कर रहे हैं तो प्रबंधन शुल्क ऋण योजनाओं के मामले में अधिक है।

सही बैलेंस्ड फंड कैसे चुनें?

सही संतुलित फंड का चयन करने से पहले विचार करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण पैरामीटर निम्नलिखित हैं।

फंड का पिछला प्रदर्शन - ऐसा फंड चुनें जो लगातार अच्छा प्रदर्शन दे रहा हो।

रेटिंग जांच - एक विश्वसनीय स्रोत से एक बैलेंस्ड फंड की रेटिंग की जांच कर सकते हैं।

रिस्क रिटर्न अनुपात - शार्प अनुपात और मानक विचलन जैसे जोखिम रिटर्न अनुपात पोर्टफोलियो में निहित जोखिम के अच्छे संकेतक हैं।

कुल व्यय अनुपात (टीईआर) - एक फंड का चयन करते समय यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पैरामीटर है। अधिक व्यय अनुपात फंड के अपेक्षित रिटर्न को कम करेगा। हालाँकि, किसी को उच्च व्यय अनुपात निधि को एकमुश्त अस्वीकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि फंड प्रबंधक बेहतर हो सकता है, और इससे उच्च रिटर्न प्राप्त हो सकता है।

पोर्टफोलियो मैनेजर का अनुभव - एक फंड मैनेजर फंड के प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक फंड मैनेजर एक अंतिम निर्णय लेने वाला होता है और उसका दृष्टिकोण बहुत मायने रखता है। इसलिए निवेश करने से पहले फंड मैनेजर के अनुभव और पिछले प्रदर्शन को सत्यापित करना चाहिए।

फंड का एयूएम - एक फंड में काफी एयूएम होना चाहिए। किसी भी योजना में कम एयूएम बहुत जोखिम भरा है क्योंकि यह बताना मुश्किल है कि निवेशक कौन हो सकते हैं। किसी भी बड़े निवेशक का किसी भी म्यूचुअल फंड से बाहर निकलना उसके समग्र प्रदर्शन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, और इस योजना में शेष निवेशकों को प्रभाव को सहन करना होगा। बड़े एयूएम वाली योजनाओं में, यह जोखिम कम से कम हो जाता है।

निष्कर्ष

एक इक्विटी संतुलित फंड अच्छी तरह से विविध है और उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिनके पास एक मध्यम जोखिम प्रोफ़ाइल है। यह लंबे समय में उनके लिए महान संपत्ति बनाने की क्षमता रखता है।

कॉरपोरेट FD: क्या है कंपनी फिक्स्ड डिपॉजिट? जानें इसमें निवेश करने के बेनेफिट्स और ब्याज दर की डिटेल्स

कॉरपोरेट या कंपनी फिक्स्ड डिपॉजिट तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं. इनमें बैंकों द्वारा एफडी पर दिए जाने वाले ब्याज के मुकाबले बेहतर दर मिलती है. आइए जानते हैं कि कॉरपोरेट एफडी क्या है, इसके बेनेफिट्स, कौन इनमें निवेश कर सकता है और इससे जुड़ी बाकी सभी डिटेल्स.

कॉरपोरेट FD: क्या है कंपनी फिक्स्ड डिपॉजिट? जानें इसमें निवेश करने के बेनेफिट्स और ब्याज दर की डिटेल्स

आइए जानते हैं कि कॉरपोरेट एफडी क्या है, इसके बेनेफिट्स, कौन इनमें निवेश कर सकता है और इससे जुड़ी बाकी सभी डिटेल्स.

Corporate Fixed Deposit (FD): फिक्स्ड डिपॉजिट ज्यादातर लोगों के लिए सबसे बेहतर सेविंग्स ऑप्शन है. ये पैसा लगाने का सबसे आसान जरिया है. इसी वजह से अधिकतर भारतीय परिवारों का यह पसंदीदा विकल्प रहता है. लगभग सभी लोगों को इस बात की जानकारी है कि यह कैसे काम करता है. आप बैंक में कुछ पैसा जमा करते हैं और उस पर ब्याज की कमाई होती है.

कॉरपोरेट या कंपनी फिक्स्ड डिपॉजिट तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं. इनमें बैंकों द्वारा एफडी पर दिए जाने वाले ब्याज के मुकाबले बेहतर दर मिलती है. आइए जानते हैं कि कॉरपोरेट एफडी क्या है, इसके बेनेफिट्स, कौन इनमें निवेश कर सकता है और इससे जुड़ी बाकी सभी डिटेल्स.

कॉरपोरेट/ कंपनी एफडी क्या हैं?

कॉरपोरेट डिपॉजिट या कंपनी फिक्स्ड डिपॉजिट टर्म डिपॉजिट हैं, जिसमें आप स्थिर ब्याज दर पर स्थिर अवधि के लिए पैसों का निवेश कर सकते हैं. इन्हें नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFCs) दूसरे वित्तीय संस्थान पेश करते हैं. रेगुलेर फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में, इनमें ज्यादा ब्याज दर मिलती है. कंपनी एफडी की मैच्योरिटी कुछ महीनों से लेकर कुछ सालों तक की हो सकती है.

किसे करना चाहिए निवेश?

अगर आपका कोई छोटी अवधि में वित्तीय लक्ष्य है, जैसे अंतरराष्ट्रीय ट्रिप के लिए बचत करना या अपने जीवनसाथी के लिए तोहफा खरीदना, तो कॉरपोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट अच्छा विकल्प हो सकता है.

हालांकि, कॉरपोरेट एफडी में डिपॉजिट पर इंश्योपेंस उपलब्ध नहीं होता. इस चिंता को दूर करने के लिए यह सुनिश्चित करें कि कंपनी के बेसिक फंडामेंटल्स मजबूत हों. और कंपनी की क्रेडिट रेटिंग भी बेहतर होनी चाहिए. अगर एजेंसियों द्वारा क्रेडिट रेटिंग औसत से कम है, तो आप उस कंपनी में निवेश करने से पहले दोबारा विचार कर लें. AAA या इसके बराबर की रेटिंग वाली ऊंची रेटिंग की कॉरपोरेट एफडी में निवेश करना सही रहता है. यह ज्यादा सुरक्षित है.

कॉरपोरेट एफडी में पैसा लगाने के फायदे

टेन्योर की बड़ी रेंज

बैंक एफडी की तरह ही कॉरपोरेट एफडी में उपज निवेश की रेटिंग भी 12 से 60 महीने के बीच की अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं. अगर आप छोटी अवधि के लक्ष्य के लिए बचत कर रहे हैं, तो आप एक साल के लिए निवेश कर सकते हैं. अगर आप बड़ा कॉर्पस बनाना चाहते हैं, तो पांच सालों के लिए निवेश करें.

निश्चित रिटर्न

सबसे बेहतर कंपनी एफडी वे होती हैं, जिन्हें जानी-मानी एजेंसियों द्वारा अच्छी रेटिंग मिली हो. ज्यादातर कॉरपोरेट डिपॉजिट पेश करने वाली कंपनियां क्रिसिल की FAAA/स्टेबल के साथ सर्टिफाइड हैं. इन्हें इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा सेफ्टी रेटिंग्स में से एक माना जाता है, जहां समय से प्रिंसिपल और इंट्रस्ट का भुगतान होता है. ज्यादा क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनी बाजार में उथल-पुथल के बावजूद आपके निवेश पर निश्चित रिटर्न देती है.

ज्यादा ब्याज दर

बैंक एफडी रेट्स से तुलना करने पर, कॉरपोरेट एफडी रेट्स ज्यादा है. उदाहरण के लिए, 1 साल से लेकर 2 साल से कम अवधि की कॉरपोरेट एफडी में बजाज फिन्सर्व में 5.94 से 6.10 फीसदी की ब्याज मिल रही है. जबकि, इसी अवधि में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) 4.90 की दर से ब्याज दे रहा है.

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